Supreme Court ने पूछा- हैदराबाद मुठभेड़ से कैसे अलग था विकास एनकाउंटर

Supreme Court ने पूछा- हैदराबाद मुठभेड़ से कैसे अलग था विकास एनकाउंटर

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Supreme court का सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सवाल

नई दिल्ली/(वार्ता)। उच्चतम न्यायालय (supreme court) उत्तर प्रदेश के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के मुठभेड़ (vikas dubey ecnounter) मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की ओर से गठित न्यायिक आयोग को पुनर्गठित करेगा और इस बारे में बुधवार को आदेश जारी करेगा। न्यायालय ने तेलंगाना के हैदराबाद में हुई मुठभेड़ (hyderabad encounter) की तुलना जब दुबे की मुठभेड़ से की तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दोनों मुठभेड़ को एक जैसा नहीं समझा जाना चाहिए। इस पर न्यायमूर्ति बोबडे ने पूछा, ‘मिस्टर सॉलिसिटर जनरल हमें बताइये कि यह हैदराबाद मुठभेड़ (hyderabad encounter) से किस तरह अलग है?

उन्होंने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी होती है राज्य में कानून व्यवस्था कायम करना। मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रमासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हरीश साल्वे की दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह राज्य सरकार की ओर से गठित जांच आयोग का पुनर्गठन करके उसमें शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को जोड़ेगी।

राज्य सरकार ने विकास दुबे मुठभेड़ (vikas dubey ecnounter) मामले जांच आयोग के पुनर्गठन को लेकर हामी भरी, उसके बाद न्यायालय ने बुधवार को सुनवाई की तारीख मुकर्रर करते हुए मेहता को संबंधित अधिसूचना का मसौदा उस दिन पेश करने का निर्देश दिया।

खंडपीठ ने कहा कि वह मसौदा देखने के बाद आदेश जारी करेगी। न्यायालय पेशे से वकील घनश्याम उपाध्याय, अनूप प्रकाश अवस्थी, विवेक तिवारी के अलावा गैर-सरकारी संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) तथा कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई कर रही थी।

जमानत संबंधी सभी आदेश मांगे कोर्ट ने

इससे पहले सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था के हालात पर कई सवाल खड़े किए। मेहता ने जब न्यायालय (supreme court) को बताया कि दुबे पर 65 मामले दर्ज थे और वह पैरोल पर बाहर था। इस पर न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि विकास दुबे क्या था, यह न्यायालय को मत बताइये। उन्होंने कहा, ‘आप यह बताइये कि इतनी वारदात को अंजाम देने के बाद भी वह जमानत पर बाहर कैसे था?’ न्यायालय ने उसकी जमानत संबंधी सारे आदेश सरकार से मांगे।


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