रोजगार श्रृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है अगरतला का बांस और बेंत विकास संस्थान

रोजगार श्रृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है अगरतला का बांस और बेंत विकास संस्थान

Agartala's Bamboo and Cane Development Institute is playing an important role in employment generation

Agartala Bamboo and Cane Development Institute

अगरतला। Agartala Bamboo and Cane Development Institute: त्रिपुरा का बांस और बेंत विकास संस्थान (बीसीडीआई), अगरतला बांस और बेंत शिल्प के सतत विकास और संवर्धन पर केंद्रित एक अग्रणी पहल है । संस्थान का उद्देश्य स्थानीय कारीगरों और समुदायों को सशक्त बनाते हुए क्षेत्र के समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करना है ।

यह प्रशिक्षण कार्यशालाओं, प्रदर्शनी क्षेत्रों और संसाधन केंद्रों सहित संरचित सुविधाएं प्रदान करता है । डिजाइनिंग पारंपरिक कारीगरी और आधुनिक कार्यक्षमता के एकीकरण को दर्शाता है, जो इसे सीखने और रचनात्मकता के लिए एक आकर्षक स्थान बनाता है। यह संस्थान न केवल त्रिपुरा राज्य में बल्कि सम्पूर्ण उत्तर पूर्वी राज्यों में रोजगार श्रृजन में महत्वपूर्ण निभा रहा है ।

संस्थान के प्रभारी श्री अभिनव कांत ने बताया कि हस्तशिल्प कारीगरों को कौशल प्रदान करने के लिए 1974 में अगरतला में बांस और बेंत विकास संस्थान (बीसीडीआई) की स्थापना की गई थी । विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त संस्थान नॉर्थ ईस्ट सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन एंड रीच (एनईसीटीएआर) को कौशल, डिजाइन, प्रौद्योगिकी, अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में बहु-विषयक सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से संचालित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है ।

उन्होंने बताया कि बांस त्रिपुरा (Agartala Bamboo and Cane Development Institute) के प्रमुख और महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों में से एक है। राज्य में सदाबहार प्रजातियों के जंगलों के पैच के साथ उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती वन हैं और बांस के बागानों के तहत एक बड़ा क्षेत्र राज्य में बांस की कम से कम 18 प्रजातियाँ आम तौर पर पाई जाती हैं । राज्य के जंगलों में बांस वाले क्षेत्र का विस्तार 3,246 वर्ग किमी है ।

श्री अभिनव कांत ने बोराक, मूली बांस, थाईलैण्ड बांस, कनक, कोरा, कैचरेज, बारी, ओरनामेंटल, डोलुबांस प्रतातियों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। इसके अलावा उन्होंने संथान में किए जा रहे अनुसंधान और किए जा रहे नवाचार के संबंध में भी बताया। उन्होंने बताया कि चीन की आपत्तियों के बावजूद बीसीडीआई को वाटर बाटल निर्माण पेंटेंट प्राप्त हुआ है ।

उन्होंने बांस से विभिन्न प्रकार के वस्तुओं के निर्माण में होने वाली प्रक्रियाओं जैसे बांस क्रॉस कट, स्प्लिटिंग, नॉट रिमूविंग, अगरबत्ती स्टिक मेकिंग, फोरसाइड प्लेनिंग, केमिकल ट्रिटमेंट, लेथ मशीन, लेजऱ मशीन के माध्यम से बांस लकड़ी पर कारीगरी और खेल सामग्री निमार्ण संबंधी जानकारी छत्तीसगढ़ मीडिया टीम से साझा की ।

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