संपादकीय: महायुद्ध की आशंका से सकते में दुनिया

संपादकीय: महायुद्ध की आशंका से सकते में दुनिया

World in fear of world war

World in fear of world war

World in fear of world war: इजरायल और ईरान के बीच जंग होने के हालात नजर आने लगे हैं। ईरान द्वारा इजरायल पर लगभग दो सौ मिसाइलें दागे जाने के बाद इजरायल ने धमकी दी है कि वह ईरान से इसका बदला लेकर रहेगा

इजरायल ईरान के परमाणु प्लांट को निशाना बना सकता है और ईरान के तेल भंडार पर भी निशाना साध सकता है। यदि ऐसा हुआ तो ईरान भी इजरायल के खिलाफ और बड़ी कार्यवाही करेगा। जिससे महायुद्ध छिडऩे की आशंका बलवती हो जाएगी।

इजरायल की धमकी के बाद ईरान के सुप्रीम लीडर आयातुल्लाह खामनेई ने दुनिया के सभी मुस्लिम देशों से एकजुट होने की अपील की है। उनका कहना है कि पश्चिम एशिया में इजरायल के कारण तनाव बढ़ता जा रहा है।

उन्होंने कहा है कि इजरायल ने पहले हमास के साथ जंग शुरू की फिर हिजबुल्लाह को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। अब यह युद्ध पूरे क्षेत्र में फैलने की आशंका है।

इसलिए सभी मुस्लिम देशों को इजरायल के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत है। उनकी इस अपील के तत्काल बाद इराक ने इजरायल के खिलाफ ड्रोन हमला कर दिया। जिससे दो इजरायली सैनिकों की मौत हो गई और दो दर्जन से ज्यादा सैनिक घायल हो गए।

इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने यह बयान दिया है कि इजरायल ईरान के तेल ठिकानों पर हमला कर सकता है और ऐसी स्थिति में पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढ़ सकते हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति के इस बयान के बाद पूरी दुनिया सकते में आ गई है। खासतौर पर ऐसे देश जिनकी अर्थव्यवस्था कमजोर है वे पेट्रोल और डीजल के दाम बढऩे की आशंका से चिंतित हो उठे हैं।

इजरायल और ईरान दोनों ही इस बार आर पार की लड़ाई का मन बना चुके हंै। ऐसी स्थिति में युद्ध को टालना असंभव की हद तक कठिन हो गया है। यह बात उनकी समझ में नहीं आ रही है कि जंग से सभी का नुकसान होता है।

जिन देशों के बीच जंग होती है उन्हें तो नुकसान उठना ही पड़ता है लेकिन जो देश जंग में शामिल नहीं होते वे भी गेहूं के साथ घुन की तरह पीस जाते हैं। दुनिया चाह रही है कि यह महायुद्ध न हो लेकिन इजरायल अब पीछे हटने को तैयार नहीं है।

उसे अमेरिका के अलावा यूरोपी देशों और नाटो का समर्थन मिला हुआ है। दूसरे शब्दों में कहे तो आधी दुनिया इजरायल के साथ है जबकि ईरान के साथ गिने चुने देश ही हैं।

यहां तक की ईरान से सबसे ज्यादा तेल आयात करने वाला चीन भी खुलकर ईरान का समर्थन नहीं कर रहा है। रूस ने भी अभी तक ईरान के पक्ष में कोई बयान नहीं दिया है।

यहां तक की अरब देश भी इस मामले में अभी तक खामोशी अख्तियार किए हुए हैं। संयुक्त अरब अमीरात अमेरिका के साथ है इसलिए उसने भी इजरायल के खिलाफ अभी तक कोई बयान नहीं दिया है।

ऐसी स्थिति में ईरान के सुप्रीम लीडर की अपील का कितना असर पड़ेगा। इस बारे में फिलहाल कुछ भी कह पाना मुहाल है। दरअसल सभी देशों के अपने अलग हित हंै इसलिए सभी फूंक फूंक कर कदम रख रहे हैं।

वैसे तो सभी चाहते है कि यह जंग टल जाए लेकिन लाख टके का सवाल यह है कि इस युद्ध को कैसे रोका जाए। खासतौर पर इजरायल को मनाना आसान नहीं है

एक बार ईरान भले ही मान जाए लेकिन इजरायल अपनी जिद पर अड़ा हुआ है जिसके चलते महायुद्ध की आशंका बनी हुई है।

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