Booster Dosage की जरूरत किसे है ? जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
नई दिल्ली। Booster Dosage : कोरोना वायरस वैक्सीनेशन अभियान दुनियाभर में इस वक्त तेज़ी से हो रहा है, लेकिन इसके बावजूद कई इलाकों में कोविड के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं, जो चिंता का एक बड़ा विषय है। इसके पीछे का अहम कारण नए-नए वैरिएंट्स का आना और सावधानियों में ढील माना जा रहा है। लेकिन इसके साथ ही लंबे समय बाद कोविड वैक्सीन की एंटीबॉडीज़ का बेअसर हो जाना भी वजह मानी जा रही है।
ऐसे में, दुनिया के कई हिस्सों में बूस्टर डोज़ की डिमांड भी बढ़ी है। भारत बायोटेक भी इस वक्त वैक्सीन के बूस्टर शॉट्स विकसित करने में लगा है। वहीं, इज़रायल और अमेरिका ने भी वयसकों के लिए बूस्टर शॉट्स ऑफर करने शुरू कर दिए हैं।
क्या बूस्टर शॉट्स की है ज़रूरत?
गुरुग्राम के पारस अस्पताल के चेस्ट इंस्टीट्यूट और सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट एचओडी, डॉ. अरुणेश कुमार ने कहा, “जिस तरह कई तरह के शोध चल रहे हैं मुझे लगता है कि कुछ ही समय में यह साफ हो जाएगा कि कोविड के बूस्टर डोज़ की ज़रूरत है या नहीं। जिस तरह दूसरे वायरल संक्रमणों जैसे कि H1N1 में बूस्टर शॉट (Booster Dosage) की ज़रूरत होती है, वैसे ही कोविड-19 में भी पड़ सकती है।
साथ ही हाल ही में यूके में एक शोध में पाया गया था कि क्रोस वैक्सीनेशन से बेहतर तरीके से एंटीबॉडीज़ बनती हैं। इससे यह भी काफी हद तक साफ है कि भविष्य में एंटीबॉडीज़ को बूस्ट करने के लिए बूस्टर शॉट की ज़रूरत होगी। लेकिन इसके लिए हमें और रिसर्च और डाटा की ज़रूरत है।
उसके बाद ही साफ तौर पर कहा जा सकता है कि हमें कब, किसे और कितने लोगों को बूस्टर डोज़ की ज़रूरत होगी। हालांकि, मेरा ऐसा मानना है कि भविष्य में बूस्टर शॉट्स लगाए जाएंगे।”
बूस्टर शॉट्स की ज़रूरत किसे पड़ेगी?
मसीना हॉस्पिटल के कंसल्टेंट चेस्ट फिज़िशियन-पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. संकेत जैन का कहना है, ” कई रिसर्च में यह देखा गया कि कोविड-19 के टीकों से मिलने वाली एंटीबॉडीज़ समय के साथ कम हो सकती है। पिछले एक या दो सप्ताह से हम बूस्टर शॉट्स की आवश्यकता के बारे में काफ़ी कुछ सुन रहे हैं। लेकिन, कोई भी इस बात पर सहमत नहीं हो सका है कि वास्तव में किसी को उस खुराक की ज़रूरत होगी और कब होगी।
एविडेन्स बताते हैं कि बूस्टर डोज़ (Booster Dosage) उन लोगों के लिए मददगार होंगे जिनका इम्यून सिस्टम कमज़ोर है जैसे कि जिनका ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ है या वे कैंसर के रोगी हैं। ऐसे लोगों के लिए वैक्सीन की दो डोज़ काफी नहीं होंगी। अगर वैक्सीनेशन के इतिहास को देखा जाए, तो पहले भी कई वैक्सीन्स के बूस्टर डोज़ को मंजूरी दी गई है। कोविड-19 के लिए बूस्टर डोज़ की ज़रूरत पर आगे टिप्पणी करने के लिए अधिक शोध और अध्ययन की आवश्यकता है।”
बूस्टर डोज़ की दौड़ में भारत कहां खड़ा है?
एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने पहले कहा था कि ऐसा लगता है कि हम सभी को बूस्टर शॉट्स की ज़रूरत पड़ेगी क्योंकि वक्त के साथ वैक्सीन से मिली इम्यूनिटी ख़त्म होने लगती है। हम ऐसे बूस्टर शॉट्स चाहेंगे जो आने वाले कई वैरिएंट्स के खिलाफ कारगर साबित हों। बूस्टर के ट्रायल्स भी शुरू हो चुके हैं।