संपादकीय: सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर रोक जरूरी

संपादकीय: सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर रोक जरूरी

It is necessary to stop misuse of social media

stop misuse of social media

Stop misuse of social media: आज के दौर में सोशल मीडिया की ताकत लगातार बढ़ती जा रही है। किन्तु इसी के साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म का दुरुपयोग भी बढऩे लगा है। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर सोशल मीडिया में आपत्तिजनक पोस्ट की भरमार होने लगी है।

यहां तक की आपराधिक तत्व और आतंकवादी संगठन भी सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर अपने नेटवर्क फैलाने लगे हैं। ऐसे में सोशल मीडिया की नाक में नकेल कसने की जरूरत बड़ी सिद्दत के साथ महसूस की जा रही थी।

किन्तु इस दिशा में अभी तक केन्द्र सरकार ने कोई ठोस पहल नहीं की है। प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रानिक मीडिया पर अकुंश लगाने के प्रावधान जरूर किए गए हैं लेकिन सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर रोक लगाने की कोई कोशिश नहीं की गई है।

इस बारे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सराहनीय और अनुकरणीय पहल की है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के लिए नई सोशल मीडिया पालिसी लागू की है।

जिसके तहत आपत्तिजनक और देशविरोधी पोस्ट करने वालों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। वास्तव में होना तो यह चाहिए कि केन्द्र सरकार पूरे देश के लिए ऐसी नई सोशल मीडिया पालिसी लागू करें।

जिसमें देश विरोधी टीका टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई का प्रावधान हो। गौरतलब है कि देश में अधिकांश दंगे फसाद अफवाहों के चलते फैलते हैं। जिसमें सोशल मीडिया प्रमुख भूमिका निभाने लगा है।

यही वजह है कि देश के किसी भी कोने में जब दंगे फसाद की नौबत आती है तो शासन प्रशासन सबसे पहले उस क्षेत्र में सोशल मीडिया के उपयोग पर रोक लगा देता है। इसी से स्पष्ट है कि सोशल मीडिया अफवाह फैलाने का अड्डा बनता जा रहा है। जो देश की शांति और व्यवस्था के लिए खतरनाक सिद्ध हो सकता है।

अफवाहों के न तो हाथ होते हैं ना ही पैर होते हैं। लेकिन वे सोशल मीडिया के माध्यम से इतनी तेजी के साथ फैलते हैं कि उसके सामने राकेट की रफ्तार भी मंद पड़ जाती है।

बहरहाल उत्तर प्रदेश सरकार साधुवाद की पात्र है । जिसने सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए उसकी नाक में नकेल कसने की पहल की है। इसी के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी नई सोशल मीडिया पॉलिसी के तहत रचनात्मक कार्य करने वाले यू-ट्यूबरोंं को प्रोत्साहित करने का भी निर्णय लिया है।

जिसके तहत रचनात्मक पोस्ट करने वालों को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दो लाख से आठ लाख रुपए तक के विज्ञापन देने का प्रावधान किया गया है। पूर्व में राजस्थान में भी तात्कालीन अशोक गहलोत की सरकार ने इस तरह के विज्ञापन देने की शुरूआत की थी।

अब उसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश सरकार भी इस तरह का कदम उठा रही है जो स्वागत योग्य निर्णय है। इससे सोशल मीडिया के माध्यम से रचनात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने वालों को निश्चित रूप से प्रोत्साहन मिलेगा और उनकी आय का एक नया जरिया बनेगा।

राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकार की तरह ही अन्य प्रदेशों को भी इसी तरह की योजना लागू करनी चाहिए और साथ ही सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर प्रभावी अकुंश लगाने के लिए नई सोशल मीडिया पालिसी भी बनानी चाहिए।

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