CG FCI : एफसीआई में अवैध वसूली के चलते 2 अफसर निलंबित, 45 स्थानांतरित

CG FCI : एफसीआई में अवैध वसूली के चलते 2 अफसर निलंबित, 45 स्थानांतरित

CG FCI: 2 officers suspended, 45 transferred due to illegal recovery in FCI

CG FCI

नवप्रदेश की खबरों के आधार पर प्रदेश में सतर्कता आयोग एफसीआई द्वारा की गई जांच के बाद बड़ी कार्रवाई

-गुणवत्ता नियंत्रण के नाम पर चल रहा था खेल
-गुणवत्ता के नाम पर 100 करोड़ रुपए का सालाना वारा-न्यारा

प्रमोद अग्रवाल
रायपुर/नवप्रदेश। CG FCI: धान के कटोरे छत्तीसगढ़ में केन्द्र सरकार की एजेंसी भारतीय खाद्य निगम द्वारा चावल उपार्जन में किये जा रहे भ्रष्टाचार को नवप्रदेश पिछले कई महिनों से उजागर करता रहा है और इस संबंध में क्वालिटी कंट्रोल के नाम पर एफसीआई द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार की पर्ते लगातार खोलता रहा है। नवप्रदेश की खबरों के आधार पर प्रदेश में सतर्कता आयोग एफसीआई द्वारा की गई जांच के बाद बड़ी कार्रवाई की गई है और प्रबंधक स्तर के दो अफसरों को निलंबित कर दिया गया है तथा पैंतालीस अन्य कर्मचारियों और अधिकारियों का तबादला राज्य के बाहर कर दिया गया है।

छत्तीसगढ़ में धान न केवल मुख्य फसल है वरन छत्तीसगढ़ की सारी राजनीति भी धान और चावल के इर्द गिर्द घूमती रहती हैं वर्तमान कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ के किसानों का समर्थन मूल्य से ज्यादा राशि देकर पूरे देश में किसान हितैषी होने का दावा करती है और इसी आधार पर चुनाव की वैतरणी पार करने हेतु राज्य सरकार ने इस वर्ष प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान उपार्जित करने और समर्थन मूल्य से कहीं ज्यादा 2800 रूपये प्रति क्विंटल धान खरीदने की घोषणा की है।

यह एक ऐसा मुद्दा है जिसका तोड़ राज्य और केन्द्र स्तर पर भाजपा नहीं निकाल पा रही है। इसी धान और चावल की उपयोगित का फायदा जितना किसान को नहीं हो रहा है उससे ज्यादा राज्य और केन्द्र की एजेन्सियां और राज्य के राईस मिलर उठा रहे है। पिछले दो साल में राज्य में राईस मिलरों की संख्या 1700 से बढ़कर 2300 हो गई है जबकि राज्य में बाहर से धान लाकर कुटाई करने की मनाही है मतलब साफ है कि मिलरों को राज्य सरकार से मिलने वाले धान की कुटाई पर ही निर्भर रहना है और यह धान की कुटाई मात्र 7 या 8 माह में पूरी हो जाती है और लगभग 4 महीने राईस मिलरों के पास कोई काम नहीं होता उसके बावजूद लोग इस व्यवसाय के प्रति आकर्षित है तो उसके कारण की खोज की जानी चाहिए।

धान के उपार्जन के लिए राज्य सरकार ने एजेन्सी बना रखी है जिसका नियंत्रण राजनीतिक व्यक्ति के हाथ में होता है। उसी प्रकार राज्य के लिए चावल उपार्जन के लिए भी राज्य सरकार की एजेंसी है जिसका नियंत्रण भी राजनीतिक व्यक्ति के द्वारा किया जाता है। किन्तु केन्द्र सरकार द्वारा उपार्जित किये जाने वाले चावल का नियंत्रण एफसीआई के हाथ में होता है और इस बात का फायदा एफसीआई लगातार उठा रहा है। चावल के गुणवत्ता परीक्षण के नाम पर मिले अधिकार का प्रयोग एफसीआई के अधिकारी भ्रष्टाचार और अवैध वसूली के लिए करते रहे है और इस बात को नवप्रदेश पिछले दो वर्षों से उठाता रहा है और सबूतों के साथ इस तरह की रिपोर्ट प्रकाशित करता रहा है।

अप्रैल माह में एफसीआई विजलेंस की एक टीम ने यहां से गई कई शिकायतों के आधार पर छत्तीसगढ़ का दौरा किया था, और विगत 30 मई को एफसीआई से जारी एक आदेश में कुरूद धमतरी में पदस्थ क्वालिटी कंट्रोल मैनेजर कमल कुमार साहू और टीए विमल भारती को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है और उन्हें गुजरात के आदिपुर में अटैच कर दिया गया है। यह माना गया है कि वहां के एक राईस मिल द्वारा आपूर्ति किया गया चावल पहले डिपो स्तर पर और फिर डिविजनल स्तर पर गुणवत्ता विहिन मानकर उपार्जित नहीं किया गया था जबकि वह चावल एफसीआई के मानको के अनुसार सही था।

