संपादकीय: चुनाव आयोग की कार्यवाही पर नाराजगी क्यों?
Why the resentment over the action of the Election Commission?: चुनाव के दौरान चुनाव आयोग की कार्यवाही एक रूटीन प्रक्रिया है जिसपर आपत्ति उठाना समझ से परे है। चुनाव आयोग की सक्रियता के कारण ही वोट कबाडऩे के लिए पैसों का इस्तेमाल रूकता है। जगह जगह नोटों की गड्डियां शराब और अन्य सामग्री बरामद होती है।
स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनाव आयोग इस तरह का तलाशी अभियान चलाता ही है। ऐसे ही अभियान के तहत महाराष्ट्र में केन्द्रीय मंत्री गडकरी के हेलीकॉप्टर की भी तलाशी ली गई थी। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के बैग की भी तलाशी हुई थी किन्तु उन्होंने कोई आपत्ति नहीं की।
किन्तु महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अपने हेलीकॉप्टर की तलाशी लिए जाने पर भड़क गए। उन्होंने चुनाव आयोग के अधिकारियों और कर्मचारियों को धमकाना भी शुरू कर दिया। अब इसे शिवसेना यूबीटी ने मुद्दा बना लिया है और यह आरोप लगा रहे हंै कि चुनाव आयोग प्रतिशोध की भावना से कार्यवाही कर रहा है।
जबकि चुनाव आयोग ने स्प्ष्ट किया है कि इस तरह की कार्यवाही तय नियमों के मुताबिक हो रही है। ऐसे में अपने हेलीकॉप्टर की तलाशी पर भड़क कर दिखाना उद्धव ठाकरे के लिए कतई उचित नहीं है। उन्हें चुनाव आयोग की कार्यवाही में सहयोग देना चाहिए। जब उनके पास कुछ आपत्तिजनक चीज नहीं है तो तलाशी देने में हर्ज ही क्या है।
जाहिर है वे बात का बतंगड़ बनाकर इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं। किन्तु इससे उन्हें कोई लाभ नहीं होगा। इसके पूर्व भी जब भी चुनाव आयोग किसी विपक्षी नेता के हेलीकॉप्टर की अथवा उनके अन्य वाहनों की तलाशी लेता रहा है तो वे इसे लेकर न सिर्फ आपत्ति जताते रहे हैं
बल्कि इसे पक्षपात पूर्ण कार्यवाही करार देकर चुनाव आयोग पर निशाना भी साधते रहे हैं। उद्धव ठाकरे ने भी यही किया है जबकि उन्हें पता होना चाहिए कि चुनाव आयोग भाजपा के प्रभावशाली नेताओं की भी तलाशी ले चुका है। ऐेसे में व्यर्थ का बवाल खड़ा करना अनुचित है।