Aakash Prime : दुश्मनों का काल है ‘आकाश प्राइम’
योगेश कुमार गोयल। Aakash Prime : उच्च तकनीक वाली मिसाइलों, अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों और उच्च कोटि के सैन्य उपकरणों को सेना के तीनों अंगों का अहम हिस्सा बनाए जाने के चलते एक ओर जहां भारत की सैन्य ताकत लगातार बढ़ रही है, वहीं दुश्मन देशों की हर प्रकार की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए भारतीय सेना भी सशक्त हो रही है।
इसी कड़ी में पिछले दिनों भारतीय रक्षा अनुसंधान केन्द्र (डीआरडीओ) ने आकाश मिसाइल के नए अपग्रेडेड वर्जन ‘आकाश प्राइम’ का सफल परीक्षण करके सेना को मजबूत बनाने की दिशा में एक और बड़ी सफलता हासिल की। डीआरडीओ द्वारा यह परीक्षण तीव्र गति वाले एक मानवरहित हवाई लक्ष्य को निशाना बनाकर किया गया, जिसे ‘आकाश-प्राइम’ ने सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया। इस अपग्रेडेड आकाश मिसाइल को भारतीय सेना में शामिल किए जाने के बाद निसंदेह सेना की ताकत में बड़ा इजाफा होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 30 दिसम्बर 2020 को कैबिनेट की बैठक में भारत की स्वदेशी आकाश मिसाइलों का निर्यात करने का निर्णय भी लिया गया था, जिसके बाद अब दुनिया के अन्य देश भी इन मिसाइलों को खरीद सकते हैं।
दरअसल ऐसी खबरें आती रही हैं कि फिलीपींस, बेलारूस, मलेशिया, थाईलैंड, यूएई, वियतनाम इत्यादि दुनिया के कुछ देश आकाश मिसाइलों की मारक क्षमता से प्रभावित होकर भारत से ये मिसाइलें खरीदना चाहते हैं। निश्चित रूप से भारत के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है कि जो देश अब तक अपनी अधिकांश रक्षा जरूरतें कुछ दूसरे विकसित देशों से आयात करके पूरी करता था, वह अब रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से कदम बढ़ाते हुए दूसरे देशों को सैन्य साजो-सामान निर्यात करने की ओर भी कदम बढ़ा रहा है।
आकाश मिसाइल डीआरडीओ द्वारा विकसित और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित एक मध्यम दूरी की मोबाइल सैम (सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल) प्रणाली है, जो 18 हजार फुट तक की ऊंचाई पर 30-80 किलोमीटर दूर तक निशाना लगा सकती है। आकाश मिसाइल के विभिन्न संस्करणों में लड़ाकू जेट, हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल, क्रूज मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइल जैसे हवाई लक्ष्यों को बेअसर करने की विलक्षण क्षमता है।
भारतीय थलसेना और भारतीय वायुसेना में आकाश एमके-1 (Aakash Prime) तथा आकाश एमके-1एस की कई स्क्वाड्रन तो पहले से ही कार्यरत हैं। चीन के साथ हुए सीमा विवाद के दौरान गत वर्ष आकाश मिसाइल के कुछ संस्करणों को लद्दाख में एलएएसी पर भी तैनात किया गया था। इसके अलावा भारतीय वायुसेना द्वारा ग्वालियर, जलपाईगुड़ी, तेजपुर, जोरहाट, पुणे एयरबेस पर भी आकाश मिसाइलें तैनात की गई हैं। भारत में अभी तक आकाश मिसाइल के कुल तीन वैरिएंट मौजूद थे, जिनमें 30 किलोमीटर रेंज वाली ‘आकाश एमके1’, 40 किलोमीटर रेंज वाली ‘आकाश एमके1एस’ और 80 किलोमीटर रेंज की ‘आकाश-एनजी’ मिसाइलें शामिल थी।
अब चौथा संस्करण ‘आकाश प्राइम’ भी आकाश मिसाइलों की इस श्रृंखला में जुड़ गया है। आकाश एमके1 और एमके1एस सभी मौसम में कम, मध्यम और ऊंचाई से प्रवेश करने वाले मध्यम दूरी के हवाई लक्ष्यों के खिलाफ एक वायु रक्षा हथियार प्रणाली (एयर डिफेंस वेपन सिस्टम) है लेकिन आकाश प्राइम मिसाइल को इस तरह से तैयार किया गया है कि यह ऐसी परिस्थितियों से और भी बेहतर तरीके से निपट सके।
