संपादकीय: जम्मू कश्मीर विधानसभा में व्यर्थ का बवाल

Useless uproar in Jammu and Kashmir Assembly
Setback to Bengal government from Supreme Court: संसद द्वारा पारित वक्फ संसोधन अधिनियम राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद देशभर में प्रभावी हो गया है। केन्द्र सरकार ने इस बारे में अधिसूचना भी जारी कर दी है। वक्फ बिल की खिलाफत करने वाले संगठन इस विधेयक के विरूद्ध देशभर में प्रर्दशन भी कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में भी वक्फ बिल के खिलाफ कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अन्य पार्टियों द्वारा याचिका दाखिल की गई है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने जा रहा है। इस बीच जम्मू कश्मीर विधानसभा में वक्फ बिल को लेकर सत्ता पक्ष के विधायक ही व्यर्थ का बवाल खड़ा कर रहे हैं।
पिछले तीन दिनों से सत्तारूढ़ पार्टी नेशनल कांफ्रेन्स के विधायक विधानसभा में वक्फ बिल पर चर्चा कराएं जाने की मांग को लेकर हंगामा कर रहे हैं। जिसके चलते नेशनल कांफ्रेन्स और भाजपा के विधायकों के बीच धक्का मुक्की की भी स्थिति निर्मित हो गई थी। नेशनल कांफ्रेन्स के विधायक इस बिल के विरोध में कपड़े भी फाडऩे लगे थे। जम्मू-कश्मीर विधानसभा के अध्यक्ष जो नेशनल कांफ्रेन्स के ही हैं।
उन्होंने वक्फ बिल पर सदन में चर्चा कराने से इंकार कर दिया। दरअसल, संसद में पारित किसी विधेयक के खिलाफ किसी भी राज्य की विधानसभा में चर्चा कराने का कोई प्रावधान नहीं है। इस नियम को जानते हुए भी नेशनल कांफ्रेन्स के विधायक अपनी जिद पर अड़े हुए हैं और व्यर्थ का बवाल खड़ा कर विधासभा की कार्यवाही को चलने नहीं दे रहें हैं।
यह तो वही बात हो गई कि सुप्रीम कोर्ट के किसी फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करके उस पर बहस कराने की मांग की जाए। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होनी थी। लेकिन इस सत्र के तीन दिन सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों के हंगामे के कारण व्यर्थ चले गए।
जिसके चलते सदन की कार्यवाही और दो दिन आगे बढ़ाने की बात हो रही है। लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों के तेवर को देखते हुए यह लगता है कि यदि विधानसभा की कार्यवाही के लिए और दो दिन बढ़ाए जाते हैं तो भी वे हंगामों की ही भेंट चढ़कर रह जाएंगे।