ये कश्मीर का भद्रवाह नहीं, न ही कुल्लू - मनाली ; बल्कि छग का कबीरधाम है |

ये कश्मीर का भद्रवाह नहीं, न ही कुल्लू – मनाली ; बल्कि छग का कबीरधाम है

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कबीरधाम/नवप्रदेश। हरी-भरी वादियों (valley) के पीछे से उठ रहे धुएं (smoke) वाली यह तस्वीर न कश्मीर घाटी (kullu manali) के भद्रवाह की है और न ही शिमला या कुल्लू – मनाली की। बल्कि ये नजारा है हमारे छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले का।

कबीरधाम मैकल पर्वत की विशाल श्रृंखला की तलहटी पर बसा है। चित्र भी इसी श्रृंखला का एक हिस्सा है। इन वादियों (valley) की वजह से ही कबीरधाम जिला छत्तीसगढ़ में देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पर्यटकों की सुख-सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए उनके ठहरने के लिए मैकल पवर्त माला (चिल्फी घाटी) (valley)  के सरोधा दादर में कॉटेज भी बनाए गए हैं। ये विश्रााम गृह (नागमोरी) भोरमदेव मंदिर के समीप वहां बनाए गए हैं, जहां से भोरमदेव अभयारण्य की शुरुआत होती है। गौरतलब है कि कबीरधाम जिला छत्तीसगसढ़ की राजधानी रायपुर स्थित हवाईअड्डे से महज 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

रायपुर से नान स्टॉप एसी बसें उपलब्ध :

पर्यटकों के लिए खास बात यह है कि रायपुर से यहां आने के लिए वातानुकूलित नॉन स्टॉप बसें उपलब्ध हैं, जो सिर्फ ढाई घंटे का समय लेती हैं। कवर्धा शहर में ठहरने के लिए निजी होटल उपलब्ध हैं। खानपान की दृष्टि से भी महानगरों की तुलना में काफी सस्ता है। यहां के रेस्टॉरेंट व होटलों में 70 से 80 रुपए में खाना उपलब्ध हो जाता है। लिहाजा प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ लेने के लिए कबीरधाम को एक बेहतर पर्यटन विकल्प के रूप में चुना जा सकता है।

 

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