CG Butterfly : छग को प्रकृति की बड़ी सौगात, मिली देश की दूसरी सबसे बड़ी तितली
जितेंद्र नामदेव/ नवप्रदेश। छत्तीसगढ़ (cg butterfly) के भोरमदेव अभयारण्य को प्रकृति लगातार अपने नायाब तोहफे देते आ रही है। 2016 में भोरमदेव अभयारण्य (bhoramdev sanctuary butterfly) में दुर्लभ प्रजाति की छिपकलियां मिली थीं तो वहीं अब यहां भारत की आकार में दूसरे नंबर की सबसे बड़ी तितली (second largest butterfly of india in cg) ‘ब्लू मोर्माेन (blue mormon) ‘ मिली है।
जैविक विविधता, वन संपदा, प्रचुर लघु वनोपज, असंख्य आयुर्वेदिक जड़ी बुटियों के लिए सुप्रसिद्ध छत्तीसगढ़ की मैकल पर्वत श्रृंखला का भोरमदेव वन्य प्राणी अभयारण्य अब तितलियों की विभिन्न दुर्लभ और विलुप्त प्रजातियों के बसेरे के लिए देश मे मशहूर होने जा रहा है। इस अभयारण्य (bhoramdev sanctuary butterfly) में खोज के दौरान भारत में विलुप्त हो रही तितलियों की दुर्लभ प्रजाति ‘स्पॉटेड एंगल’ को भी देखा गया।
जबकि इससे पहले जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के द्वारा छत्तीसगढ़ (cg butterfly) के इस अभयारण्य में किए गए सर्वे की रिपोर्ट में स्पॉटेड एंगल तितली का जिक्र नहीं है। छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के बाद अब भोरमदेव अभ्यारण में तितलियों की दुर्लभ प्रजातियां जैसे- ‘एंगल पेरोट तथा ओरिएंटल चेस्टनट एंगल’ को देखा गया है।
आकार में भारत की दूसरे नंबर की सबसे बड़ी तितली (second largest butterfly of india in cg) ‘ब्लू मॉर्मोन’ (blue mormon) को भी भोरमदेव अभ्यारण्य में वन अधिकारियों तथा वन्य प्राणी में रुचि रखने वाली टीम के द्वारा वन क्षेत्र में भ्रमण के दौरान पाया गया है।
2016 में मिली थीं दुर्लभ प्रजाति की छिपकलियां
छत्तीसगढ़ (cg butterfly) के भोरमदेव अभ्यारण्य क्षेत्र में दुर्लभ प्रजाति की छिपकलियां वर्ष 2016 में मिली थीं। ये छिपकलीयां तीन स्थानों पर पाई गईं। इनमें जामुनपानी, बांधा सहित एक और स्थान शामिल है। वर्ष 2016 में मिली विभागीय जानकारी के अनुसार छिपकलीयों की प्रजातियां लगभग 45 प्रकार की होती है। 2016 में मिली इन छिपकलियों की लंबाई नाप के दौरान लगभग 9 इंच, चैड़ाई लगभग 3 इंच थी।
बताया जा रहा था कि ये छिपकलियां जहरीली नहीं हैं। इनकी आखों का रंग काला व हल्के भूरे रंग का है। इन छिपकलीयों को जांच के लिए जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया कोलकाता भेजा गया था।
ऐसे हुई स्पॉटेड एंगल की खोज
वर्षा ऋतु के बाद अभयारण्य में शुरू होने वाले कार्यों के स्थल निरीक्षण में भ्रमण के दौरान वन मंडल अधिकारी दिलराज प्रभाकर, अधीक्षक मनोज कुमार शाह, परिक्षेत्र अधिकारी चिल्फी देवेंद्र गोंड, पर्यटन, पर्यावरण तथा वन्य प्राणी के व्यवहार में अध्ययन के साथ-साथ वन्य प्राणी रैस्क्यू में विशेष रुचि रखने वाले गौरव निल्हनी तथा वन्य प्राणी पशु चिकित्सक डॉक्टर सोनम मिश्रा एवं अन्य वन अधिकारियों की टीम ने तितली की दुर्लभ प्रजाति ‘स्पॉटेड एंगल’ की खोज की है।
90 से अधिक प्रजाति की तितलियों का बसेरा
मैकल पर्वत श्रंखला के मध्य 352 वर्ग किलोमीटर में फैले भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण अनेक वन्यजीवों, पक्षियों, सरीसृपों तथा दुर्लभ वनस्पतियों का प्राकृतिक आवास है। इस अभ्यारण में लगभग 90 से अधिक प्रजाति की तितलियों को देखा जा सकता है। इनमें से ओरिएंटल चेस्टनट एंजल, एंगेल्ड पैरोट, कॉमन गल, कॉमन मॉर्मोन, चॉकलेट पेंसी, स्टाफ सार्जेंट, स्पॉटेड एंगल, कॉमन कैस्टर, कॉमन लेपर्ड, कॉमन वंडर्र, कॉमन जे, ब्लू मार्मोन, डेंगी बुश ब्राउन, ग्रेप पेनसी प्रमुख हैं।
विश्व में तितलियों और पतंगों की 2 लाख से अधिक प्रजातियां
तितलियां पृथ्वी की जैव विविधता की सबसे विशिष्ट प्रजातियों में से एक है। माना जाता है कि इनका अस्तित्व पृथ्वी पर लगभग 5 करोड़ वर्ष पहले से या उससे भी पहले से है। विश्व में तितलियों और पतंगों की लगभग 2 लाख 50 हजार से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं जो कि अब तक की ज्ञात प्रजातियों में से एक चैथाई के बराबर है। तितलियों के अति संवेदनशील गुणों के कारण इन्हें जैवविविधता परिवर्तन सूचक के नाम से भी जाना जाता है।