निष्कर्ष यह निकाला गया है कि इस चावल को रिजेक्ट करने का कारण अवैध वसूली और भ्रष्टाचार है। केन्द्रीय कार्यालय ने इस आदेश के साथ-साथ 45 अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों को स्थानांतरण कर दिया गया है और यह सारे स्थानांतरण राज्य के बाहर किए गए हैं। यह माना गया है कि राज्य सरकार की कस्टम मिलिंग से राईस मिलरों के जरिए मिलने वाले चावल की गुणवत्ता के परीक्षण के नाम पर राज्य में गिरोह बंदी के तहत भ्रष्टाचार किया जा रहा है।

इसका मतलब यह भी साफ है कि कहीं ना कहीं उपार्जित होने वाले चावल की क्वालिटी से भी समझौता किया जा रहा है। इस घटना क्रम के बाद भी यह सिलसिला थम जाएगा इसके आसार कम नजर आ रहे है। क्योंकि राज्य के राईसमिल एसोसिएशन ने केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल को एक शिकायती पत्र भेजा है जिसमें बताया गया है कि 290 क्विंटल चावल के एक लाट को पास करने के लिए एफसीआई द्वारा 7500 रूपये प्रति लाट वसूली की जा रही है। इस वर्ष के पूर्व तक यह 6000 रूपये प्रति लाट थी। पत्र में यह भी बताया गया है कि यह वृद्धि इसलिये की गई है कि केन्द्र सरकार के मंत्रियों ने अतिरिक्त पैसा मांगा है।

यदि इस शिकायत में की गई राशि की गणना करें तो लगभग 100 करोड़ रूपये से अधिक की अवैध वसूली एफसीआई द्वारा की जा रही है। शिकायत में यह भी कहा गया है कि एफसीआई के अधिकारियों द्वारा राईस मिलरों को लगातार धमकाया जा रहा है कि शिकायतकर्ता का नाम पता चलते ही उसके माल को पास नहीं किया जाएगा। उन्होंने अपनी शिकायत में ली जानी वाली अवैध राशि का बंटवारा महाप्रबंधक एफसीआई रायपुर उप महाप्रबंधक रायपुर उप महाप्रबंधक क्वालिटी कंट्रोल रायपुर, एरिया मैनेजर, एजीएम दुर्ग, बिलासपुर, रायपुर मैनजर डिपो क्वालिटी कंट्रोल मैनेजर डिपो टीए/शेड इंचार्ज के मध्य होने की जानकारी भी दी है।

क्या इस घोटाले का भी पाई-पाई का हिसाब लिया जाएगा

राज्य में विधानसभा के आसन्न चुनाव को देखते हुये केन्द्रीय मंत्रियों का दौरा राज्य में शुरू हो गया है इसी संदर्भ में कल बस्तर आये केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक बयान दिया है कि मोदी सरकार द्वारा राज्य सरकार को दी जा रही आर्थिक सहायता की पाई-पाई का हिसाब लिया जाएगा। केन्द्रीय मंत्री को राज्य में केन्द्र के लिए कार्यरत ऐजेन्सियों द्वारा किसानों के श्रम से उत्पादित धान और राज्य सरकार द्वारा उपार्जित तथा कस्टम मिलिंग के जरिए केन्द्र को दिये जाने वाले चावल की अवैध वसूली पर क्या कार्यवाही की जाएगी यह भी बताना चाहिए और राईसमिल एसोसिएशन का आरोप है कि इस वसूली का पैसा केन्द्रीय मंत्रियों तक जाता है। इसकी पाईपाई का हिसाब कौन देगा यह भी स्पष्ट करना चाहिए।

नवप्रदेश सुझाव : राज्य सरकार एफसीआई को चावल आपूर्ति की नोडल एजेंसी बनाए

एफसीआई की अवैध वसूली को रोकने के लिए राज्य सरकार को भी सामने आना होगा जिस तरह धान के उपार्जन के लिए मार्कफेड और राज्य खपत के लिए चावल एकत्रित करने के लिए नान का गठन किया गया है उसी तरह कस्टम मिलिंग के चावल को केन्द्र की एजेंसी एफसीआई को आपूर्ति करने के लिए भी नोडल एजेंसी बनानी चाहिए क्योंकि राईस मिलर उस चावल का मालिक है जो वह एफसीआई को देता है वह चावल राज्य सरकार का है, और केन्द्र सरकार की कोई एजेंसी राज्य सरकार के माल को रिजेक्ट करती है या न्यूनतम गुणवत्ता का बताकर अवैध वसूली करती है तो यह अत्यन्त गंभीर और अप्रचलित परंपरा है। यदि कस्टम मिलिंग का चावल वह नोडल एजेंसी स्वयं ले और उसके जरिए केन्द्र को सप्लाई हो तो अवैध वसूली का यह खेल रोका जा सकता है।

JOIN OUR WHATS APP GROUP

डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *