chanakya neeti: परोपकारहीन का जीवन व्यर्थ है : आचार्य चाणक्य
chanakya neeti: परोपकार की महिमा और शक्ति अद्भुत है, परोपकारी मनुष्य के दुःख नष्ट होते हैं और वैभव की प्राप्ति होती है। अतः मनुष्य को परोपकार की प्रवृत्ति अपनानी चाहिए, परोपकारहीन व्यक्ति का जीवन निरर्थक होता है।
विद्वान और गुणी व्यक्ति का आदर हर जगह होता है। एक भी गुण होने पर मनुष्य की ख्याति फैल सकती है। (chanakya neeti) वह इकलौता गुण उसके अवगुणों व दोषों को दूर कर देता है। ठीक उसी तरह जैसे के ‘कतकि’ जो हर समय सांपों से घिरी रहती है और फल भी नहीं लगते, उसमें कांटे भी बहुत होते हैं और सीधी भी नहीं होती।
कीचड़ में पैदा होती है और आसानी से नहीं मिलती। (chanakya neeti) इस प्रकार इतने सारे अवगुण रखने वाली केतकि में सभी प्राणियों के मोह लेने वाली गन्ध के रूप में ऐसा गुण होता है कि सभी उसके दोषों को उपेक्षा करके उसे पाने के लिए लालायित रहते हैं।
आचार्य चाणक्य के कथनानुसार यह सिद्धान्त इस बात की पुष्टि करता है कि एक प्रखर गुण अनेक अवगुणों की उपेक्षा करने में समर्थ होता है।