Jammu and Kashmir : फारूख अब्दुल्ला की बेतुकी मांग
Jammu and Kashmir : जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ फारूख अब्दुल्ला ने एक बार फिर अपनी बेतुकी मांग दोहराई है। उन्होने कहा है कि कश्मीर में शांति की बहाली के लिए भारत को पड़ौसी देश पाकिस्तान के साथ बातचीत करनी चाहिए। उनका कहना है कि जब भारत चीन के साथ बातचीत कर सकता है तो फिर पाकिस्तान के साथ बातचीत करने में क्या दिक्कत है। इस तरह की मांग डॉ फारूख अब्दुल्ला पहले भी कर चुके है। इसी तरह की बातें जम्मू कश्मीर की एक और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी करती रही है। इन दोनों नेताओं की कश्मीर से जमीन खिसक चुकी है।
३७० के खात्मे के साथ ही जम्मू कश्मीर और तिब्बत के अलग होने से डॉ फारूख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की राजनीतिक दुकानदारी बंद हो गई है। यही वजह है कि ये अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए अकसर विवादस्पद बयानबाजी करते है और पाकिस्तान की पैरोकारी करते है। डॉ फारूख अब्दुल्ला को समझना चाहिए कि चीन के साथ भले ही हमारा सीमा विवाद चल रहा हो लेकिन चीन ने कभी भारत में आतंकवादियों की घुसपैठ नहीं कराई है। चीनी सेना जरूर गाहे बगाहे भारतीय सीमा में घुसती है लेकिन उसे भारतीय सेना खदेड़ देती है। इसलिए भारत चीन के साथ बातचीत कर रहा है लेकिन पाकिस्तान के साथ हालात जुदा है। पाकिस्तान लगातार भारत में आतंकवादियों की घुसपैठ कराकर यहां अशांति फैलाने की कोशिश करता है।
इसका भी भारतीय सेना और सुरक्षा बल के जवान मुंहतोड़ जवाब देते है। इसके बाद भी पाकिस्तान अपने नापाक इरादों से बात आने का नाम नहीं ले रहा है। पाकिस्तान ने भारत के साथ खुद ही रिश्ते खराब किए है। इसलिए पाकिस्तान से बातचीत करने का तो प्रश्र ही पैदा नहीं होता। तमिलनाडु के चेन्नई में बुधवार को डीएमके की तरफ से विपक्षी एकता को बढ़ावा देने के लिए जम्मू-कश्मिर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला डीएमके द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने कहा है कि भारत विविधता में एकता का देश है।
भारत ने पहले ही कह दिया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का रास्ता नहीं छोड़ेगा तब तक उसके साथ किसी भी तरह की कोई बातचीत नहीं होगी। कश्मीर घाटी के पुलवामा जिले में आतंकियों ने एक कश्मीरी पंडित की हत्या कर दी। इस पर नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि हम इसकी निंदा करते हैं. इंसानियत का खून करना कभी भी इस्लाम का सेवा नहीं हो सकता. उन्होंने आगे कहा कि सरकार को कश्मीरी पंडितों तब तक घाटी नहीं लाना चाहिए जब तक यहां पूरी तरह सुरक्षा नहीं मिल जाती।
पाकिस्तान जो इन दिनों भुखमरी (Jammu and Kashmir) का शिकार है और गले तक कर्ज में डूबा हुआ है वह खुद चाहता है कि भारत के साथ उसकी बात हो और भारत भी उसे मदद दें लेकिन भारत उसके साथ तभी बातचीत करेगा और शायद मदद भी देगा जब वह कश्मीर राग अलापना बंद करेगा और आतंकवाद का रास्ता छोड़ेगा। पाकिस्तान ऐसा करने को तैयार नहीं है तो फिर उसके साथ बातचीत भी संभव नहीं है। यह बात डॉ फारूख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को अच्छे से समझ लेनी चाहिए और पाकिस्तान की भाषा बोलना बंद कर देना चाहिए।