25000 Employees Could Not Vote : बीजेपी ने लगाया आचार संहिता के उल्लंघन और षड्यंत्र का आरोप

25000 Employees Could Not Vote : बीजेपी ने लगाया आचार संहिता के उल्लंघन और षड्यंत्र का आरोप

25000 Employees Could Not Vote :

25000 Employees Could Not Vote :

बीजेपी नेता का आरोप है कि 25 हजार कर्मचारियों को मतदान से षड्यंत्रपूर्वक वंचित रखा गया, केयरटेकर CM के दबाव में बीजापुर कलेक्टर को हटाने और पाटन में आचार संहिता के उल्लंघन पर कार्रवाई की मांग

रायपुर/नवप्रदेश। 25000 Employees Could Not Vote : भाजपा मुख्य प्रवक्ता व पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर का आरोप है कि 25000 कर्मचारियों को मतदान से षड्यंत्रपूर्वक वंचित रखा गया है।

केयरटेकर CM के दबाव में बीजापुर कलेक्टर को हटाने और पाटन में आचार संहिता के उल्लंघन पर कार्रवाई की मांग उन्होंने कहा कि बैलेट पेपर द्वारा हुए मतदानों में उजागर व्यापक अनियमितताओं को लेकर भारतीय जनता पार्टी बेहद गंभीर है।

चंद्राकर ने इस बात पर कड़ा ऐतराज जताया है कि केयरटेकर मुख्यमंत्री के दबाव में कलेक्टर को हटाने के कार्रवाई हो या खुद के पाटन निर्वाचन क्षेत्र में आचार संहिता के उल्लंघन का मामले की जांच नहीं की जा रही है।

श्री चंद्राकर ने कहा कि विधानसभा चुनाव, 2023 में चुनाव ड्यूटी तथा आवश्यक सेवा में नियुक्त शासकीय कर्मचारियों हेतु बैलेट पेपर के माध्यम से मतदान की व्यवस्था की गई थीI

इसके अतिरिक्त 80 वर्ष से अधिक एवं दिव्यांग मतदाताओं हेतु भी बैलेट पेपर के माध्यम से उनके निवास पर मतदान की विशेष व्यवस्था की गई थी किन्तु सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ से बैलेट पेपर से हुए मतदानों में व्यापक अनियमितता की शिकायतें प्राप्त हुई हैं I

श्री चंद्राकर ने कहा कि निष्पक्ष चुनाव हेतु आवश्यक है कि प्रत्याशियों अथवा उनके अभिकर्ताओं को इस मतदान के स्थान, समय इत्यादि की जानकारी दी जाती तथा उनको चुनाव के समय उपस्थित रहने का अवसर प्रदान कर निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित किया जाता।

लेकिन, भारतीय जनता पार्टी के किसी प्रत्याशी अथवा अभिकर्ता को उपरोक्त मतदान के स्थान, समय इत्यादि की जानकारी नहीं दी गई जबकि कांग्रेस पार्टी को निर्वाचन अधिकारियों द्वारा यह जानकारी दे दी गई थी तथा कांग्रेस कार्यकर्ताओं के द्वारा सुविधा केन्द्रों में जाकर मतदान को व्यापक रूप से प्रभावित किया गया है।

सुविधा केंद्र बनाकर चुनाव ड्यूटी में जाने के पूर्व मतदान की व्यवस्था के कारण अधिकांश शासकीय कर्मचारी मतदान से वंचित हो गए हैं। इसमें मुख्यतः वे कर्मचारी हैं। जिनकी किसी कारण पूर्व से ही जिला मुख्यालय से पृथक ड्यूटी निर्धारित थी तथा वे मतदान हेतु निर्धारित समयावधि में जिला मुख्यालय में निर्धारित स्थान में पहुँच पाने में असमर्थ थे।

बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं के मतदान के संबंध में संबंधित क्षेत्र के राजनीतिक दल के प्रत्याशी या उनके पोलिंग एजेंट को खबर नहीं की। जहां पर लोग जागरूक थे, उन्होंने जब जानकारी मांगी, तभी उनको जानकारी मिल पाई।

इन सारे तथ्यों से स्पष्ट है कि बैलेट पेपर से हुए मतदान निष्पक्ष नहीं हैं तथा उनका कोई विवरण भी भारतीय जनता पार्टी को प्रदान नहीं किया गया है I

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