संपादकीय: वोट के बदले नोट पर बवाल

संपादकीय: वोट के बदले नोट पर बवाल

Uproar over notes in exchange for votes

Uproar over notes in exchange for votes

Uproar over notes in exchange for votes: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए मतदान के एक दिन पूर्व भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े पर पैसे बांटने का आरोप लगने से बवाल खड़ा हो गया है।

बहुजन विकास अघाड़ी नामक पार्टी के नेताओं ने आरोप लगाया है कि विरार के एक होटल में विनोद तावड़े के पास नोटों भरा एक बैग बरामद हुआ है। जिसे बांटने के लिए लाया गया था। इस मामले को लेकर होटल में जब हंगामा होने लगा तो पुलिस और चुनाव आयोग की टीम मौके पर पहुंची और वहां से 9 लाख रुपए कैश मिले।

अब इस मामले को लेकर विपक्ष ने भाजपा पर हमला तेज कर दिया है। और उस पर वोट के लिए नोट बांटने का आरोप लगाया जा रहा है। वहीं भाजपा नेताओं ने ऐसे आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि एक साजिश के तहत भाजपा के खिलाफ यह आरोप लगाए जा रहे हैं।

विनोद तावड़े ने भी इन आरोपों का पुरजोर शब्दों में खंडन किया है और इस मामले की चुनाव आयोग से निष्पक्ष जांच की मांग की है। चुनाव आयोग ने मामले की जांच शुरू कर दी है और जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि विनोद तावड़े वाकई वहां नोट बांटने पहुंचे थे या उन्हें षडयंत्र के तहत फंसाया जा रहा है।

बहरहाल सच्चाई तो जांच के बाद ही सामने आएगी लेकिन इस मामले से भाजपा की फजीहत तो हो ही गई है। ऐन मतदान के एक दिन पूर्व भाजपा पर वोट के बदले नोट बांटने का आरोप लगना भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।

वैसे तो इस सच्चाई से किसी को इनकार नहीं हो सकता कि वोट कबाडऩे के लिए हर चुनाव में नोट तो बटते ही हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान ही चुनाव आयोग की टीम ने करोड़ों रुपए जब्त किए थे। जाहिर है ये रुपए मतदाताओं को बांटने के लिए ही इधर से उधर किए जा रहे थे। दरअसल अब चुनाव में मतदाताओं को प्रलोभन देने के लिए सिर्फ लोकलुभावन घोषणाएं करने से काम नहीं चलता।

खास तबके के लोगों को नगद राशि शराब और अन्य वस्तुएं देनी पड़ती हैं। चूंकि लगभग सभी पार्टियां ऐसा करती हैं। इसलिए वे एक दूसरे के खिलाफ इस बारे में शिकायत भी नहीं करती।

शिकायत करने का दुष्परिणाम शिकायत करने वाली पार्टी को भी भुगतना पड़ जाता है। ऐसे मतदाताओं में इस बात को ेलेकर असंतोष फैल जाता है कि वो खुद तो उन्हें पैसे या शराब नहीं दे रहे हैं। और दूसरा कोई दे रहा है तो उसकी शिकायत कर उसे जब्त कराया जा रहा है।

यही वजह है कि ऐसे मामलों को लेकर शिकायत नहीं की जाती। किन्तु विरार में एक पार्टी ने इस मामले को लेकर हंगामा खड़ा कर दिया। अब देखना होगा कि वोट के बदले नोट के इस कांड के कारण किसे कितना नुकसान और किसे कितना फायदा मिल पाता है।

इस मामले का खुलासा होने के बाद भाजपा अब डैमेज कंट्रोल में लग गई है। एक ओर तो उसने विनोद तावड़े का बचाव करते हुए उन पर लगे आरोपों को निराधार बताया है। वहीं दूसरी ओर भाजपा के प्रवक्ताओं ने प्रेस कांफ्रेंस कर विपक्ष के नेताओं सुप्रिया सुले और नाना पटोले पर भी भ्रष्ट हथकंडे अपनाने का आरोप लगाया है।

कुल मिलाकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने का जो खेल चल रहा था। वह मतदान के एक दिन पूर्व पूरी तरह परवान चढ़ गया। देखना दिलचस्प होगा की इसका महाराष्ट्र के मतदाताओं पर कितना प्रभाव पड़ता है।

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