Weekly Column : साप्ताहिक स्तंभ, बातों…बातों…में !
सुकांत राजपूत (साप्ताहिक स्तंभ)
दैनिक नवप्रदेश में प्रकाशित Weekly Column : साप्ताहिक स्तंभ बातों…बातों…में… सियासी, नोकरशाही और सूबे के हर वो मामले बतौर इबारत दर्ज हैं जो लोगों की जुबान पर है। चुटिले अंदाज़ में यह स्तंभ विगत 5 सालों से अनवरत है…
ईओडब्ल्यू में सिंघम रिटर्न…
शासन को छगपु. में किसी सिंघम टाइप अफसर की काफी कमी खल रही है। खासकर ईओडब्ल्यू जैसे इदारे में ऐसे सिंघम की दरकार महसूस की जा रही थी जिसे जो टास्क दिया जाये उसे पूरा करने का उसमें माद्दा भी हो और शासन को उसपर एतबार भी..! महकमे में यूं तो कई नाम हैं, लेकिन काम से ज्यादा नाम कमा चुके पुलिस के आला अफसरों में अपनी कानपुरिया स्टाइल के लिए फेमस डीएम. और मेरठिया अंदाज के ठेठ एमजी. की रईसियत हर जुबान पर है। बातों ही बातों एक ख़ौफ़ज़दा अफसर ने बताया शायद एमजी लौट रहे हैं ! उसने आगे कहा छगपु.में सिंघम रिटर्न टू बनेगी की नहीं इसका पता इसी हफ्ते चल जायेगा। महकमे के इस खबरी का कहना है…करप्शन में हाई प्रोफइल केस में मुकाम तक पहुंचने के लिए डीएम नहीं एमजी ही सहीं कहा जा रहा है।
आरआई का शरिया कानून…
अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार को भले ही भारत हर तरह से मदद करता है, लेकिन इसका ये मतलब तो नहीं कि उनके सख्त शरिया कानून को भी अपना लिया जाये ! इन दिनों राजधानी रायपुर के पुलिस लाइन में एक सूबेदार पूरी तरह तालिबानी शासन पसंद बन गया है। मातहत अगर कुछ भी गलतियां किये तो आरआई अफगानिस्तान की सजा लाइन के नवआरक्षकों को देता है। बातों ही बातों में लाइन अटैच सिपाहिन ने अपना दर्द बयान किया। उसके मुताबिक एक ही हफ्ते में डीएसबी पुल के दो परिचालक और जेल पेशी ड्यूटी में तैनात दो आरक्षकों को आरआई ऑफिस के पीछे डंडों से बेतहाशा पीटा गया। अपने ही लड़कों की इस तरह से डंडा मालिश के पीछे भले ही वजह बड़ी रही हो, लेकिन सजा देने का यह तालिबानी अंदाज़ जल्द ही अफसरों के कानों तक पहुँचने वाला है।
हारों का सहारा लोकसभा…
कांग्रेस से भाजपा आज क्यों अलग और बेहतर अंदाज़ में सियासत का मुकाम हासिल करती जा रही है इस पर दोनों पार्टियों के चंडूखाने में खासी चर्चा है। लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारी और उम्मीदवारों के नामों के एलान के बाद अब दोनों दलों के नेता एक-दूसरे के पार्टी नेताओं के फैसलों पर रश्क़ करने लगे हैं। बीजेपी नेता ने कांग्रेस की तारीफ करते हुए कहा…नेता और पार्टी ऐसी होनी चाहिए जो विधानसभा के शिकस्त खाये नेता पर भी लोकसभा जीतने की उम्मीद भी रखती है। रुंधे गले से भाजपाई ने फिर हलक से थूक गटकते हुए कहा- एक हमारी पार्टी के नेता हैं जो लोकसभा जीतने वालों की टिकिट काटने और विधानसभा जीतकर आये को भी हाशिये में रख देती है…इसलिए हारों का सहारा कांग्रेस एकमात्र ठिकाना बोलै जा रहा है।
लहसुन प्याज से परहेज़…
बीबी के खान-पान की पसंद भी खासी चर्चित होने लगी है। राजनांदगांव से लोकसभा की टिकट मिलते ही बीबी का खुराक-ऐ-अंदाज अब दिन और रात के हिसाब से अलहदा हो गया है। बातों ही बातों में उनका सारथी बताने लगा… कहा, दाऊ जी दिनभर निरामिष अंदाज़ में खाना कहते हैं लेकिन अब उनके यहां शाम से रात तक सात्विक भोजन परोसा जाने लगा है। दौरे के बाद लौटे स्टाफ ने जब उनके घर शुक्रवार की रात का खाना खाया तो पनीर की सब्जी, दाल तड़का और गोभी मटर का सुबह वाला स्वाद नहीं मिला। जब पतासाजी की गई तो खुलासा हुआ बीबी के घर में कुक को रात को लहसुन, प्याज से परहेज़ गुरेज़ रखने ताक़ीद की गई है। …ये तो वही बात हुई न, गुड़ खाएं और गुलगुले से परहेज !
बंगला और जंगला में जिरह…
यूं तो बंगला, कोठी और घरोंदा पर कई कर्णप्रिय गीत आज भी जुबान पर है। लोकप्रिय गानों में एक बंगला बने न्यारा…और दरिया किनारे इक बंगला ओ पोरी अई जो अई…है। इन गानों की चर्चा के साथ ही जेहन में एक और गाना भी है जो राज्य के दो एक्स सीएम को दिए गए बंगलों के लिए एक पर फिट बैठता है और वह है…कांटा लगा…कांटा लगा…एक बंगले के पीछे पिया रे पिया। दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बीजेपी की साय सरकार के द्वारा अपने पड़ोस का जो घर दिया गया है उसमे और बीजेपी की पूर्वर्ती रमन सरकार में छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत प्रमोद जोगी को आवंटित सागौन बंगले की तुलना होना लाजमी है। एक रिटायर्ड कोंग्रेसी ने तंज कस्ते हुए कहा यह साहब का रुआब है…जो अब भी कायम है।