Under-19 Women's Team : जब मैंने विश्वकप उठाया तो मेरी आँखों में आँसू थे...पढ़ें आकांक्षा सत्यवंशी का इंटरव्यू

Under-19 Women’s Team : जब मैंने विश्वकप उठाया तो मेरी आँखों में आँसू थे…पढ़ें आकांक्षा सत्यवंशी का इंटरव्यू

Under-19 Women's Team: When I lifted the World Cup, I had tears in my eyes… read Akanksha Satyavanshi's interview

Under-19 Women's Team

रायपुर/नवप्रदेश। Under-19 Women’s Team : हाल ही में भारतीय अंडर 19 महिला टीम ने दक्षिण अफ्रीका में आयोजित पहला टी20 विश्व कप अपने नाम किया है। टीम के सभी खिलाड़ियों ने इस जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज के समय में जीत में टीम खिलाड़ियों के अलावा सपोर्ट स्टाफ की भी बहुत बड़ा रोल होता है, जो टीम को लगातार मानसिक और शारीरिक तौर पर फिट रखने में कड़ी मेहनत करता है। आकांक्षा सत्यवंशी ऐसा ही एक जाना पहचाना नाम है। आकांक्षा मूल रूप से छत्तीसगढ़ की हैं और पेशे से फिजियोथेरेपिस्ट हैं। वे सीनियर महिला टीम के साथ भी बहुत समय तक कार्य कर चुकी हैं। इस बार वे अंडर 19 टीम के साथ मुख्य फिजियोथेरेपिस्ट के तौर पर थीं। दैनिक नवप्रदेश के खेल संवाददाता नितेश छाबड़ा ने उनसे विश्व कप के अनुभव पर लंबी चर्चा की। पेश है उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश-

सवाल – आप इस पेशे में किस तरह जुड़ीं ?

जवाब – सबसे पहले मैंने रायपुर से फिजियोथेरेपी में बैचलर्स किया। उसके तुरंत बाद ही मेरा चयन कटक के स्वामी विवेकानंद इंस्टीट्यूट में मास्टर्स के लिए हो गया, जिसमे मैंने रिहैबिलिटेशन स्ट्रीम में विशेषता हासिल की। उसके बाद मैंने रायपुर में कुछ निजी संस्थानों में सेवाएं दीं। इसी दौरान छत्तीसगढ़ क्रिकेट संघ से जुड़ने का मौका मिला। उस वक़्त मैंने छत्तीसगढ़ के तीनों आयु वर्ग अंडर-19, अंडर-23 और सीनियर लड़कियों के साथ काम किया।

छत्तीसगढ़ टीम में किए गए अच्छे कामों की वजह से मुझे नेशनल क्रिकेट अकादमी से आफर मिला और मैंने सीनियर टीम के साथ जुड़कर उनको सेवाएं दीं। 2019 से मैं सीनियर महिला टीम के साथ जुड़ी हुई हूँ। 2021/22 के दौरान न्यूजीलैंड में हुए महिला एकदिवसीय विश्व कप में मैंने भारतीय टीम के साथ सहायक फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका निभाई थी। अब पिछले अगस्त से मैं इस अंडर 19 टीम के साथ हूँ। हमने बहुत से फिटनेस कैम्प किए और विश्वकप से पहले न्यूजीलैंड व दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ द्विपक्षीय सीरीज़ खेलकर हमने विश्व कप की तैयारियों को अंजाम दिया था।

सवाल – विश्व कप के अनुभव पर बताएं। कैसे 6 महीनों में टीम को तैयार कियाऔर शेफाली वर्मा ने किस तरह टीम के साथ अपने अंतराष्ट्रीय अनुभव को साझा किया?

