देशभर की निचली अदालतों में 4.41 करोड़ मामले लंबित; इन राज्यों में सबसे ज्यादा मामले

देशभर की निचली अदालतों में 4.41 करोड़ मामले लंबित; इन राज्यों में सबसे ज्यादा मामले

4.41 crore cases pending in lower courts across the country; Most pending cases in these states

pending cases in lower courts

-15 जुलाई 2023 तक UP में 1.16 करोड़ मामले और MH में 5.1 लाख मामले लंबित

नई दिल्ली। pending cases in lower courts: देश की जिला और अधीनस्थ अदालतों में 4.41 करोड़ दीवानी और आपराधिक मामले लंबित हैं, जिनमें से उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में लंबित मामलों की संख्या सबसे अधिक है।

केंद्रीय कानून मंत्रालय द्वारा आधिकारिक तौर पर जारी आंकड़ों के अनुसार, इन अदालतों में लंबित मामलों की संख्या पिछले कुछ वर्षों से बढ़ रही है। इसमें कमी आने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है। 15 जुलाई 2023 तक उत्तर प्रदेश में 1.16 करोड़ मामले और महाराष्ट्र में 5.1 लाख मामले लंबित हैं।

इन आंकड़ों में उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में लंबित मामले शामिल नहीं हैं। इन दोनों ही अदलतों में बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं। 15 जुलाई 2022 की तुलना में एक साल में 1.6 लाख मामले बढ़े, उस समय लंबित मामले 4.25 करोड़ थे।

एक वर्ष के भीतर लंबित दीवानी और फौजदारी मामले

  • -उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा 11 लाख और महाराष्ट्र में एक लाख बढ़ गया
  • -यह इंगित करता है कि राज्य सरकारों को कुछ कदम उठाने चाहिए।
  • -कम्प्यूटरीकृत जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों की संख्या बढ़कर 18,735 हो गई है।

न्यायिक सुविधाओं के लिए 10 हजार करोड़ रुपये दिये गये

  • राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कानून एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों का निपटारा न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में है। 15 जुलाई 2023 तक केंद्र सरकार ने न्यायिक बुनियादी ढांचे के लिए 10035 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं।
  • सरकार नियमित रूप से उच्च न्यायपालिका में रिक्त पदों को भर रही है। अधीनस्थ न्यायपालिका में रिक्तियों को भरने का मामला राज्य सरकारों और संबंधित उच्च न्यायालयों के दायरे में आता है।

न्यायाधीशों की नियुक्ति

नौ वर्षों की अवधि में उच्चतम न्यायालय में 56 न्यायाधीशों की नियुक्ति हुई तथा उच्च न्यायालयों में 919 नये न्यायाधीशों की नियुक्ति हुई। 653 अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किये गये। उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 906 से बढ़ाकर 1114 कर दी गई।

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