Winter Session : समय पूर्व सत्रावसान...

Winter Session : समय पूर्व सत्रावसान…

Winter Session : Premature Session...

Winter Session

Winter Session : संसद के शीतकालीन सत्र का समय से पूर्व ही सत्रावसान कर दिया गया। संसद के दोनों सदनों में लगातार विपक्ष द्वारा हंगामा करने की वजह से लोकसभा और राज्यसभा को एक दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। संसद के शीतकालीन सत्र का भी बहुत कीमती समय हंगामों की भेंंट चढ़ गया। दरअसल सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ने ही यह कोशिश नहीं की कि सत्र के दौरान जनहित से जुड़े मुद्दों पर सार्थक चर्चा हो। संसद के मानसून सत्र में हंगामा करने वाले राज्यसभा के 12 सांसदों को इस सत्र के लिए निलंबित किया गया था।

इसे मुद्दा बनाकर विपक्ष ने राज्यसभा में पूरे सत्र के दौरान हंगामा किया, इसकी वजह से राज्य सभा की कार्यवाही बाधित होती रही। निलंबित सांसदों ने संसद परिसर (Winter Session) स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरना देकर अपना विरोध जताया। इस मुद्दे को लेकर लोकसभा में भी हंगामा होता रहा। सत्तापक्ष और विपक्ष एक दूसरे को संसद में गतिरोध के लिए जिम्मेदार ठाहराते रहे जबकि संसद को सुचारू रूप से चलाने की जितनी जिम्मेदारी सत्तापक्ष की होती है उतनी ही जिम्मेदारी विपक्ष की भी होती है।

बहरहाल विपक्ष के लगातार हंगामों के बावजूद इस सत्र में तीन विवादास्पद कृषि कानून पहले ही दिन वापस ले लिए गए और नौ महत्वपूर्ण विधेयक संसद में पारित हो गए। यदि संसद का बहुत सारा बेशकीमती समय हंगामों की भेंट नहीं चढ़ता तो कई और महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा हो सकती थी और वे भी पारित हो सकते थे। संसद सत्र की समाप्ति के एक दिन पूर्व टीएमसी के एक संासद ने फिर रूल बुक फेक दी। जिसकी वजह से उन्हे भी निलंबित किया गया।

अब समय आ गया है कि संसद के भीतर माननीयों का आचरण सही हो इसके लिए एक लक्ष्मण रेखा खींची जाएं, जिसका उल्लंघन करने वाले माननीयों को न सिर्फ संसद सत्र (Winter Session) के लिए निलंबित किया जाए बल्कि उन्हे सांसद पद से ही बर्खास्त किया जाएं। जब तक इस तरह का कड़ा कानूनी प्रावधान नहीं किया जाएगा तब तक सांसदों का हंगामा यू ही होता रहेगा और संसद का कामकाज प्रभावित होता रहेगा। इसके साँथ ही सांसदों के लिए भी जितना काम उतना दाम का नियम लागू किया जाना चाहिए।

आखिर उन्हे इतना भारी भरकम वेतन भत्ता और ढेर सारी सुविधाएं इसलिए नहीं दी जाती कि वे संसद में जनहित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने की जगह संसद में सिर्फ हंगामा खड़ा करें। संसद की कार्यवाही पर प्रति मिनट लाखों का खर्च आता है जो जनता के गाढ़े खून पसीने की कमाई होता है, इसका दुरूपयोग कतई नहीं होना चाहिए। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बारे में सत्तापक्ष और विपक्ष मिलकर गंभीर चिंतन करेंगे और संसद का आगामी सत्र सुचारू रूप से चले इसका कोई रास्ता निकालेंगे।

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