संपादकीय: फिर ईवीएम पर विधवा विलाप
Widow laments over EVM again : लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के एक पखवाड़े बाद ईवीएम को लेकर विधवा विलाप होना वाकई समझ से परे है। 4 जून को जब ईवीएम ने नतीजे उगले थे तब रूदाली गैंग खामोश था। चुनाव परिणाम पर किसी ने कोई आपत्ति नहीं उठाई थी और न ही ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगाकर हायतौबा मचाई थी।
पहली बार ईवीएम पाक साफ नजर आई थी लेकिन अमेरिकी कारोबारी एलन मस्क ने अमेरिका में ईवीएम से चुनाव को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट डालकर ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगाते हुए इस पर रोक लगाने की मांग कर भारत में बवाल खड़ा कर दिया। इस बीच मुंबई में ईवीएम से कथित छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए एक अखबार ने फर्जी खबर छापकर आग में घी डालने का काम कर दिया।
चुनाव आयोग की घुड़की के बाद अखबार ने तो गलत खबर छापने के लिए माफी मांग ली लेकिन इसे लेकर ईवीएम विरोधियों ने सिर पर आसमान उठाना शुरू कर दिया। एलन मस्क उन्हें महाज्ञानी लगने लगा जो सिफऱ् एक कारोबारी है न कि कोई ईवीएम एक्सपर्ट है। फिर उसने अमेरिका के ईवीएम पर प्रश्नचिन्ह लगाया था। भारतीय ईवीएम की विश्वसनीयता जगजाहिर है। इस पर सुप्रीम कोर्ट का भी फैसला आ चुका है। इसके बाद भी ईवीएम को लेकर कोहराम मचाना यही दर्शाता है कि ईवीएम तो सिर्फ बहाना है चुनाव आयोग और मोदी सरकार असली निशाना है।
ईवीएम (Widow laments over EVM again ) को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जो बयान दिया है उसी से समझा जा सकता है कि ईवीएम विरोधियों की कहीं पर निगाहें हैं और कहीं पर निशाना है। बकौल राहुल गांधी ईवीएम से छेड़छाड़ हमारी चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करती है जो भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर चिंता का विषय है। उनका कहना है कि ईवीएम एक ऐसा ब्लैक बाक्स बन गया है जिसकी जांच की इजाजत किसी को नहीं।
ऐसा कहते समय वे यह भूल गये कि चुनाव आयोग ने सभी ईवीएम विरोधी राजनीतिक दलों को चुनौती दी थी कि वे चुनाव आयोग के कार्यालय में आकर ईवीएम को हैक करके दिखाएं लेकिन इस चुनौती को स्वीकारने की हिम्मत किसी ने नहीं दिखाई थी।
बाद में सुप्रीम कोर्ट का भी फैसला आ गया कि ईवीएम से छेड़छाड़ असंभव है। फिर भी विपक्ष इसे लेकर व्यर्थ का बवाल खड़ा करने से बाज नहीं आ रहा है। यदि विपक्ष वाकई ईवीएम (Widow laments over EVM again ) का खात्मा चाहता है और फिर से बैलट पेपर के माध्यम से मतदान कराना चाहता है वह एक बार इस मुद्दे को लेकर चुनाव बहिष्कार का एलान कर दे। मिनटो में ही सारा टंटा टूट जाएगा।