WhatsApp privacy policy : NCLAT से WhatsApp को आंशिक राहत, Meta के साथ डेटा शेयरिंग पर लगी रोक हटी, ₹213 करोड़ का जुर्माना बरकरार

WhatsApp privacy policy

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डेटा गोपनीयता से जुड़े एक अहम फैसले में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने मंगलवार को WhatsApp को आंशिक राहत (WhatsApp privacy policy) दी है। ट्रिब्यूनल ने प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के उस आदेश को पलट दिया जिसमें पांच साल तक Meta Platforms के साथ डेटा साझा करने पर रोक लगाई गई थी। हालांकि, ₹213.14 करोड़ का जुर्माना बरकरार रखा गया है।

यह मामला 2021 में आई WhatsApp की नई गोपनीयता नीति (Privacy Policy) से संबंधित है, जिसमें यूजर डेटा को Meta के साथ साझा करने की अनुमति मांगी गई थी। इसी को लेकर प्रतिस्पर्धा आयोग ने कंपनी पर “प्रभुत्व के दुरुपयोग” का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की थी।

NCLAT ने कहा — ‘यूजर्स पर थोपे गए अनुचित शर्तें’

NCLAT ने अपने 184 पन्नों के आदेश में कहा कि WhatsApp ने यूजर्स के सामने “Take it or leave it” का विकल्प रखकर प्रभुत्व का दुरुपयोग (WhatsApp privacy policy) किया है। ट्रिब्यूनल के अनुसार, डेटा शेयरिंग की अस्पष्ट और विस्तृत शर्तों की अनिवार्य स्वीकृति जबरदस्ती और अनुचित है, जो प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 4(2)(A)(i) का उल्लंघन करती है।

पीठ ने यह भी कहा कि WhatsApp और Meta के बीच डेटा ट्रांसफर ने डिजिटल विज्ञापन बाजार में प्रतिस्पर्धा को कमज़ोर किया और नए खिलाड़ियों के लिए प्रवेश अवरोध पैदा किए।

राहत सीमित, दंड बरकरार

ट्रिब्यूनल ने यह साफ किया कि WhatsApp और Meta कानूनी तौर पर अलग-अलग संस्थाएं हैं, इसलिए CCI द्वारा लगाया गया “प्रभुत्व हस्तांतरण (Dominance Transfer)” का आरोप टिकाऊ नहीं है।

हालांकि, आयोग द्वारा लगाए गए जुर्माने की गणना में कोई त्रुटि नहीं पाई गई, इसलिए ₹213.14 करोड़ का दंड जारी रहेगा।

पीठ ने कहा, “CCI का यह निर्देश कि WhatsApp पांच वर्षों तक Meta के साथ विज्ञापन उद्देश्यों के लिए डेटा साझा नहीं करेगा, टिकाऊ नहीं है और इसे रद्द किया जाता है। शेष आदेश यथावत रहेगा।”

Meta का बयान — “प्राइवेसी नीति में कोई बदलाव नहीं”

फैसले के बाद Meta Platforms के प्रवक्ता ने कहा — “हम NCLAT के निर्णय का स्वागत करते हैं। हमारी 2021 की प्राइवेसी नीति ने उपयोगकर्ताओं के निजी संदेशों की गोपनीयता को किसी भी तरह प्रभावित नहीं किया है। सभी निजी चैट अब भी एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।”

केस की पृष्ठभूमि

साल 2021 में WhatsApp ने अपनी प्राइवेसी पॉलिसी में बदलाव करते हुए कहा था कि वह कुछ डेटा अपनी पैरेंट कंपनी Meta के साथ साझा (WhatsApp privacy policy) कर सकेगा। इस कदम के बाद भारत में बड़े पैमाने पर विरोध हुआ और कई यूजर्स ने ऐप हटाने शुरू कर दिए।

CCI ने मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए जांच शुरू की और WhatsApp पर ₹213 करोड़ का जुर्माना लगाया था। अब NCLAT ने जुर्माना बरकरार रखते हुए डेटा शेयरिंग पर लगी पाबंदी को हटा दिया है, जिससे कंपनी को आंशिक राहत मिली है।