साय के राजनीतिक कौशल और रणनीतिक सूझबूझ का शानदार कॉम्बो पैक है छग केबिनेट का विस्तार

- छत्तीसगढ़ की पॉलिटिक्स में सर्वमान्य नेता का आभामंडल गढ़ने में सफल रहे विष्णु
- साय को केंद्रीय नेतृत्व से मिली नई ताकत
यशवंत धोटे
रायपुर/नवप्रदेश। expansion of the CG cabinet: छत्तीसगढ़ राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार और पुनर्गठन हो चुका है। आज सुबह राजभवन में आयोजित संक्षिप्त कार्यक्रम में तीन नए मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। मंत्रियों के विभागों का बंटवारा भी कर दिया गया है। नए मंत्रियों को विभागों का बंटवारा करते समय सीएम विष्णुदेव साय सहित कई मंत्रियों के विभागों में आंशिक फेरबदल भी किया गया है। नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण से लेकर केबिनेट पुनर्गठन की प्रक्रिया में विष्णुदेव साय के राजनीतिक कौशल के साथ ही रणनीतिक सूझबूझ की झलक साफ नजर आ रही है।
केबिनेट विस्तार में अनुभवी और तेजतर्रार विधायकों की भारी-भरकम फौज के बीच में से तीन नए नवेले विधायकों को मंत्री बनाने का फैसला करना आसान नहीं था। लेकिन, मंत्रिमंडल में शामिल करने नए विधायकों को चुनने में साय ने राजनीतिक कौशल दिखाया है। केबिनेट विस्तार में पहली बार विधायक बने दुर्ग के गजेंद्र यादव, अंबिकापुर के राजेश अग्रवाल और आरंग के विधायक गुरु खुशवंत साहेब को केबिनेट मंत्री (expansion of the CG cabinet) की शपथ दिलाई गई है। तीनों नए चेहरे को केबिनेट में शामिल करने के पीछे के साय के राजनीतिक गणित को समझना जरूरी है। आरएसएस के प्रांत संघ चालक रह चुके बिसरा राम यादव काफी ताकतवर संगठक रहे हैं। आरएसएस चीफ मोहन भागवत के बेहद करीबी होने के कारण ही उनके पुत्र गजेंद्र यादव को विधायक की टिकट मिली। गजेंद्र की जीत के बाद से मंत्री बनाए जाने की अटकलें लगने की वजह भी यही रही। सरकार के गठन के डेढ़ साल बाद अब गजेंद्र का नया राजनीतिक सफर मंत्री के रूप में शुरू हुआ है।
अंबिकापुर के विधायक राजेश अग्रवाल ने भूपेश सरकार के सबसे पॉवरफुल नेताओं में से एक टीएस सिंहदेव को हराया था। बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बनने के बाद से तय माना जा रहा था कि रिक्त स्थान पर सामान्य वर्ग के विधायक को ही केबिनेट में जगह मिलेगी। अग्रवाल को ही मिलेगी। अग्रवाल समाज को साधने की रणनीति के तहत बृजमोहन अग्रवाल की जगह राजेश अग्रवाल को मंत्री बनाया गया। इसी तरह गुरु खुशवंत साहेब ने आरंग के एक और ताकतवर मंत्री शिव डहरिया को हराया था। गुरु खुशवंत साहेब सतनामी समाज के गुरु भी हैं। उनका सामाजिक-धार्मिक आधार मजबूत होने के कारण गुरु को केबिनेट में जगह दी गई।
नए छत्तीसगढ़ का तानाबाना गढऩे की ललक
केबिनेट विस्तार से पहले सीएम विष्णुदेव साय के पास शिक्षा, परिवहन और आबकारी जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय थे। साय ने एक झटके में इन मंत्रालयों को छोड़ दिया। केबिनेट विस्तार के माध्यम से साय ने यह संदेश भी दे दिया कि उन्हें मलाईदार विभागों का मोह नहीं है। बल्कि उन्होंने केदार कश्यप से जल संसाधन मंत्रालय लेकर राज्य के लंबित ठ शेष पृष्ठ 6 पर
सिंचाई परियोजनाओं के दीर्घकालीन अधोसरचना विकास को गढऩे की कोशिश की है। शुरुआती डेढ़ साल के कार्यकाल में सुशासन गढऩे में कामयाब रहे साय अब नए छत्तीसगढ़ का तानाबाना गढऩे की ललक के साथ बचा कार्यकाल पूरा करना चाहते हैं।
केंद्र सरकार में केंद्रीय इस्पात मंत्री का दायित्व सफलता से निभा चुके साय ने मुख्यमंत्री बनने के बाद छत्तीसगढ़ को साइंस और टेक्नॉलाजी के साथ-साथ आईटी सेक्टर और इंडस्ट्रियल ग्रोथ के शिखर पर ले जाने पर फोकस किया है। सादगी और सरलता के साथ सुशासन सरकार का पर्याय बन चुके विष्णु अब फ्री होकर छत्तीसगढ़ को नई ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं। राज्य निर्माण के बाद से छत्तीसगढ़ को पिछड़े राज्य के रूप में ही आंका गया है। राज्य निर्माण के 25 वें साल में साय हमर छत्तीसगढ़ को आर्थिक रूप से समृद्ध राज्य बनाने का सपना देख रहे हैं। डेढ़ साल के कार्यकाल के बाद अब केबिनेट विस्तार में विष्णुदेव साय के इस सपने को हकीकत में बदलने की संकल्प शक्ति दिख रही है।
आंखे तरेरने वाले विधायकों को भाजपा ने दिया कड़ा संदेश
