China की एक ही कंपनी के रैपिड टेस्ट किट के अलग-अलग दाम क्यों : आफताब |

China की एक ही कंपनी के रैपिड टेस्ट किट के अलग-अलग दाम क्यों : आफताब

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कांग्रेस नेता ने कहा- चीन की जिस कंपनी केंद्र ने 795 में खरीदी एक किट उसी कंपनी से आंध्र प्रदेश सरकार ने 640 रुपए में खरीदा

रायपुर/नवप्रदेश। चीन (china) की एक ही कंपनी द्वारा बनाई रैपिड टेस्ट (rapid test kit)किट केे अलग-अलग दााम (rate difference) कैसे हैं? कांग्रेस नेता आफताब आलम (congress leader aftam alam) ने यह सवाल उठाया है।

आलम (congress leader aftab alam) ने कहा कि चीन (china) से आयतित हुई नकली किट्स केंद्र सरकार ने 795 प्रति किट केे हिसाब से खरीदी। कर्नाटक की भाजपा सरकार ने भी उक्त राशि में ही खरीदी की। लेकिन आंध्र प्रदेश सरकार ने इसी कंपनी से 640 रुपए में खरीदी। अब यह सवाल खड़ा हो रहा है कि चीनी कंपनी की किट के अलग-अलग दाम (rate difference) क्यों है। आलम ने केंद्र सरकार द्वारा उक्त खरीदी की जांच की मांग करते कहा है कि खरीदी के लिए पारदर्शिता क्यों नहीं बरती गई।

आईसीएमआर मान रही बिना टेंडर के हुई खरीदी : आलम

कांग्रेस नेता आफताब आलम ने कहा कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने हाल ही में चीन से मंगाई रैपिड टेस्ट किट का उपयोग न करने की एडवाइजरी जारी की है। इन किट में कोरोना जांच के नतीजे गड़बड़ पाए गए हैं।

आफताब ने कहा कि अब आईसीएमआर खुद मान रहा है कि बिना टेंडर के चीनी अफसरों की बात मानकर किट्स सीधे ऑर्डर कर दिए गए। चीन (china) से आयतित हुई नकली किट्स केंद्र सरकार ने 795 प्रति किट केे हिसाब से खरीदी। लेकिन आंध्र सरकार ने इसी कंपनी से 640 रुपए में खरीदी। चीनी कंपनी की किट के अलग-अलग दाम क्यों है। केंद्र सरकार के अधीनस्थ आईसीएमआर ने टेंडर क्यों जारी नहीं किया तथा टेस्ट किट की गुणवत्ता की जांच कौन कर रहा है।

‘छग सरकार द्वारा खरीदी जांच किट के नतीजे अच्छे’

जबकि हरियाणा के मानेसर स्थित दक्षिण कोरिया की फर्म एसडी बायो सेंसर रैपिड टेस्टिंग किट करीब 380 रुपए प्रति किट के हिसाब से बेच रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसी कंपनी से 337 रुपएकी दर पर खरीदी की और जिसके टेस्ट नतीजे में काफी अच्छे हैं।

‘खरीदी के लिए पारदर्शिता क्यों नहीं बरती गई’

आलम ने केंद्र सरकार द्वारा उक्त खरीदी की जांच की मांग करते कहा है कि खरीदी के लिए पारदर्शिता क्यों नहीं बरती गई। खरीदी से पूर्व इसकी प्रामणिकता का मूल्यांकन क्यों नहीं किया गया। आलम ने गंभीर सवाल उठाते कहा कि प्रधानमंत्री केयर फंड समिति में नेता प्रतिपक्ष को क्यों शामिल नहीं किया गया।

उन्होंने कहा कि पीएम केयर फंड का कैग द्वारा ऑडिट नहीं कराने का प्रावधान क्यों रखा गया है। प्रधानमंत्री केयर फंड को आरटीआई के दायरे से क्यों बाहर रखा गया है। आलम ने कहा कि क्या देश की जनता को यह जानने का हक नहीं है कि पीएम केयर फंड में कितनी धनराशि जमा हुई है और उसका कहां-कहां उपयोग किया जा रहा है।

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