21 जुलाई 2021 को आकाश मिसाइल के अपडेटेड वर्जन ‘आकाश-एनजी’ (आकाश न्यू-जनरेशन) का भी सफल परीक्षण किया जा चुका है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) द्वारा विकसित किया गया और भारत इलैक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) तथा भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) द्वारा इसका उत्पादन किया जा रहा है। सतह से हवा में मार करने वाली भारतीय वायुसेना के लिए बनाई गई 19 फुट लंबी, 720 किलोग्राम वजनी और 1.16 फुट व्यास वाली आकाश-एनजी मिसाइल अपने साथ 60 किलोग्राम वजन के हथियार ले जा सकती है और 20 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाकर करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्य को भी भेद सकती है।
इसकी रेंज 40 से 80 किलोमीटर है। आकाश सीरिज की यह मिसाइल दुश्मन को बचने की तैयारी का कोई अवसर नहीं देती क्योंकि इसकी गति 3.5 मैक अर्थात् 4321 किलोमीटर प्रतिघंटा है यानी यह महज एक सेंकेंड में ही सवा किलोमीटर की दूरी तय करती है। इस मिसाइल को बनाने की अनुमति वर्ष 2016 में मिली थी, जिसमें डुअल पल्स सॉलिड रॉकेट मोटर है, जो इसकी गति को बढ़ाती है। इसके अलावा इसमें एक साथ कई दुश्मन मिसाइलों या विमानों को स्कैन करने के लिए एक्टिव इलैक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे मल्टी फंक्शन राडार (एमएफआर) लगा है।
डीआरडीओ द्वारा अब सतह से हवा में आसानी से अपने लक्ष्य को भेद सकने में सक्षम आकाश मिसाइल के जिस नए संस्करण ‘आकाश प्राइम’ का सफल परीक्षण किया गया है, वह पहले से मौजूद आकाश मिसाइल प्रणाली से कई मायनों में आधुनिक और बेहतर है। 560 सेंटीमीटर लंबी तथा 35 सेंटीमीटर चौड़ी आकाश प्राइम मिसाइल में कई अत्याधुनिक साजो-सामान जोड़े गए हैं और यह मिसाइल 60 किलोग्राम वजन तक के विस्फोटक अपने साथ ले जाने की ताकत रखती है।
यह भारत की बेहद शक्तिशाली और तीव्र गति से हमला करने वाली मिसाइल है। आकाश प्राइम (Aakash Prime) में आकाश मिसाइल के पुराने वर्जन में कई महत्वपूर्ण सुधार करते हुए ग्राउंड सिस्टम तथा अत्यधिक ऊंचाई पर जाने के बाद तापमान नियंत्रण के यंत्र को अपग्रेड किया गया है। इसके अलावा रडार, ईओटीएस तथा टेलीमेट्री स्टेशन, मिसाइल ट्रैजेक्टरी और फ्लाइट पैरामीटर्स को भी सुधारा गया है। कुछ रक्षा विश्लेषकों के मुताबिक वास्तव में इसे आकाश एमके1एस को फिर से री-डिजाइन करके तैयार किया गया है, जिसका भारतीय सेना द्वारा पांच बार परीक्षण किया जा चुका है और आज के समय की मांग को देखते हुए आकाश प्राइम पूरी तरह सक्षम है।
आकाश प्राइम में स्वदेशी एक्टिव आरएफ सीकर (रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर) लगा है, जो दुश्मन के टारगेट को पहचानने की सटीकता और इसकी मारक क्षमता को बढ़ाता है। आरएफ सीकर यह सुनिश्चित करता है कि मिसाइल जिस लक्ष्य पर दागी गई है, वह हिट हो। आकाश प्राइम मिसाइल अपने लक्ष्य को अधिक सटीक तरीके से भेदने में सक्षम है, जिसमें अधिक ऊंचाई वाले स्थानों में विषम जलवायु परिस्थितियों से निपटने के लिए रडार और ट्रैकिंग के साथ लांच सिस्टम के लिए कई अतिरिक्त फीचर्स भी मौजूद हैं।
इनमें -20 डिग्री सेल्सियस से 60 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी बखूबी कार्य करने वाली बैटरियों की सुविधा होगी, जो इन्हें ठंडे मौसम की स्थिति में उपयोग के लिए व्यावहारिक बनाती है, जहां वायु रक्षा प्रणाली को लंबी अवधि के लिए विपरीत जलवायु में तैनात किया जाता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार तथा सामरिक मामलों के विश्लेषक हैं)