जवाब – टीम तैयार करने के लिए 200 लड़कियों में से 15 लड़कियों का चयन किया गया था। उन्हें लगातार फिटनेस कैम्प में मॉनिटर किया गया। आपस में इन लड़कियों के बहुत से मैच कराए गए। जिन्होंने अच्छा परफॉर्म किया था, उन्हें टीम में जगह दी गई। इन लड़कियों की आपस मे दोस्ती बहुत अच्छी थी। उसके बाद शेफाली वर्मा और ऋचा घोष जब टीम से जुड़ी, तो वे भी बाकी सभी लड़कियों साथ एक दो दिनों में ही घुल मिल गई थीं। शेफाली और ऋचा का अंतराष्ट्रीय अनुभव भी इन नवोदित लड़कियों के बहुत काम आया और इन्होंने बहुत अच्छे नतीजे दिए।

सवाल — जब भारतीय टीम सेमीफाइनल में पहुँच गई, तो कई दफा ऐसा होता है कि खिलाड़ी दबाव में आ जाते हैं। जैसे ये सभी कम उम्र की लड़कियां हैं। बहुत अधिक परिपक्वता भी नही होती।तब ऐसे स्टेज में एक फीलिंग आती है कि अब हम टूर्नामेंट जीत जाएंगे या जीत रहे हैं। एक जल्दबाजी नजर आती है और वहां कई बार एकाग्रता खराब हो जाती है। यहां सपोर्ट स्टाफ का रोल महत्वपूर्ण हो जाता है। आपने टीम को कैसे नियंत्रित रखा ?

जवाब – यह बहुत ही दिलचस्प सवाल है। अभी तक ऐसा सवाल किसी ने नही किया। विश्व कप से पहले टीम ने न्यूजीलैंड एवं दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध वाइट वाश किया था। उसके बाद विश्व कप में भी हमें लगातार जीत मिली थी। तो कई बार कम उम्र के बच्चों में एक अति आत्म विश्वास आ जाता है कि हम विश्वविजेता बन जाएंगे या बनने वाले हैं। मगर इसी बीच हमें ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध मैच में हार का सामना करना पड़ा था। उस समय ही टीम को ये एहसास हुआ कि डाउन टू अर्थ बने रहना बहुत जरूरी है। यहां कोच की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो जाती है। हमारी टीम के कोच ने लगातार टीम को मैच टू मैच यह एहसास कराया कि आप पिछले मैच से सीख सकते हैं पर उस मैच के सेलिब्रेशन को नए मैच में नही ले जा सकते।

सवाल – फाइनल मैच से पहले भारतीय टीम ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा से रूबरू हुईं थी। उन्होंने किस तरह टीम का उत्साहवर्धन किया ?

जवाब – नीरज चोपड़ा जी बहुत ही बढ़िया इंसान हैं। मैच से एक दिन पहले शेफाली वर्मा का जन्मदिन था। शेफाली और नीरज जी दोनों हरियाणा से आते हैं। हमने उनसे अनुरोध किया कि अपना कुछ समय निकालकर लड़कियों को मोटिवेट करें। वे हमारे पास आए और उन्होंने बहुत ही संयम से सभी लड़कियों के सवाल जाने और अच्छे से उनका जवाब भी दिया। उन्होंने यही समझाया कि कोई भी बड़ी चीज अनुशासन से ही हासिल होती है और हर दिन आपको अनुशासन से ही आगे बढ़ना होता है, तभी आप अपने गोल में सफल होंगे। उन्होंने डाइट को लेकर हमें बहुत से टिप्स दिए। इसके साथ उन्होंने शेफाली वर्मा से भी अपने अंतराष्ट्रीय अनुभव को टीम की लड़कियों से साझा करने का मंत्र दिया। 

लड़कियों (under-19-womens-team) ने उनसे फाइनल देखने आने का अनुरोध किया और उन्होंने सहर्ष उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए पूरे फाइनल मैच के टीम का हौसला बढ़ाया। जब टीम की कप्तान शेफाली वर्मा ने विश्वकप लेने के बाद उनसे मिलने पर कप उनकी ओर आगे बढ़ाया तो उन्होंने दूर से ही कप को प्रणाम करके अपने हाथ में लेने से मना कर दिया और ये कहा कि इसे आप और आपकी टीम डिज़र्व करती है, इसे आप ही रखें। उनके इस व्यवहार ने सबका दिल जीत लिया ।

