Vidhansabha : रेणु जोगी ने पूछे ये सवाल…जवाब मिला- राज्य का नियंत्रण नहीं
रायपुर/नवप्रदेश। Vidhansabha छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन बुधवार को सदन में जमकर हंगामा हुआ। प्रश्नकाल में जनता कांग्रेस की विधायक डॉ. रेणु जोगी ने चिटफंड कंपनियों का मुद्दा उठाया। डॉ. जोगी ने पूछा कि प्रदेश में कितनी कंपनियां संचालित थी। सहारा इंडिया के कितने निवेशकों को पैसा दिलाया।
कांग्रेस ने किस आधार पर घोषणा पत्र में डूबे पैसे दिलाने का वादा किया। जवाब में गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि चिटफंड में डूबी हुई रकम लौटाई जा रही है। प्रदेश में कोई भी चिटफंड कंपनी अधिकृत रूप से पंजीकृत अथवा संचालित नहीं है। विधायक डॉ. जोगी ने सहारा इंडिया में निवेशकों द्वारा जमा की गई राशि का विवरण मांगा।
रेणु जोगी ने गृह मंत्री से सवाल किया (Vidhansabha) कि वर्ष 2018 से छत्तीसगढ़ प्रदेश में निवेशक के रूप में कितनी चिटफंड कंपनियां संचालित थी? कंपनियों के नाम सहित जानकारी देवें? सहारा इंडिया की विभिन्न शाखाओं में निवेशकों द्वारा जमा कराई गई राशि के भुगतान के लिये 17-11-2021 तक क्या-क्या कार्रवाई हुई है? प्रदेश के कितने निवेशकों द्वारा उक्त कंपनी में कितनी राशि का निवेश किया गया है?
आधिकारिक तौर पर पंजीकृत या संचालित नहीं है चिटफंड कंपनी
गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने जवाब देते हुए कहा कि वित्त विभाग की जानकारी अनुसार प्रदेश में चिटफंड अधिनियम, 1982 प्रभावशील है। इस अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत प्रदेश में कोई भी चिटफंड कंपनी अधिकृत रूप से पंजीकृत अथवा संचालित नहीं है।
गृह मंत्री ने कहा कि सहारा इंडिया पर राज्य शासन का नियंत्रण नहीं है। जिस कारण निवेशकों के द्वारा जमा राशि एवं भुगतान की जानकारी दी जाना संभव नहीं है। जो मामले संज्ञान में आए हैं, आ रहे हैं, उन पर समुचित कार्यवाही की जा रही है।
सहारा इंडिया कंपनी में निवेशित राशि की जानकारी राज्य शासन (Vidhansabha) को उपलब्ध नहीं है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि राजनांदगांव में जमीन की नीलामी कर निवेशकों को रकम दिलाई जा सकती है तो रायपुर में 500 एकड़ जमीन नीलाम कर सरकार पैसा वापस क्यों नहीं कर रही है।
कार्यवाही नियत है तो समय सीमा बताएं। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि घोषणा पत्र में चिटफंड का पैसा वापसी का वादा किया गया था। सत्ता पक्ष ने घोषणा पत्र में झूठा वादा किया था। सत्ता पक्ष सदन में माफी मांगे।