Weekly Column By Sukant Rajput : दैनिक नवप्रदेश में प्रकाशित साप्ताहिक स्तंभ, बातों…बातों…में…!

Weekly Column By Sukant Rajput : दैनिक नवप्रदेश में प्रकाशित साप्ताहिक स्तंभ, बातों…बातों…में…!

Weekly Column By Sukant Rajput :

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Weekly Column By Sukant Rajput : दैनिक नवप्रदेश के लिए सुकांत राजपूत द्वारा इस साप्ताहिक स्तंभ बातों…बातों में देश से लेकर प्रदेश तक के सियासी और नौकरशाही से ताल्लुक रखती वो बातें हैं, जो अलहदा अंदाज़ में पेश है।

रईस कांस्टेबल से ‘निजात’ मुश्किल…

एसएसपी संतोष सिंह के ड्रीम कैंपेन ‘निजात’ की राजधानी में खासी चर्चा है। चर्चा लाज़मी भी है, क्योंकि सिंह साहब ऐसे पहले पुलिस कप्तान हैं जिन्होंने एक तीर से नशेड़ियों, नशाखोरों से लेकर इस धंधे के भरोसे चल रहे महकमे के कई अय्यारों से निजात दिलाने में तकरीबन कामयाब हो चुके हैं। बस कसर बाकि है। क्योंकि बीते 5 साल में ब्रोकर टाइप के मुंह लगे कांस्टेबल रईस हो गए। एक बार फिर रईस कांस्टेबल प्रदेश का सियासी निजाम बदलते ही क्राइम और मलाईदार थानों में जुगाड़ जमा चुके हैं। बातों ही बातों में गरीब लेकिन ईमानदार और काबिल सउनि. ने कहा फिक्सिट और पांडे जी की जोड़ी ने भी जमकर नोट कमाए। रायपुर पुलिस को आखिर तोसेफ़, संजय, राधा और गोस्वामी जैसे रईस कांस्टेबल से कब मिलेगी ‘निजात’ इसका जवाब अफसरों के पास भी नहीं है।

नहीं कर सकेंगे गम गलत, ख़ुशी दोबाला

गिनती के दिन यानी कल प्रदेश में शराब बंदी रहेगी। भारत निर्वाचन आयोग ने काउंटिंग वाले दिन यानी 4 जून को सभी जगह ड्राई-डे घोषित कर दिया है। छत्तीसगढ़ में भी शराब दुकानें सोमवार रात निर्धारित समय पर बंद होंगी। उसके बाद बुधवार को सुबह ही खुलेंगी। वैसे भी सुबाई सियासत में दारु बड़ा मुद्दा रहा है। आम चुनाव की खुशियां मानाने वालों के लिए तो इंतजाम अली मिल ही जायेंगे। लेकिन, जिनकी हार होगी उनके समर्थकों के लिए गम गलत करने का टोटा रहेगा। क्योंकि पीने, पिलाने और बेचकर खूब माल कमाने वाले तो ईडी, आईटी, ईओडब्ल्यू के फेर में फंसे हैं। बातों ही बातों में गांधी भक्त ने बताया कि हारने वाले प्रत्याशी के समर्थक भी डेढ़ होशियार निकले.. जीत का मुगालता पालकर भैया जी से पहले ही बंदोस्त करवा चुके हैं…हारे तो गम गलत जीते तो ख़ुशी दोबाला यानि कि डबल मज़ा करेंगे।

कोला…कोला हो गया कोका कोला…

एक वो भी वक्त था जब बारातियों का स्वागत पान पराग से और पार्टियों की जान कोका कोला हुआ करता था। फिर थम्स अप टेस्ट द थंडर हर की जुबान में बस गया। अब छत्तीसगढ़ के बाजार में कई सॉफ्ट ड्रिंक प्रोडक्ट ऑप्शन में हैं। फिर भी ‘कोका कोला’ की टक्कर में ‘थम्स अप’ ही है। पेय पदार्थ के इस 500 करोड़ के गोरखधंधे में प्रतिस्पर्धा का ही नतीजा है कि बिना नजराना दिए कोक की खपत ठप है। बातों ही बातों में एक धंधेबाज़ ने उगल दिया कि रायपुर से दुर्ग के बीच कोका कोला का बॉटलिंग प्लांट बंद पद गया है। कोक के शौकीनों की मांग पर पश्चिम बंगाल से आपूर्ति हो रही है। वजह है दिल्ली लेबल में कोक से नजराने की बजाये जबराना मांगा जाना। मांग पूरी नहीं हुई तो टेस्ट द थंडर हो गया। मामला साफ़ है…भीषण गर्मी में जब बोतल बंद पानी की मांग बढ़ जाती है तो सॉफ्ट ड्रिंक और कोक का धंधा भी मुनाफेदार होता है। ऐसे में इन पेय पदार्थों को क्लीनचिट देने वाले इदारे के नौकरशाहों को प्रतिस्पर्धी कंपनियां भी डबल नजराना देकर खेल करती ही हैं। ऐसे ही नहीं बोल जाता है कि ‘डर के आगे जीत है।’

108 को एक्सिस पेमेंट की होगी सांय सांय जांच

108 एम्बुलेंस सर्विस 24 इन टू 7 की सेवा है। इसकी जगह एक समय में जीवीके थी। मुफ्त की जनसेवा दिखने वाली इस सेवा को जनहित के लिए छत्तीसगढ़ सरकार अपने लोगों के लिए उपलब्ध करवाई थी। प्रश्न उठता है जब दोनों ही कंपनी का एक जैसा ही सेवा कार्य है तो फिर बदली क्यों गई ? जीवीके के बाद 108 क्यों और किसने लेकर आई सवाल बड़ा है। क्योंकि जनता को मुफ्त में मौके पर रिकार्ड टाइम में चिकित्सा सहायता देने के पीछे सरकार मोटी रकम इन कंपनियों को भुगतान करती है। लेकिन पूर्ववर्ती भूपेश सरकार के समय कोरोना काल में कंपनी को एक्सिस या एक्स्ट्रा पैसे दे दिए गए। बातों ही बातों में एक छत्तीसगढ़ के हितैषी ने बताया कि कोविड काल में तकरीबन 18 से 20 करोड़ की एक्सिस पेमेंट दे दी गई। इसकी जांच पड़ताल होगी तो बड़ा खुलासा होगा। सुनने में तो यह भी आ रहा है कि छत्तीसगढ़ के कोल स्केम के सस्पेक्टेड और ट्रांसपोर्टर जो पूर्ववर्ती सरकार के सेवादारों में शुमार थे इस पुरे खेल में किसकी क्या भूमिका थी वो जल्द ही सूबा-ऐ-सदर सांय सांय खुलासा और कार्रवाई करेंगे।

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