“भूमकाल” आंदोलन के नायक गुंडाधुर की मूर्ति का मुख्यमंत्री ने किया अनावरण
- कुम्हरावंड स्थित शहीद गुंडाधुर कृषि महाविद्यालय परिसर में की गयी मूर्ति की स्थापना
जगदलपुर/नवप्रदेश: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने एक दिवसीय बस्तर प्रवास के दौरान कुम्हरावंड स्थित शहीद गुंडाधुर कृषि महाविद्यालय परिसर में भूमपाल विद्रोह के जननायक रहे वीर गुंडाधुर की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया.
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि बस्तर के आदिवासी जननायक में से एक रहे वीर गुंडाधुर ने भूमकाल जैसे महान विद्रोह का नेतृत्व किया. आज उनकी प्रतिमा स्थापित कर उनके योगदान को चिरस्थाई बनाने का काम किया गया है. उन्होंने कहा कि महाविद्यालय परिसर में प्रतिमा स्थापित होने से हमारे युवा भी उनके अदम्य साहस और वीरता से परिचित हो सकेंगे. बस्तर क्षेत्र में स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आदिवासी संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन के लिए बस्तर के आदिवासी नायक सदैव मुखर रहे और अपना सर्वोच्च बलिदान दिया.सरकार भी बस्तर सहित समूचे छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति को सहेजने लिए संकल्पित होकर कार्य कर रही है.
मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण मद से स्वीकृत राशि दस लाख से निर्मित शहीद वीर गुण्डाधुर की मूर्ति के अनावरण के दौरान मुख्यमंत्री ग्राम नेतानार से पहुंचे वीर गुंडाधुर के परिजनों में उनके परपोते जयदेव नाग, पुनु नाग, दुलारू नाग, परदेसी नाग से भी मुलाकात की.
इस अवसर पर उद्योग मंत्री कवासी लखमा, बस्तर सांसद दीपक बैज, बविप्रा के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, बविप्रा के उपाध्यक्ष विक्रम मंडावी, पूर्व सांसद नंद कुमार साय, संसदीय सचिव रेखचन्द जैन, विधायक नारायणपुर चंदन कश्यप, चित्रकोट विधायक राजमन बेंजाम, संजरी बालोद विधायक संगीता सिन्हा, महापौर सफीरा साहू, नगर पालिका अध्यक्ष कविता साहू, अक्षय ऊर्जा प्राधिकरण के अध्यक्ष मिथलेश स्वर्णकार, इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष राजीव शर्मा, कमिश्नर श्याम धावड़े, आईजी सुंदरराज पी., कलेक्टर विजय दयाराम के. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र मीणा सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण उपस्थित थे.
कौन थे शहीद वीर गुण्डाधुर?
शहीद वीर गुंडाधुर ने आदिवासियों की धरती को बचाने के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध ‘भूमकाल’ आंदोलन 1910 का नेतृत्व किया था . भूमकाल आंदोलन भूमकाल का अर्थ भूमि में कम्पन या भूकंप से है. भूमकाल एक ऐसा आदोंलन था जिसने सम्पूर्ण बस्तर को हिलाकर रख दिया था. इस आंदोलन के पीछे अनेक कारण थे इनमें वन नीति, अनिवार्य शिक्षा, धर्म परिवर्तन, बेगारी प्रथा, नौकरशाही आदि प्रमुख था. भूमकाल विद्रोह की इतनी सूक्ष्म योजना तैयार की गई थी कि आदिवासियों ने तीर-धनुष और भाला-फरसा के साथ अंग्रेजी सेना का डटकर मुकाबला किया. यही कारण है आज छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पूरा देश वीर गुंडाधुर के शौर्य को जानने लगा है. छत्तीसगढ़ शासन द्वारा वीर गुण्डाधुर की स्मृति में साहसिक कार्य और खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए गुण्डाधुर सम्मान स्थापित किया है