संपादकीय: सीजफायर के बाद अब जुबानी जंग

After ceasefire, now a war of words
After ceasefire, now a war of words: ईरान और इजराइल के बीच 12 दिनों तक चली जंग से दोनों ही देशों को भारी नुकसान पहुंचा है। आखिर में अमेरिका को भी इस जंग में कूदना पड़ा था। अमेरिका ने पाकिस्तान के एयरस्पेस का उपयोग कर ईरान के परमाणु ठिकाने पर बमबारी कर दी जिससे ईरान के परमाणु कार्यक्रम को भारी नुकसान हुआ इससे बौखलाकर ईरान ने कतर स्थित अमेरिका के सैन्य अड्डे पर बमबारी करके सीधे अमेरिका को ही चुनौती देने का दुहसाहस दिखाया तो अमेरिका की सारी हेकड़ी निकल गई।
और उसने इजराइल पर दबाव बनाया तथा मीडिल ईस्ट के मुस्लिम देशों कही मदद लेकर ईरान को भी संघर्षविराम के लिए मनाया। बहरहाल ईरान और इजराइल के बीच अब सीजफायर हो गया है। लेकिन दोनों देशों के बीच अब जुबानी जंग तेज हो रही है। ईरान और इजराइल दोनों ही इस युद्ध में अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। पूरे जंग के दौरान बंकर में छिपे बैठे रहे खामेनेई अब सामने आये हैं और उन्होंने अपनी जीत का दावा करते हुए यह बयान दिया है कि ईरान ने इजराइल को जंग में हरा दिया है वह अमेरिका को भी उसकी औकात दिखा दी है। ईरान का कहना है कि भले ही संघर्ष विराम हो गया है लेकिन वह अपने दुश्मन इजराइल को नहीं छोड़ेगा। और अपना परमाणु कार्यक्रम जारी रखेगा।
दूसरी तरफ इजराइल के प्रधानमंत्री बैंजामिन नेतन्याहू ने भी कहा है कि यदि ईरान अपना परमाणु कार्यक्रम बंद नहीं करेगा तो इजराइल फिर से ईरान पर हमला करेगा। इन दोनों के बीच चल रही जुबानी जंग को देखते हुए यही लगता है कि यह सीजफायर कभी भी टूट सकता है और दोनों के बीच कभी भी फिर से जंग शुरू हो सकती है।
रही बात अमेरिका की तो भले ही उसके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों के बीच सीजफायर कराने का क्रेडिट ले रहे हों लेकिन वे भी यह बात भली भांति जानते हैं कि ऐसे जबरिया कराये गये संघर्ष विराम को टूटने में देर नहीं लगती है। इधर भारत ने इन दोनों देशों के बीच हुई जंग में जो तटस्थ रवैया अपनाया था उसकी इजराइल और ईरान दोनों ही प्रशंसा कर रहे हैं। ईरान के राजदूत ने एक बयान जारी कर भारत के रूख का स्वागत करते हुए भारत का शुक्रिया अदा किया है। वहीं इजराइल ने भी भारत के रूख की प्रशंसा की है। यह भारत की एक बड़ी कुटनीतिक सफलता है।
दरअसल भारत के इजराइल और ईरान दोनों के साथ ही बेहतर संबंध रहे हैं इसलिए भारत ने इस जंग के दौरान किसी का पक्ष नहीं लिया था। इसे लेकर भारत की विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर निशाना भी साधा था जिन्हें डिपलोमेसी की डी भी पता नहीं है वे भी भारत सरकार को नसीहत दे रहे थे। लेकिन भारत ने इस जंग को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। उसी का नतीजा है जहां आज इजराइल भी भारत के प्रति आभार व्यक्त कर रहा है।
वहीं ईरान भी भारत का शुक्रगुजार है। इन दोनों देशो की यह प्रतिक्रिया भारत की विपक्षी पार्टियों के नेताओं के मुंह पर करारे तमाचे से कम नहीं है। वास्तव में भारत पहले अपना हित देखता है भारत को इजराइल से हथियार और टेक्नोलॉजी चाहिए वहीं ईरान से भारत को पेट्रोलियम पदार्थ चाहिए। वह इन दोनों देशों से अपने व्यापरिक संबंध मजबूत करने का पक्षधर रहा है। ईरान भले ही इजराइल और अमेरिका का दुश्मन हो लेकिन भारत के साथ उसके रिश्ते अच्छे रहे हैं।
इसलिए उसने अपने संबंध खराब करने की कोशिश नहीं की जबकि पाकिस्तान थोड़े से डॉलर के लालच में ईरान के साथ अपने संबंध खराब कर चुका है। पाकिस्तानी आर्मी चीफ असीम मुनीर ने अमेरिका के दबाव में आकर ईरान की पीठ पर छुरा भौंकने का जो गुनाह किया है उसका खामियाजा पाकिस्तान को भुगतना ही पड़ेगा। अब ईरान पाकिस्तान को भी नहीं बख्शेगा। पाकिस्तान को ईरान के कहर से अमेरिका भी नहीं बचा पाएगा।
वैसे भी अमेरिका की मदद लेने वाले हर देश से चाहे वह इजराइल हो या पाकिस्तान या फिर अन्य मुस्लिम देश सभी ईरान के निशाने पर है। जो ईरान अमेरिका जैसी दुनिया की सबसे बड़ी ताकत से टकराने की हिम्मत रखता हो वह इन देशों को वक्त आने पर जरूर सबक सिखायेगा।
बहरहाल सीजफायर के बाद भी मीडिल ईस्ट में जो तनाव बना हुआ है और इजराइल व ईरान के बीच जारी जुबानी जंग जिस तरह तेज हो रही है उसे मद्देनजर रखकर इस चिंगारी के सोलों के रूप में भड़कने की आशंका बलवति हो रही है यदि अब फिर से दोनों के बीच जंग हुई तो वह महायुद्ध के रूप में तब्दील हो सकती है।