Voter List Revision : वोटर लिस्ट विवाद…SC ने कहा – आधार, राशन कार्ड, वोटर-ID को मानें पहचान का सबूत…EC को 3 सवालों के जवाब देने होंगे…

नई दिल्ली, 11 जुलाई| Voter List Revision Bihar : बिहार में चल रही वोटर लिस्ट रिविजन प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने साफ कर दिया कि इस प्रक्रिया पर फिलहाल कोई रोक नहीं लगेगी, लेकिन चुनाव आयोग को 3 गंभीर सवालों के जवाब देने होंगे। साथ ही, कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि पहचान के दस्तावेज के तौर पर आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर-ID को मान्यता दी जाए। अब इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई 2025 को होगी।
कोर्ट का रुख: रोक नहीं, लेकिन जवाब जरूरी
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा,
“हम चुनाव आयोग की नीयत पर सवाल नहीं कर (Voter List Revision Bihar)रहे, लेकिन प्रक्रिया और इसके समय को लेकर लोगों के मन में संदेह है।”कोर्ट ने यह भी कहा कि मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने जैसी प्रक्रियाएं संविधान के दायरे में आती (Voter List Revision Bihar)हैं, लेकिन यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि कोई भी नागरिक बिना सूचना या सुनवाई के लिस्ट से बाहर न हो।
दस्तावेज मान्यता पर सुप्रीम सुझाव
कोर्ट ने सुझाव देते हुए कहा कि –
आधार कार्ड
राशन कार्ड
वोटर आईडी कार्ड
इन सभी को प्रमाण के तौर पर स्वीकार किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि नागरिकता की पुष्टि करना चुनाव आयोग का नहीं, गृह मंत्रालय का दायित्व है।
चुनाव आयोग पर सवाल
कोर्ट ने पूछा:
क्या चुनाव आयोग के पास मतदाता सूची में संशोधन करने का अधिकार है?
जो प्रक्रिया अपनाई गई है, क्या वह कानूनी और उचित है?
क्या पुनरीक्षण का वर्तमान समय उचित है?
जवाब दाखिल करने की समयसीमा:
चुनाव आयोग: 21 जुलाई 2025 तक
याचिकाकर्ता: 28 जुलाई 2025 तक प्रत्युत्तर दाखिल करें
अब तक क्या हुआ?
चुनाव आयोग का दावा है कि 60% मतदाताओं ने अपनी पहचान सत्यापित कर दी है। आयोग ने यह भी कहा (Voter List Revision Bihar)है कि किसी को बिना नोटिस के सूची से बाहर नहीं किया जाएगा।
कोर्ट ने साफ किया,
“हम आपको वह करने से नहीं रोक सकते जो संवैधानिक है, लेकिन वह भी नहीं करने देंगे जो गलत है।”