संपादकीय: नई दिल्ली में प्रदूषण से मुक्तिआखिर कब
When will New Delhi finally be free from pollution?: देश की राजधानी नई दिल्ली में ठंड का मौसम शुरू होते ही हर साल की तरह इस बार भी वायु प्रदूषण अभी से खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। दीपावली पर पटाखों पर रोक लगाने के बावजूद नई दिल्ली के कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर 432 एक्यूआई से अधिक हो गया है।
नतीजतन लोगों का सांस ले पाना दूभर हो गया है। इस प्रदूषण का सबसे ज्यादा घातक असर बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और बीमारों पर पड़ रहा है।
नई दिल्ली के शासकीय अस्पतालों और निजी क्लिनिकों में सांस संबंधी रोगों से ग्रसित मरीजों की लंबी कतारें लगने लगी है। अभी तो ठंड का मौसम शुरू ही हुआ है आगे चलकर जब ठंड और बढ़ेगी तो नई दिल्ली में प्रदूषण की समस्या किस कदर भयावह रूप धरण करेगी।
इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। नई दिल्ली में सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी की सरकार पिछले एक दशक से यह दावा कर रही है कि वह प्रदूषण रोकने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है लेकिन उसके ये सारे दावा हवा हवाई ही साबित हुए हैं।
पहले तात्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी सरकार की नाकामी पर पर्दा डालने के लिए नई दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों हरियाणा और पंजाब को जिम्मेदार ठहराते थे और यह आरोप लगाते थे कि हरियाणा और पंजाब के किसानों द्वारा पराली जलाए जाने के कारण नई दिल्ली में प्रदूषण बढ़ता है।
अब नई दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी भी अपनी सरकार के निकम्मेपन का ठीकरा हरियाणा और उत्तरप्रदेश के सिर पर फोड़ रही हैं। उन्होंने पंजाब को इसलिए बख्श दिया है क्योंकि वहां आम आदमी पार्टी की सरकार बन गई है।
कुल मिलाकर नई दिल्ली के लोगों को प्रदूषण की समस्या से मुक्ति मिलने के दूर दूर तक कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। विश्व के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शुमार नई दिल्ली को प्रदूषण से आखिर कब मुक्ति मिलेगी यह सवाल नई दिल्ली के बाशिंदो के सामने मुंह बाएं खड़ा है।
जिसका किसी के पास जवाब नहीं है। वायु प्रदूषण की तरह ही नई दिल्ली में जल प्रदूषण भी विकराल रूप धारण कर चुका है। यमुना नदी में सफेद झाग भर गया है। और नदी के किनारे भी गंदगी का साम्राज्य स्थापित हो गया है।
सामने छठ पर्व है ऐसे में यमुना नदी के प्रदूषित पानी और उसके घाटों में फैली गंदगी के बीच लोगों को छठ पूजा करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
इस समस्या का समाधान करने की जगह अब इस मुद्दे पर भी सियासत हो रही है। आम आदमी पार्टी और भाजपा इसे लेकर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रही है।
नई दिल्ली के लोगो को स्वच्छ पेयजल भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। लोगों के घरों में गंदा पानी आ रहा है जो पीने के लायक नहीं है। आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल ने ऐसे ही गंदे पानी को लेकर मुख्यमंत्री आतिशी के बंगले पर प्रदर्शन किया था।
इससे स्पष्ट है कि आम आदमी पार्टी की सरकार लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने में भी विफल रही है। और इसे लेकर लोगों की नाराजगी को देखते हुए अब आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया है कि विधानसभा चुनाव में यदि आम आदमी पार्टी की फिर से सरकार बनेगी तो लोगों के पानी का बिल माफ कर दिया जाएगा।
इस तरह की लोकलुभावन घोषणाएं करके ही आम आदमी पार्टी सत्ता पर काबिज होती हैं लेकिन समस्याओं का समाधान नहीं करती।