संपादकीय: विपक्ष की यह कैसी एकजुटता

संपादकीय: विपक्ष की यह कैसी एकजुटता

What kind of unity is this of the opposition

What kind of unity is this of the opposition

What kind of unity is this of the opposition: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्यवाही की और भारतीय सेना ने आपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान को सबक सिखाया तब पूरे विपक्ष ने भारतीय सेना और सरकार के साथ खड़े होने का दम भरा था और अपनी एक जुटता दिखाई थी। सर्वदलीय बैठक के दौरान सभी विपक्षी पार्टियों ने सरकार का साथ देने का वादा किया था जिसकी पूरे देश ने सराहना की थी किन्तु अब वहीं विपक्ष आपरेशन सिंदूर पर सवालिया निशान लगा रहा है और कुछ विपक्षी नेता तो आपरेशन सिंदूर को विफल भी बता रहे हैं।

जबकि सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ की गई कार्यवाही के दौरान विपक्ष को विश्वास लेने की हर संभव कोशिश की थी। पाकिस्तान के खिलाफ आपरेशन सिंदूर के बाद हुए संघर्ष विराम को लेकर भी विपक्ष ने जो सवाल उठाये थे। उसका भी न सिर्फ भारतीय सेना ने बल्कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी सच्चा जवाब दिया था। इसके बाद भी विपक्ष के सवाल खत्म नहीं हो रहे हैं। ऐसे में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि यह विपक्ष की कैसी एकजुटता है संघर्ष विराम के बाद सरकार ने विश्व के 33 देशो में सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल भेजने का निर्णय लिया और इसमें सभी विपक्षी पार्टियों को समुचित प्रतिनिधित्व दिया।

यह प्रतिनिधि मंडल अपना काम बाखूबी अंजाम दे रहा है। और विदेशों में जाकर भारत का पक्ष पूरी दमदारी के साथ रख रहा है और आतंक का परियाय बन चुके पाकिस्तान को बेनकाब कर रहा है। किन्तु इस सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल से भी उन विपक्षी पार्टियों को दिक्कत हो रही है जिनके नेता इस प्रतिनिधि मंडल में शामिल है। शिवसेना यूबीटी की ओर से प्रियंका चतुर्वेदी को प्रतिनिधि मंडल का हिस्सा बनाया गया है और वे मुखर होकर पाकिस्तान के बखिये उधेड़ रही हैं किन्तु शिवसेना यूबीटी के नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय राउत इस सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल को टूरिज्म बता रहे हैं।

इसी तरह तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी भी विदेशों में जाकर भारत का पक्ष मजबूती से रख रहे हैं। लेकिन वहीं दूसरी ओर बंगाल सरकार में मंत्री और टीएमसी के वरिष्ठ नेता उदयन गुहा प्रतिनिधि मंडल को लेकर बेहद विवादास्पद बयान दे चुके हैं। हालांकि उनके बयान से टीएमसी ने खुद को अलग कर लिया है। समावादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव ने भी सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल की आलोचना की है। जबकि समाजवादी पार्टी को भी इस प्रतिनिधि मंडल में शामिल किया गया है। सबसे विवादास्पद बयान तो कांग्रेस नेता उदित राज ने दिया है जिन्होंने अपनी ही पार्टी के नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री शशि थरूर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चमचा कह दिया है।

उदित राज का कहना है कि विदेश यात्रा के दौरान इस डेलिगेशन में शामिल भाजपा के नेताओं को भी पीछे छोड़कर शशि थरूर मोदी सरकार का महिमा मंडन कर रहे हैं। गौरतलब है कि अमेरिका और पनामा प्रवास के दौरान शशि थरूर ने पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना की कार्यवाही को जायज ठहराते हुए यह बयान दिया था कि भारत ने पहली बार पाकिस्तान में घुसकर उसे सबक सिखाया है। शशि थरूर ने तो अमेरिका को भी आईना दिखा दिया था।

शशि थरूर के इस बयान के बाद कांग्रस पार्टी में खलबली मच गई है और उदित राज ने शशि थरूर पर निशाना साध कर नया विवाद खड़ा कर दिया है। वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी शशि थरूर के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि थरूर को यह नहीं भूलना चाहिए कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में यूपीए सरकार ने ही पाकिस्तान के खिलाफ स्ट्राइक की थी। यह बात कांग्रेस के अन्य प्रवक्ता भी खबरिया चैनलों पर डिबेट के दौरान कह रहे हैं लेकिन एंकर के बार बार पूछने के बावजूद वे यह नहीं बता रहे हैं कि यूपीए सरकार के दौरान पािकस्तान के खिलाफ कब स्ट्राइक की गई थी। कांग्रेस प्रवक्ताओं को कुतर्क है कि कांग्रेस पार्टी सैन्य कार्यवाही को लेकर राजनीति नहीं करती और सेना की कार्यवाही का श्रेय नहीं लूटती।

जाहिर है शशि थरूर के बयान के बाद कांग्रेस पाट्र्री में हड़कंप मच गई है क्योंकि उनके झूठे दावों की पोल खूल गई है। इसीलिए उदितराज जैसे कांग्रेसी नेता शशि थरूर को भाजपा का सुपर प्रवक्ता बता रहे हैं। सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल पर ऊंगली उठाने वाले इन विपक्षी नेताओं को यह नहीं भूलना चाहिए कि इस प्रतिनिधि मंडल में शामिल विपक्षी नेता भाजपा या एनडीए सरकार के प्रवक्ता बनकर नहीं गये हैं बल्कि वे भारत देश के प्रवक्ता के रूप में दुनिया को भारत का पक्ष बता रहे हैं।

इसमें शामिल सभी विपक्षी नेता चाहे वे असदुद्दीन ओवैसी हो या आनंद शर्मा हों या सलमान खुर्शिद हों या फिर गुलाम नबी आजाद हों ये सभी मोदी सरकार के प्रखर विरोधी रहे हैं देश के भीतर ये सभी विपक्षी नेता सरकार पर निशाना साधते रहे हैं लेकन जब बात देश की आ गई है तो ये सभी विपक्षी नेता दलगत राजनीति से ऊपर उठकर विदेशों में देश के हित की बात कर रहे हैं और पाक के नापाक ईरादों का पूरी निर्भिकता के साथ पर्दाफाश कर रहे हैं। ऐसे में इनके बयानों को लेकर भारत के भीतर विपक्षी नेताओं विवादास्पद टिका टिप्पणी करने से बाज आना चाहिए और पाकिस्तान के खिलाफ की जा रही इस कुटनीतिक कार्यवाही के प्रति अपनी एकजुटता प्रदर्शित करनी चाहिए।

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