Vladimir Putin India Visit : व्लादिमीर पुतिन भारत पहुंचे, पीएम मोदी ने किया भव्य स्वागत – अब विश्व राजनीति में क्या बदल सकता है?

Vladimir Putin India Visit

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार की शाम भारत पहुंचे, जहां पालम एयरफोर्स स्टेशन (Vladimir Putin India Visit) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़ते हुए खुद उनका स्वागत किया। दोनों नेताओं के बीच गर्मजोशी भरी मुलाकात हुई, गले लगकर अभिवादन हुआ और इसके बाद दोनों एक ही कार में साथ बैठकर 7 लोक कल्याण मार्ग पहुंचे।

वहां रात को अनौपचारिक बैठक, डिनर और वन-टू-वन बातचीत हुई। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब दुनिया राजनीतिक तनाव और वैश्विक शक्ति संतुलन के नए दौर से गुज़र रही है, इसलिए यह मुलाकात भारत-रूस रिश्तों के भविष्य को लेकर काफी अहम मानी जा रही है।

शुक्रवार 5 दिसंबर को पुतिन का राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत होगा और उन्हें तीनों सेनाओं का गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया जाएगा। इसके बाद वे राजघाट पहुँचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि (Vladimir Putin India Visit) देंगे। वहीं हैदराबाद हाउस में दोनों देशों का विस्तृत प्रतिनिधिमंडल–स्तरीय संवाद होगा, जिसमें रणनीतिक सहयोग, रक्षा, ऊर्जा, कूटनीति और व्यापारिक साझेदारियों पर बड़ी बातचीत तय है।

उम्मीद जताई जा रही है कि इस मुलाकात में परमाणु ऊर्जा, रक्षा सहयोग और स्पेस टेक्नोलॉजी पर कई प्रस्ताव आगे बढ़ सकते हैं। रूस भारत में और न्यूक्लियर रिएक्टर लगाने पर सहमति दे सकता है, जबकि भारत S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की बची हुई बैटरियां जल्द हासिल कर सकता है।

साथ ही S-500 सिस्टम, ब्रह्मोस मिसाइलों के अगले संस्करण और सुखोई-57 फाइटर जेट के ज्वाइंट प्रोडक्शन पर नई चर्चाएँ (Vladimir Putin India Visit)  संभावित हैं। शिपबिल्डिंग, सिविलियन एयरक्राफ्ट, हाई-टेक सेक्टर, फर्टिलाइज़र और हेल्थ टेक्नोलॉजी में भी नए करारों की संभावना है। रूस में रेयर अर्थ खनिजों और यूरिया प्लांट को लेकर सहयोग की रूपरेखा भी आगे बढ़ सकती है।

भारत-रूस व्यापार अभी लगभग 70 बिलियन डॉलर का है, लेकिन आयात अधिक और निर्यात कम होने के कारण भारत ट्रेड असंतुलन कम करना चाहता है। भारत दवाइयों, कृषि उत्पाद, सी-फूड और ऑटोमोबाइल एक्सपोर्ट बढ़ाने की दिशा में ठोस कदम रखना चाहता है।

वहीं रूस में युद्ध स्थितियों के कारण स्किल्ड वर्कफोर्स की कमी है, जिसे भारत पूरा कर सकता है। यह सहयोग आगे चलकर आर्थिक संतुलन मजबूत कर सकता है। पुतिन-मोदी की यह मुलाकात दोस्ती और भरोसे के 25 वर्षों की साझेदारी को आगे बढ़ाने वाली 17वीं बैठक है।

पहले भी दोनों नेताओं ने निजी स्तर पर कई बार बातचीत की है—पिछले वर्ष रूस दौरे के दौरान पुतिन ने मोदी को अपने निजी कंट्री हाउस में होस्ट किया था, जबकि SCO समिट में दोनों ने एक ही कार में सफर करते हुए लगभग 50 मिनट चर्चा की थी। इस बार का स्वागत और भी अधिक प्रतीकात्मक रहा क्योंकि प्रधानमंत्री खुद एयरपोर्ट पहुँचकर पुतिन का स्वागत करने आए, जिससे यह संकेत साफ है कि दोनों देश आने वाले वर्षों में और बड़े सामरिक-आर्थिक निर्णय लेने के लिए तैयार हैं।

इन संभावित रक्षा करारों और तकनीकी सहयोग पर पाकिस्तान और चीन सबसे अधिक नजरें टिकाए हुए हैं, क्योंकि भारत-रूस की यह साझेदारी एशिया के शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकती है। पुतिन एक बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत आए हैं, जिसमें रूस के फर्स्ट डिप्टी प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, बैंक गवर्नर और 75 से अधिक उद्योग प्रमुख शामिल हैं।

शुक्रवार को होने वाली उच्च-स्तरीय वार्ताओं में कई महत्वपूर्ण समझौतों पर मुहर लगने की संभावना है। यह केवल एक औपचारिक समिट नहीं — बल्कि वैश्विक समीकरणों को प्रभावित करने वाला महत्वपूर्ण अध्याय साबित हो सकता है।

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