UP Assembly Elections : ब्राम्हण वोट साधने की कवायद

UP Assembly Elections : ब्राम्हण वोट साधने की कवायद

An exercise to garner Brahmin votes

UP Assembly Elections

UP Assembly Elections : देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी तैयारी जोर शोर से शुरू कर दी है। इस बार उत्तर प्रदेश के चुनाव में यह खास बात देखी जा रही है कि वहां के १२ प्रतिशत ब्राम्हण वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए राजनीतिक दलों में होड़ लग गई है। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में ब्राम्हण वोटरों ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया था नतीजतन भाजपा को दो-तीहाई बहुमत प्राप्त हुआ था।

इस बार गैर भाजपा (UP Assembly Elections) दल ब्राम्हण वोटरों के सहारे अपनी चुनावी नैया पार लगाने की कवायद कर रहे है। बहुजन समाज पार्टी जिसमें कभी यह नारा उछाला था कि तिलक, तराजू और तलवार उनको मारों जूते चार। आज वह बसपा भी ब्राम्हण शर्णम् गच्छामी हो गई है। उत्तर प्रदेश में लगातार बसपा ब्राम्हण सम्मेलन आयोजित कर रही है और ब्राम्हण वोटरों को यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि सिर्फ बहुजन समाज पार्टी ही ब्राम्हणों के हितों की रक्षा कर सकती है।

यही नहीं बल्कि बहुजन समाज पार्टी अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को जल्द बनवाने का भी वादा कर रही है। बहुजन समाज पार्टी की तरह ही समाजवादी पार्टी (UP Assembly Elections) भी ब्राम्हण वोटरों को रिझाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रही है। बसपा और सपा दोनों ने ही २० प्रतिशत मुस्लिम वोटों को भी अपने पक्ष में करने के लिए रणनीति बनाई है। इस तरह इन दोनों ही दलों की नजर ३२ प्रतिशत मुस्मिल और ब्राम्हण मतदाताओं पर है। इधर ओवैसी ने भी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बाहूल्य लगभग १०० विधानसभा क्षेत्रों से अपने प्रत्याशी खड़े करने की घोषणा कर के सपा है बसपा के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की कवायद तेज कर दी है।

उन्होने तो मुस्लिमों को ब्राम्हणों से भी श्रेष्ठ बताया है। ओवैसी की एंट्री से सपा और बसपा को मुस्लिम वोटों (UP Assembly Elections) के विभाजन का खतरा नजर आ रहा है यही वजह है कि इसकी भरपाई में ब्राम्हण वोटरों को अपने पाले में लाकर करना चाहते है। बहरहाल यह देखना दिलचस्प होगा कि १२ प्रतिशत ब्राम्हण वोटरों को अपने पक्ष में करने में सपा या बसपा को कितनी सफलता मिल पाती है।

भाजपा भी ब्राम्हणों के साथ ही पिछड़ा वर्ग को तथा दलित वर्ग को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है जिससे उत्तर प्रदेश विधानासभा चुनाव में कांटे की टक्कर की स्थिति बन रही है।

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