संपादकीय: प्रशांत किशोर को लेकर अटकलें तेज
Speculation about Prashant Kishor intensifies
Editorial: चर्चित चुनावी रणनीतिकार और जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर को लेकर सियासी गलियारे में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। प्रशांत किशोर ने हाल ही में कांग्रेस की सांसद और कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी के साथ एक गुप्त बैठक की जो लगभग दो घंटे तक चली। इस बैठक में दोनों के बीच क्या बात हुई इसका कोई खुलासा दोनों ने ही नहीं किया है। जब इस बारे में प्रियंका गांधी से पत्रकारों ने प्रश्न किया तो उन्होंने कहा कि यह भी कोई खबर है क्या। किन्तु उन्होंने प्रशांत किशोर की मुलाकात की बात को नकारा नहीं है।
जाहिर है इन दोनों के बीच कोई गंभीर मंत्रणा हुई है। जिसका आगे चलकर पता चलेगा। फिलहाल इस बैठक को लेकर तरह तरह के कयास लगाये जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि बिहार विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त खाने वाले प्रशांत किशोर अब एक बार फिर कांग्रेस के साथ ही गठजोड़ करने की फिराक में हैं।
गौरतलब है कि प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज ने बिहार में 234 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाये थे। 232 सीटों पर पर तो जनसुराज पार्टी की जमानत ही जब्त हो गई थी। इसके बाद प्रशांत किशोर को इस बात का एहसास हो गया है कि क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी बनाना और उसे चलाना आसान नहीं है। इसलिए वे कांग्रेस पार्टी में जनसुराज पार्टी का विलय करने की कवायद में लगे हैं। बशर्तें कांग्रेस पार्टी उन्हें संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर कोई महत्वपूर्ण पद दे दें।
इसीलिए उन्होंने प्रियंका गांधी के साथ मुलाकात की होगी। किन्तु कांग्रेस में प्रशांत किशोर की घुसपैठ आसान नहीं है। प्रशांत किशोर चार साल पहले ऐसी एक कोशिश कर चुके हैं। उस समय उन्होंने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के सामने एक प्रेजेन्टेशन दिया था और कहा था कि यदि कांग्रेस पार्टी उन्हें संगठन मे बड़ा ओहदा देती है तो वे कांग्रेस को पूरे देश में मजबूत कर सकते हैं।
उनके प्रेजेन्टेशन से उस समय प्रियंका गांधी ही ज्यादा प्रभावित हुई थी किन्तु राहुल गांधी को प्रशांत किशोर की शर्तें स्वीकार नहीं हुई थी। नतीजतन प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति पर अपना ध्यान केन्द्रित कर लिया था और जनसुराज पार्टी बनाकर अपनी अलग दुकान खोल ली थी किन्तु जब वे बिहार की राजनीति में सफल नहीं हुए तो वे फिर से कांग्रेस में अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा कि प्रशांत किशोर की कांग्रेस में दाल गल पाती है या नहीं।
