दलहन-तिलहन फसल को बढ़ावा देने सरकार चला रही है कई महत्वाकांक्षी योजनाएं |

दलहन-तिलहन फसल को बढ़ावा देने सरकार चला रही है कई महत्वाकांक्षी योजनाएं

Government is running many ambitious schemes to promote pulses and oilseeds

Pulse Crop

Pulse Crop : चना, उड़द एवं मूंग की खेती से बढ़ा रक़बा और आमदनी

रायपुर/जगदलपुर। Pulse Crop : छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश के किसानों को धान की फसल के बाद दलहन, तिलहन फसल लेने के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रही है। साथ ही कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग शासन की सभी योजनाओं का लाभ जरूरतमंद किसानों को मिले इस ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

सरकार द्वारा प्रदेश के किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने तथा फसल उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं चलायी जा रही हैं। इसका उत्साहजनक परिणाम भी सामने आने लगा है। बस्तर जिले में मुख्य रूप से चना, उड़द एवं मूंग की खेती है। जिससे दलहनी फसलों का क्षेत्र वर्ष 2015-16 में 2674 हेक्टेयर से बढ़कर 2020-21 में 3503 हेक्टेयर हो गया है।

कृषकों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण

बस्तर जिले में कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों द्वारा कृषकों को प्रशिक्षण एवं फसल प्रदर्शन कार्यक्रम के माध्यम से बताया जा रहा है कि दलहनी फसल (Pulse Crop) लेने से खेत में मिट्टी की उर्वरकता बनी रहती है। इसके साथ ही उनको अच्छा उत्पादन भी मिलता है। दलहनी फसलों की जड़ों में बने राइजोबियम गांठ में नाइट्रोजन फिक्स रहता है, जो खेती की मिट्टी की उर्वरता शक्ति को बढ़ाता है। जिससे किसानों के खेतों की अगली फसल के लिए लाभकारी होता है।

बस्तर जिले में विगत कई वर्षाे से वर्षा आधारित परंपरागत धान की खेती करते आ रहे किसानों को कृषि विभाग के मैदानी अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा सतत् संपर्क किया जा रहा है। किसानों को दलहन फसल और सूक्ष्म सिंचाई योजनान्तर्गत स्प्रिंकलर प्रदान किया जा रहा है। साथ ही सौर सुजला योजनान्तर्गत सोलर पंप प्रदान कर लाभ लेने हेतु प्रेरित भी किया जा रहा है।

दलहन फसलों से बढ़ी आमदनी

विकासखंड बकावंड के ग्राम चितालूर निवासी 50 वर्षीय कृषक सोनाधर कश्यप को विभागीय प्रशिक्षण के माध्यम से दलहनी फसलों की खेती के लिए प्रेरित हुए। सोनाधर द्वारा वर्ष 2020 में कृषि विभाग के आत्मा एवं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत मसूर, चना, उड़द प्रदर्शन दिया गया है।

समय-समय पर कृषक को कीट-व्याधी नियंत्रण एवं उर्वरक की जानकारी दी गयी। जिससे सोनाधर को मसूर के 0.73 हेक्टयर क्षेत्र रकबा में 18 हजार 615 रूपए का आय चना 0.6 हेक्टयर रकबा क्षेत्र में 35 हजार 700 रूपए का आय व उड़द के 0.5 हेक्टयर रकबा क्षेत्र में 24 हजार रूपए का आय हुआ।

इस प्रकार दलहनी फसल उत्पादन से एक वर्ष में कुल राशि 78 हजार 315 का आय प्राप्त हुआ। दूसरे किसानो को प्राप्त अच्छा उत्पादन देखकर ग्राम के अन्य कृषक भी दलहन उत्पादन हेतु प्रोत्साहित हो रहे है।

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