Uttarkashi Tunnel: 40 एम्बुलेंस, गैस मास्क, डॉक्टर, हेलीकॉप्टर; बचाव अभियान अंतिम चरण में है..

Uttarkashi Tunnel: 40 एम्बुलेंस, गैस मास्क, डॉक्टर, हेलीकॉप्टर; बचाव अभियान अंतिम चरण में है..

Uttarkashi Tunnel: 40 ambulances, gas masks, doctors, helicopters; The rescue operation is in its final stages.

-ऑक्सीजन सिलेंडर, मास्क, स्ट्रेचर से लेकर बीपी उपकरण सब कुछ मौजूद

उत्तरकाशी। Uttarkashi Tunnel: उत्तरकाशी सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का आज 12वां दिन है और देर रात ड्रिलिंग के दौरान कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। ऑगर मशीन का टुकड़ा क्षतिग्रस्त हो गया। ऑगर मशीन बिट मरम्मत उपकरण हेलीकॉप्टर से लाया गया। ऐसे में बचाव कार्य अब अंतिम चरण में है और इसके लिए एंबुलेंस को भी तैयार रखा गया है।

एनडीआरएफ की टीम भी मौके पर मौजूद है। बचाव कार्यों के लिए एनडीआरएफ बीयरिंग और पहियों के साथ अतिरिक्त स्ट्रेचर तैयार कर रहा है ताकि स्ट्रेचर के माध्यम से मजदूरों को लंबे पाइप से बाहर निकाला जा सके। ऑक्सीजन सिलेंडर, मास्क, स्ट्रेचर से लेकर बीपी उपकरण तक सभी चिकित्सा सहायता उपकरण सुरंग स्थल पर स्थित हैं। एनडीआरएफ के बचावकर्मी गैस मास्क और स्ट्रेचर के साथ अंदर जा रहे हैं। एंबुलेंस को स्टैंडबाय पर रखा गया है।

एम्बुलेंस स्टाफ के सदस्य हरीश प्रसाद ने कहा, सभी व्यवस्थाएं कर ली गई हैं। हमारे यहां 40 एम्बुलेंस तैनात रहेंगी। सुरंग के बाहर 15 डॉक्टरों की एक टीम तैनात की गई है। एनडीआरएफ की एक टीम पहले से ही मौके पर मौजूद है और बचाव एवं राहत कार्य में जुटी हुई है। जैसे ही पाइप सुरंग में प्रवेश करेगी, एनडीआरएफ के जवान सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकाल लेंगे।

टनल के बाहर प्राथमिक उपचार की तैयारियां भी जोर-शोर से की गई हैं। एनडीआरएफ की टीम मजदूरों को सुरंग से निकालने के लिए पहियों और बेयरिंग से लैस विशेष स्ट्रेचर ले गई है. बताया जा रहा है कि मजदूरों की शारीरिक स्थिति के कारण वे 60 मीटर तक चल नहीं पाएंगे। इसलिए यह कदम उठाया गया है।

सुरंग से बाहर निकाले जाने के बाद मजदूरों को चिकित्सा जांच और देखभाल के लिए एम्बुलेंस से चिन्यालीसौड़ के स्वास्थ्य केंद्र ले जाया जाएगा। चिन्यालीसौड़ में 41 बेड का विशेष वार्ड बनाया गया है। यहां डॉक्टरों की एक टीम तैनात की गई है जो मजदूरों के स्वास्थ्य की जांच करेगी और जरूरत पडऩे पर उन्हें इलाज के लिए दूसरी जगहों पर भेजा जाएगा।

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