CIL Capital Expenditure : कोल इंडिया ने वित्त वर्ष 2021 के लिए रखा 13 हजार करोड़ के पूंजीगत व्यय का लक्ष्य

CIL Capital Expenditure : कोल इंडिया ने वित्त वर्ष 2021 के लिए रखा 13 हजार करोड़ के पूंजीगत व्यय का लक्ष्य

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CIL Capital Expenditure : 2020 में 8000 करोड़ दर्ज किया गया पूंजीगत व्यय


नई दिल्ली/ए.। CIL Capital Expenditure : कोविड-19 महामारी के कारण भारतीय बाजार में पैदा हुई नकदी प्रवाह (कैश-फ्लो) की समस्याओं के बावजूद दिसंबर 2020 तक कोल इंडिया का पूंजीगत व्यय (कैपिटल एकस्पेंडिचर) 8,000 करोड़ रुपये दर्ज किया गया।

हाल ही में कंपनी के प्रवक्ता ने बताया है कि कोल इंडिया (CIL Capital Expenditure) नए वित्त वर्ष के लिए अपने लक्ष्य को संशोधित कर 13,000 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) कर रहा है। यह लक्ष्य वित्त वर्ष 2021 के अंत तक के लिए निर्धारित किया गया है। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 की वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट से भारत समेत दुनियाभर में आर्थिक मशीनरी थम गई थी।

भारत सरकार ने दिए हैं पूंजीगत व्यय बढ़ाने के निर्देश

अब अर्थव्यवस्था को फिर से बहाल करने और चलाने के लिए भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को अपने पूंजीगत व्यय बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। कोल इंडिया लिमिटेड के प्रवक्ता ने बयान में कहा कि भारत सरकार ने पूंजीगत व्यय लक्ष्य बढ़ाकर 13,000 करोड़ रुपए कर दिया है।

उन्होंने आगे बताया कि कंपनी दिसम्बर 2020 में 8,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर चुकी है और जल्द ही 10,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार करने वाली है। भारत की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए, कंपनी वित्तीय वर्ष 2021 के अंत तक 13,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को छूने का लक्ष्य बना रही है।

इसलिए रही कोयले की मांग

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि कोयले की मांग मुख्य रूप से रेलवे लाइनों की स्थापना, भारी मिट्टी की खुदाई और ढुलाई करने वाले भारी इन्फ्रास्ट्रक्चर मशीनरी की खरीद, संयुक्त उपक्रमों में निवेश और अन्वेषण कार्यों के लिए खर्च के कारण थी। हालांकि, कोल इंडिया लिमिटेड पूंजीगत व्यय के लिए अव्यवस्थित और अनियमित नकदी प्रवाह की मुख्य समस्या से निपट रहा है।

फिर आएगी मांग में तेजी

जैसे ही महामारी घटेगी और अर्थव्यवस्था फिर से ऊपर उठेगी, तो कोयले की मांग बढ़ेगी। जैसा कि विश्लेषकों का सुझाव है कि भले ही भारत भविष्य के लिए कोयला आधारित पॉवर प्लांट्स का निर्माण शुरू नहीं करता है, तो भी इस बात की संभावना अधिक है कि वर्ष 2030 तक देश का लगभग 50फीसदी बिजली का उत्पादन कोयले से किया जायेगा।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाभ की उम्मीद

सीआईएल के प्रवक्ता ने बताया कि ब्रूकिंग्स डॉट एडू की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि हम प्रति व्यक्ति खपत को सामान्यीकृत कर लेते हैं, तो वास्तव में भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोयले की अपेक्षाकृत बड़ी मात्रा का लाभ मिलेगा। कोल इंडिया लिमिटेड का कहना है कि अतिरिक्त कोयले की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए, खननकर्ता को उस कोयले की लागत को तर्कसंगत बनाना होगा, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्रोतों से आयातित शुष्क ईंधन की जगह उपयोग किया जाना है।

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