Zero Teacherless Schools : जहां बंद थी किताबें, अब वहाँ खुले हैं सपने…शिक्षक विहीनता से शिक्षा समृद्धि की ओर बढ़ा राज्य…

रायपुर, 12 जून। Zero Teacherless Schools : छत्तीसगढ़ ने शिक्षा के नक्शे पर एक बेमिसाल उपलब्धि दर्ज की है। एक ऐसा राज्य, जहाँ कभी सैकड़ों स्कूल शिक्षक विहीन थे, अब “शून्य शिक्षकविहीनता” की स्थिति में प्रवेश कर चुका है। यह मात्र प्रशासनिक काम नहीं, बल्कि बच्चों के सपनों को नया आकार देने की शिक्षा क्रांति है।
447 स्कूलों में फिर गूंजेगी शाला की घंटी
राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के अंतर्गत अब 447 ऐसे स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है जहाँ पहले एक भी शिक्षक नहीं (Zero Teacherless Schools)था। नए शिक्षा सत्र से ये स्कूल पढ़ाई का केंद्र बनेंगे, न कि सिर्फ एक बंद दरवाज़ा।
यह बदलाव सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं, यह गांवों में गूंजती उम्मीदों की आवाज़ है।
‘एक शिक्षक’ से ‘पूर्ण शिक्षक’ की दिशा में बदलाव
5672 एकल शिक्षकीय प्राथमिक स्कूल थे, अब घटकर 1207 रह गए हैं।
211 एकल शिक्षकीय पूर्व माध्यमिक शालाओं में से 204 में अब दो या उससे अधिक शिक्षक हैं।
49 हाई स्कूल एकल शिक्षकीय थे, अब केवल 1 बचा (Zero Teacherless Schools)है।
सभी हायर सेकेंडरी स्कूल अब पूर्ण शिक्षक व्यवस्था से युक्त हैं।
वास्तविक बदलाव, जो सिर्फ कागज़ों पर नहीं
सुदूर अंचलों में बच्चों के स्कूल जाने की राह अब अकेली नहीं रही। शिक्षक न होने से जो स्कूल निष्क्रिय थे, अब वहाँ शिक्षकों के साथ कक्षाएं लगेंगी, पाठ्यक्रम पूरा होगा, और छात्र आत्मविश्वास के साथ भविष्य की ओर कदम बढ़ाएंगे।
गांवों में शिक्षा का नया सूर्योदय
बस्तर, सुकमा, नारायणपुर जैसे इलाकों में जब बच्चों को बताया गया कि उनके स्कूल में अब असली शिक्षक (Zero Teacherless Schools)आएंगे — तो उनकी आंखों में वो चमक दिखी, जो भविष्य बदलने का संकेत है। पढ़ाई अब ‘विकल्प’ नहीं, ‘हक’ बनेगी।