Unemployment Debate : शीत सत्र में बेरोजगारी पर सियासी टकराव तेज, भत्ता योजना बंद होने के आरोपों से सदन में गरमाहट
Unemployment Debate
छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र में आज बेरोजगारी का मुद्दा पूरे जोर-शोर से उठा। प्रश्नकाल के दौरान (Unemployment Debate) जैसे ही रोजगार और बेरोजगारी भत्ते से जुड़े सवाल सामने आए, सदन का माहौल पूरी तरह बदल गया। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिली, जिससे कार्यवाही कई बार बाधित होती नजर आई।
चर्चा के दौरान सरकार की ओर से यह जानकारी दी गई कि प्रदेश में 12 लाख से अधिक युवा वर्तमान में बेरोजगार हैं। साथ ही सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने (Unemployment Debate) के लिए राज्य स्तरीय रोजगार मेले का आयोजन किया जाएगा। सरकार का तर्क रहा कि इस पहल से निजी क्षेत्र और युवाओं के बीच सीधा संवाद बनेगा और नौकरी के नए रास्ते खुलेंगे।
हालांकि इस बयान के बाद विपक्ष ने बेरोजगारी भत्ते का मुद्दा जोर-शोर से उठाया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सदन में कहा कि उनकी सरकार ने बेरोजगारी भत्ता योजना को पूरी तरह ऑनलाइन किया था, ताकि पात्र युवाओं को बिना किसी बाधा के लाभ मिल सके। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया है, जिससे हजारों बेरोजगार युवाओं को आर्थिक सहारे से वंचित होना पड़ा।
पूर्व मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद सदन में शोर-शराबा तेज हो गया। विपक्षी विधायकों ने बेरोजगारी भत्ता बहाल करने की मांग करते हुए सरकार पर युवाओं की अनदेखी का आरोप (Unemployment Debate) लगाया। उनका कहना था कि रोजगार मेले की घोषणा से पहले सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि बेरोजगारी भत्ते जैसी योजनाओं को क्यों रोका गया।
वहीं सत्ता पक्ष ने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि सरकार युवाओं के दीर्घकालीन हित में काम कर रही है और रोजगार सृजन को प्राथमिकता दी जा रही है। बहस के दौरान बार-बार हस्तक्षेप और नारेबाजी के चलते सदन की कार्यवाही कुछ समय के लिए प्रभावित भी हुई।
नवा रायपुर स्थित विधानसभा भवन में चल रहे शीत सत्र में बेरोजगारी को लेकर उभरी यह बहस साफ संकेत दे रही है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा और गहराएगा। युवाओं से जुड़े सवालों पर सरकार और विपक्ष के बीच बढ़ता टकराव सत्र की दिशा और दशा दोनों तय कर सकता है।
