संपादकीय: भारत को बदनाम करने की कोशिश

संपादकीय: भारत को बदनाम करने की कोशिश

Attempt to defame India

Attempt to defame India

Attempt to defame India: अमेरिका ने एक एडवाइजरी जारी की है जिसमें उसने भारत भ्रमण के लिए जाने वाले अमेरिकी नागरिकों से अतिरिक्त सावधानी बरतने के लिए कहा है यही नहीं बल्कि अमेरिकन महिलाओं से भारत की यात्रा पर और ज्यादा सतर्कता बरतने का निर्देश दिया है। अमेरिकी प्रशासन के मुताबिक भारत के अधिकांश हिस्से सुरक्षा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील हैं।

भारत में महिलाओं के प्रति अपराध भी बढ़ रहे हैं। वहीं आतंकवादी और नक्सली गतिविधियों के कारण भी कश्मीर, पूर्वोत्तर क्षेत्र और छत्तीसगढ़ भी असुरक्षित हो गया है। जाहिर है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इशारे पर ही अमेरिकी प्रशासन ने यह एडवाइजरी जारी की है जिसका उद्देश्य भारत को बदनाम करना है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को धूमिल करना है। जबकि खुद अमेरिका में लगातार हिंसक घटनाएं हो रही हैं और वहां इजराइल सहित अन्य देशों के नागरिकों के मन में असुरक्षा की भावना घर कर गई है। किन्तु डोनाल्ड ट्रंप भारत को असुरक्षित देश बताकर उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। अमेरिकी प्रशासन के इस अरमान को भारत की विपक्षी पार्टियों ने बड़ा मुद्दा बना दिया है।

कांग्रेस सहित आईएनडीआईए में शामिल अन्य विपक्षी पार्टियों के नेता अमेरिकी प्रशासन द्वारा जारी की गई एडवाइजरी का हवाला देकर सरकार पर आरोप लगा रहे हैं की उसकी कमजोरी के कारण देश में आतंकवादी घटनाएं और नक्सली गतिविधियां बढ़ी हैं। सरकार इन पर अंकुश लगाने में नाकाम रही है। जबकि हकीकत तो यह है कि एक दशक पूर्व देश में लगातार आतंकी हमले होते थे और नक्सली हिंसा भी अपनी चरम सीमा पार कर गई थी। पिछले एक दशक से आतंकवाद पर प्रभावी रोक लगी है और एक के बाद एक आतंकवादी जहन्नूम रसीद की गये हैं।

नक्सली हिंसा पर भी नकेल कसने में सरकार सफल रही है। अब नक्सलवाद सिर्फ छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में एक दो जिलों तक ही सिमटकर रह गया है। छत्तीसगढ़ को शीघ्र नक्सली हिंसामुक्त राज्य बनाने के लक्ष्य को साधने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार संकल्पित है इसके बावजूद अमेरिकी प्रशासन के भ्रामक फरमान को लेकर विपक्षी पार्टियां सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश करके भारत की छवि बिगाडऩे के अमेरिका के कयास को समर्थन दे रही है। दरअसल डोनाल्ड ट्रंप भारत की बढ़ती ताकत से परेशान हो गये हैं।

खासतौर पर पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने आपरेशन सिंदूर चलाकर आतंकवाद के जनक पाकिस्तान को जिस तरह बर्बाद किया है। उससे डोनाल्ड ट्रंप बुरी तरह खींजे हुए हैं। इसीलिए वे भारत विरोधी रूख अख्तियार कर चुके हैं। अमेरिका की इस साजिश का भारत को कड़ा विरोध करना चाहिए और विपक्षी पार्टियों को भी अमेरिका के इशारे पर भारत को बदनाम करने की साजिश में शामिल होने से परहेज करना चाहिए।

विपक्ष को समझना चाहिए की भारत जिस तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर है उससे अमेरिका और चीन सहित कई यूरोपीयन देश भारत से चीढ़ गये हैं और वे वैश्विक मंच पर भारत की छवि को खराब करने में लगे हुए हैं। इसमें सबसे आगे अमेरिका है क्योंकि भारत और अमेरिका की भी बात सुनने को तैयार नहीं है।

डोनाल्ड ट्रंप के अनुरोध को ठुकरा कर भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कनाडा से वापसी के दौरान अमेरिका में रूकने से मना कर दिया था उसी के बाद से डोनाल्ड ट्रंप भारत के प्रति प्रतिशोध की भावना से जल रहे हैं। उसी का प्रत्यक्ष परिणाम है अमेरिकी प्रशासन द्वारा जारी की गई फर्जी एडवाइजरी जिसका भारत को कड़ा प्रतिकार करना चाहिए। बेहतर तो यह होगा कि भारत भी अमेरिका में रह रहे भारतीयों के लिए भी ऐसी ही एडवाइजरी जारी कर ईंट का जवाब पत्थर से दे।

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