विधानसभा के भीतर और बाहर पार्टी के कई अनुभवी विधायकों ने साय सरकार को समय-समय पर आंखे दिखाने से परहेज नहीं किया। कड़े तेवरों के साथ इशारों-इशारों में संकेत देने की कोशिश की गई कि केबिनेट में शामिल न करने पर ऐसे साइड इफेक्ट से सरकार को जूझना पड़ेगा। लेकिन, साय ने नए चेहरों को मौका देकर एक बार फिर साबित कर दिया कि वे प्रेशर पॉलिटिक्स बर्दाश्त नहीं करते। बेहद अनुभवी विधायकों में शामिल अजय चंद्राकर, राजेश मूणत, अमर अग्रवाल, धरमलाल कौशिक जैसे अनुभवी चेहरों को नजरअंदाज कर भाजपा ने कड़ा संदेश दिया है। मंत्रिमंडल विस्तार से साफ है कि भाजपा हर हाल में दाग या दागदार छवि से दूर रहना चाहती है। रमन कार्यकाल के दौरान कई मंत्रियों को लगातार 15 साल तक काफी मलाईदार विभाग बार-बार दिये गए। केबिनेट विस्तार के बाद छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के चौथे कार्यकाल में उस चौकड़ी का पूरी तरह सफाया हो चुका है।
महज डेढ़ साल के कार्यकाल में रचा नया आभामंडल
कार्यकाल के शुरुआती डेढ़ साल के कार्यकाल में सुशासन की छवि गढ़ते रहे सीएम साय के रणनीतिक कौशल की बानगी को समझना जरूरी है। साय ने बचे साढ़े तीन साल के कार्यकाल में पॉवरगेम से ज्यादा ब्रेन गेम पर फोकस किया है। कई महत्वपूर्ण विभाग साय ने छोड़ दिये हैं। दरअसल यह माना जा रहा है कि केंद्रीय भाजपा नेतृत्व ने साय को फ्री हैंड करने के साथ ही ताकत और ऊर्जा भी दी है। साय केंद्र सरकार में इस्पात मंत्री का पद संभाल चुके हैं। समर्पण और सेवा के साथ निष्ठा से कार्य करने की अनूठी शैली के कारण ही उनका केंद्रीय मंत्री का कार्यकाल पूरी तरह बेदाग रहा। अब मुख्यमंत्री के रूप में साय ने महज डेढ़ साल के कार्यकाल में नया आभामंडल रचा है। प्रदेश भाजपा संगठन के पुनर्गठन के बाद अब केबिनेट विस्तार कर साय छत्तीसगढ़ की सियासत में सर्वमान्य नेता के रूप में उभरे हैं।
मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा
साय सरकार के मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा कर दिया गया है। पुराने मंत्रियों के विभाग में बड़ा फेरबदल किया गया है। नए मंत्री गजेंद्र यादव को स्कूल शिक्षा, ग्रामोद्योग, विधि एवं विधायी कार्य विभाग सौंपा गया है। गुरु खुशवंत साहेब को कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार, अनुसूचित जाति विकास विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं राजेश अग्रवाल को पर्यटन, संस्कृति, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग सौंपा गया है। मंत्री लखन लाल देवांगन को आबकारी विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। मंत्री केदार कश्यप को परिवहन विभाग का जिम्मा दिया गया है।
मंत्री – पद विभाग
- विष्णु देव साय मुख्यमंत्री – सामान्य प्रशासन, खनिज साधन, ऊर्जा,जनसंपर्क, जल संसाधन, विमानन, सुशासन एवं अभिसरण, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी, जन शिकायत एवं निवारण, अन्य विभाग (जो किसी मंत्री को आबंटित न हो)
- अरुण साव उप मुख्यमंत्री – लोक निर्माण, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, नगरीय प्रशासन एवं विकास, खेल एवं युवा कल्याण
- विजय शर्मा उप मुख्यमंत्री – गृह, जेल, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी
- राम विचार नेताम मंत्री – आदिम जाति विकास, कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी, मछली पालन, पशुधन विकास
- दयाल दास बघेल मंत्री – खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण
- केदार कश्यप मंत्री– वन एवं जलवायु परिवर्तन, परिवहन, सहकारिता, संसदीय कार्य
- लखन लाल देवांगन मंत्री– वाणिज्य एवं उद्योग, सार्वजनिक उपक्रम, वाणिज्यिक कर (आबकारी), श्रम
- श्याम बिहारी जायसवाल मंत्री -लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास, 20 सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन
- ओ.पी. चौधरी मंत्री वित्त,- वाणिज्यिक कर (आबकारी को छोड़कर), आवास एवं पर्यावरण, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी
- लक्ष्मी राजवाड़े मंत्री -महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण
- टंकराम वर्मा मंत्री -राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, पुनर्वास, उच्च शिक्षा
- गजेन्द्र यादव मंत्री– स्कूल शिक्षा, ग्रामोद्योग, विधि एवं विधायी कार्य
- गुरु खुशवंत साहेब मंत्री -कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार, अनुसूचित जाति विकास
- राजेश अग्रवाल मंत्री- पर्यटन, संस्कृति, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व