बलात्कार के आरोपी को अपराध कबूल करने के बाद भी वकील क्यों दिया जाता है?; जानिए क्या है कानून

बलात्कार के आरोपी को अपराध कबूल करने के बाद भी वकील क्यों दिया जाता है?; जानिए क्या है कानून

Why is a rape accused given a lawyer even after confessing the crime?; Know what the law is

rape accused given a lawyer

नई दिल्ली। rape accused given a lawyer: देश में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर हर तरफ गुस्सा जाहिर किया जा रहा है। कोलकाता, बदलापुर मामले में आरोपियों का केस लडऩे के लिए कोई वकील तैयार नहीं है। कोलकाता के सरकारी आरजी कर अस्पताल में प्रशिक्षु डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के मामले में मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। फिलहाल मुख्य आरोपी संजय रॉय सीबीआई की हिरासत में है। हर स्तर से मांग हो रही है कि उसे फांसी दी जाए। कोलकाता कोर्ट ने कबिता सरकार को आरोपी संजय रॉय का वकील नियुक्त किया है।

आरोप संजय ने 9 अगस्त की रात एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप (rape accused given a lawyer) किया और उसकी हत्या कर दी। उसका पॉलीग्राफ टेस्ट भी हुआ जिसमें उसने अपना अपराध कबूल कर लिया। संजय ने ट्रेनी डॉक्टर के साथ क्रूरता की कई हदें पार कर दीं। अस्पताल के सेमिनार हॉल में एक महिला डॉक्टर का शव मिला। कौन हैं कबिता सरकार? आखिर रेप और हत्या जैसे अपराधों में आरोपी वकील से क्यों मिलता है? आइए जानें कबिता सरकार पिछले 25 वर्षों से वकील हैं। उनका काम केस लडऩा है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि हर किसी को निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार है, भले ही वह आरोपी हो।

रेप और हत्या के आरोपी संजय रॉय (rape accused given a lawyer)का केस लडऩे के लिए कोई वकील तैयार नहीं था। महाराष्ट्र के बदलापुर केस में भी आरोपी अक्षय शिंदे की पैरवी के लिए एक भी वकील तैयार नहीं था। ऐसे मामलों में अदालत आरोपी के लिए वकील नियुक्त करती है। कोलकाता मामले में कोर्ट ने कबिता सरकार को नियुक्त किया।

भारत के संविधान के अनुसार सभी नागरिकों को निष्पक्ष सुनवाई और न्याय का अधिकार है। संविधान के अनुच्छेद 39ए में इसका उल्लेख है। 39ए के अनुसार संघ में ऐसी व्यवस्था है जिससे सभी को समान अवसर के आधार पर न्याय मिल सके। सरकार नि:शुल्क कानूनी व्यवस्था प्रदान करती है ताकि कोई भी नागरिक वित्तीय स्थिति या किसी अन्य कारण से न्याय पाने के अवसर से वंचित न रहे। सभी नागरिकों को निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार मिले, इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर केंद्र और राज्य स्तर पर राज्य सरकारों को कानूनी सेवा प्राधिकरण के रूप में गठित किया गया है।

विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के अनुसार समाज के कमजोर वर्गों को नि:शुल्क एवं सक्षम विधिक सेवाएँ प्रदान की जाती हैं। जब कोई आरोपी या व्यक्ति कानूनी खर्च वहन करने में असमर्थ होता है या कोई वकील केस लडऩे के लिए तैयार नहीं होता है, तो अदालत संबंधित के लिए कानूनी सेवा प्राधिकरण से एक वकील नियुक्त करती है।

26 नवंबर 2008 को मुंबई में आतंकी हमला हुआ था। इस हमले के दौरान सुरक्षा बलों के जवाबी हमले में सभी आतंकी मारे गए। लेकिन पुलिस आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकडऩे में कामयाब रही। इतने बड़े आतंकी हमले में सैकड़ों मुंबईवासी मारे गए। उस वक्त कोई भी वकील (rape accused given a lawyer) कसाब का केस लडऩे के लिए तैयार नहीं था। इसके बाद अमीन सोलकर और फरहाना शाह को महाराष्ट्र कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा वकील के रूप में नियुक्त किया गया। बॉम्बे हाई कोर्ट ने आरोपी कसाब को मौत की सजा सुनाई थी। 2012 में कसाब को भी यरवदा जेल में फांसी दे दी गई थी।

2012 में जब दिल्ली में निर्भया कांड हुआ था तो आरोपियों के वकील की चि_ी एपी सिंह को दी गई थी। निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक एपी सिंह ने आरोपियों के लिए केस लड़ा। निर्भया मामले के सभी चार आरोपियों को मार्च 2020 में मौत की सजा सुनाई गई थी।

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