Upper House of Parliament : योग्य लोग पहुंचे राज्यसभा
Upper House of Parliament : राज्य सभा को संसद का उच्च सदन कहा जाता है। लोकसभा तो हर पांच साल में या उसके पहले भी भंग हो जाती है लेकिन राज्य सभा हमेशा कायम रहती है। इसी लिए राज्य सभा को महत्वपूर्ण माना गया है। राज्य सभा में विषय विशेषज्ञों को भेजने का प्रावधान किया गया है लेकिन देखा जा रहा है कि अब राज्यसभा में ऐसे लोग भी पहुंच जाते है तो पंत या पार्षद का चुनाव भी नहीं जीत सकते। इन दिनों राज्य सभा की रिक्त सीटों के लिए विभिन्न राजनीतिक पार्टियां अपने प्रत्याशियों की घोष्णा कर रही है और जो नाम तय किए जा रहे है उसे लेकर कई जगह बवाल उठ रहा है।
बिहार के जनाधिकार मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष (Upper House of Parliament) पप्पू यादव ने तो सीधा आरोप लगाया हे कि राज्यसभा की टिकटें कई पार्टियां बेचती है जो ज्यादा पैसे दे सकता है वो राज्यसभा में पहुंच सकता है। इस तरह के आरोप अन्य नेता पहले भी लगाते रहे है लेकिन इससे राजनीतिक पार्टियों को कोई फर्क नहीं पड़ता, वे अपनी इच्छा अनुसार किसी को भी राज्यसभा प्रत्याशि घोषित कर देती है और जिन राज्यों में उनकी पार्टी के विधायक पर्याप्त संख्या में होते है वहां से उनका चुनाव जीतना तय हो जाता है।
इसके लिए उस राज्य विशेष की उपेक्षा भी की जाती है और दूसरे राज्य के नेता को दूसरे राज्य से राज्यसभा में भेज दिया जाता है। यद्यपि ये राजनीतिक पार्टियों का आंतरिक मामला है और वे प्रत्याशी चयन करने के लिए स्वतंत्र है लेकिन उन्हे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी राज्य की उपेक्षा न हों। जिस राज्य में किसी पार्टी का बहुमत है उस राज्य के नेता को ही राज्यसभा में भेजा जाएं ताकि वह अपने राज्य की समस्याओं को संसद के उच्च सदन में उठा सकें।
राज्यसभा (Upper House of Parliament) प्रत्याशियों के चयन के लिए भी मानदंड तय किए जाने चाहिए। यह न सिर्फ राजनीतिक पार्टियों के बल्कि लोकतंत्र के हित में होगा और राज्यसभा प्रत्याशियों के चयन को लेकर होने वाले विवाद को टाला जा सकेगा। राज्यसभा को संसद का चोर दरवाजा भी कहा जाता है जो राज्यसभा की गरीमा को ठेस पहुंचाता है। संसद के उच्च सदन की गरीमा अक्षूण बनी रहे इसके लिए यह आवश्यक है कि वहां विषय विशेषज्ञ और योग्य लोग पहुंचे।