World Mental Health Day : 10 अक्टूबर को होगा सेमिनार, देशभर के मनोचिकित्सक जुटेंगे दुर्ग में, पाठ्यक्रमों में मानसिक स्वास्थ्य को शामिल करने राज्य सरकार को देंगे प्रस्ताव
दुर्ग, नवप्रदेश। भारतीय साइकियाट्रिक सोसायटी एवं छत्तीसगढ़ साइकियाट्रिक सोसायटी के संयुक्त प्रयासों से मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह में लोगों को मानसिक रोगों से छुटकारा दिलाने और जागरूकता फैलाने अभियान का शखनांद किया गया हैं। यह सोसायटी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित इस वर्ष के थीम मानसिक स्वास्थ्य की सहज उपलब्धता: विश्व की प्राथमिकता पर कार्य कर रही है।
इसके अंतर्गत विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर 10 अक्टूबर को दुर्ग के बीआईटी कालेज में सेमीनार का आयोजन किया गया है। यह सेमीनार सुबह साढ़े 9 बजे से प्रारंभ होकर शाम साढ़े 4.30 बजे तक चलेगा।
सेमीनार का उद्घाटन मुख्य अतिथि गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू करेंगे। इस अवसर पर विधायक अरूण वोरा व महापौर धीरज बाकलीवाल विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे। सेमीनार में भारतीय साइकियाट्रिक सोसायटी के अध्यक्ष डा. एनएन राजू, प्रसिद्ध मनोरोग चिकित्सक व सिम्हांस देवादा के निदेशक डा. प्रमोद गुप्ता, सिम्हांस के सलाहकार डा. अशोक त्रिवेदी, मनोचिकित्सक व दुर्ग जिला एसपी डा. अभिषेक पल्लव, सीएमएचओ डा. जेपी मेश्राम, मनोचिकित्सक विनय कुमार (पटना), अरविंदा वर्मा (कोलकता), छत्तीसगढ़ साइकियाट्रिक सोसायटी अध्यक्ष डा. एमके साहू, सचिव एनके राजपूत के अलावा अन्य राज्यों से मनोचिकित्सक शामिल होंगे।
उनके द्वारा मानसिक स्वास्थ्य की सहज उपलब्धता, विश्व की प्राथमिकता, मानसिक रोगो को लेकर छत्तीसगढ़ राज्य की स्थिति, सामाजिक मानसिक स्वास्थ्य संरक्षण, मानसिक स्वास्थ्य जीवनशैली के अलावा अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डाला जाएगा।
इसके अलावा सेमीनार में मनोचिकित्सकों द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की हाट बाजार में पहुंचने वाली मोबाईल स्वास्थ्य सेवा और स्कूली पाठ्यक्रम में मानसिक स्वास्थ्य को शामिल करने प्रस्ताव दिया जाएगा।
यह बातें प्रसिद्ध मनोरोग चिकित्सक व सिम्हांस देवादा के निदेशक डा. प्रमोद गुप्ता और सलाहकार डा. अशोक त्रिवेदी ने शुक्रवार को मीडिया से संयुक्त चर्चा में कहीं। मनोरोग चिकित्सक गुप्ता व श्री द्विवेदी ने बताया कि देश सहित छत्तीसगढ़ राज्य में मनोरोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
मानसिक स्वास्थ्य के विषय में लोग कम ध्यान देते हैं। देश में जनसंख्या के आधार पर मनोरोगियों की इलाज की व्यवस्था कम है। मनोरोग चिकित्सक की कमी हैं। इलाज की व्यवस्था में छत्तीसगढ़ राज्य काफी पिछड़ा हुआ है। ग्रामीण व आदिवासी अंचल में स्थिति काफी खराब है।
उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में करीब 30 लाख मानसिक रोगी है। जिसमें 8 लाख रोगियों को ही इलाज संभव हो पा रहा है, जबकि 22 लाख लोगों को इलाज नहीं मिल पा रहा हैं।
पीडितो का समय पर इलाज नहीं होने से वे परिवार के लिए बोझ बन जाते है। मानसिक रोगों की जैनेटिक बढऩे की संभावना रहती हैं। मानसिक रोगो से पीडि़त लोगो को इलाज मुहैय्या करवाना भारतीय व छत्तीसगढ़ साइकियाट्रिक सोसायटी की प्राथमिकता है, ताकि वे बीमारी से उबर कर पुन: समाज व परिवार के लिए उपयोगी बन सके।
डां. गुप्ता व डां. त्रिवेदी ने बताया कि कोरोना बीमारी के साइड इफेक्ट के रूप में मानसिक बीमारी सामने आई है। जिससे लोगों में एनजाईटिक व डिप्रेशन बढ़े है। मोबाइल फोन के लगातार उपयोग से बच्चे भी मानसिक रोग के जद में आ रहे है।
मानसिक रोग के कारण आत्महत्या के केसेस बढे है। नशा के जाल में फंसे हुए है। मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों में जागरूकता जरूरी है।