सवाल – टीम जब विश्व कप जीतती है तो उसमें पूरी टीम का योगदान होता है। हमारी टीम की फील्डिंग भी जबरदस्त रही है। फाइनल मैच में अर्चना देवी ने शार्ट कवर में जबरदस्त कैच लपका था। इनकी कहानी बहुत मार्मिक रही है। उस पर कुछ बताएँ।

जवाब – अर्चना शुरु से एथेलेटिक प्रवित्ति की  रही है। उसे फील्डिंग बहुत पसंद है। उसे यदि चोट की वजह से दर्द भी होता है तो भी वे फील्ड में जाते ही उसे भूल जाती है। वे बहुत रूरल बैकग्राउंड से आती है। बहुत ही कम उम्र में उन्होंने अपने पिताजी और भाई को खोया है और उसने कम उम्र में अपने परिवार को सम्हाला है। वे कई बार यह देखकर भावुक हो जाती थी कि सबके माता पिता मैच अपने बच्चों का मैच देखने स्टेडियम आते है पर मेरे यहाँ से कोई नही आ पाता। फाइनल से पहले उसने मुझे कहा था कि इस मैच में बहुत अच्छा करूंगी और उन्होंने जब वो शानदार कैच लपका, तो उसने खुश होकर मेरे और कोच की तरफ देखकर इशारा भी किया कि मैंने जो आपको वादा किया था, उसी तरह का परफॉर्म करने का प्रयास है यह। 

सवाल – आपने जब विश्व कप अपने हाथों में लिया, उस अनुभूति को बताएं।

जवाब – यह सपना पूरा होने जैसा था, जिसे शब्दो मे बयान कर पाना आसान नही है। जब मैंने कप अपने हाथों में उठाया, तो आंखों में आंसू आ रहे थे। यह भावुक कर देने वाला क्षण था और ये ख्याल आ रहा था कि अगर अंडर 19 की लड़कियां ऐसा कर सकती हैं तो आप समझ सकते हैं कि इंडिया में कितना टैलेंट है।

सवाल – 10 फरवरी से सीनियर महिला टीम का टी20 विश्वकप होने वाला है। आप इस टीम के साथ काम भी कर चुकी हैं। इस टीम के साथ क्या संभावनाएं देखती हैं ?

जबाव – यह एक बहुत ही संतुलित टीम है। शेफाली और ऋचा घोष के साथ अब अंडर 19 विश्व कप की जीत का भी अनुभव है।यह जीत दक्षिण अफ्रीका में ही मिली है। इसलिए इसका अनुभव बहुत काम आएगा। मुझे यकीन है कि हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में यह टीम बहुत अच्छा करेगी।

सवाल – महिला क्रिकेट के लिए यह बहुत अच्छा समय है। इस वर्ष महिला आईपीएल की शुरुआत होने जा रही है। इसे आप किस तरह देखती हैं ?

जवाब – देखा जाए तो महिला क्रिकेट के लिए यह वक़्त बहुत ही अच्छा गुजर रहा है। महिलाओं की क्रिकेट लगातार ऊंचाई पर जा रही है। महिला आईपीएल के जरिये भारतीय महिलाओं को बड़ा प्लेटफार्म मिलेगा। विभिन्न देशों के अंतराष्ट्रीय प्रशिक्षकों और क्रिकेटरों के साथ अनुभव साझा होगा। उनसे हमारे खिलाड़ी बहुत कुछ सीखेंगे। बीसीसीआई की तरफ से भी हमे बहुत सी अच्छी सुविधाएं, जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर, फिटनेस कैम्प और बहुत से प्रैक्टिस सेशन मिल रहे हैं। इसका पूरा फायदा टीम को हो रहा है।

सवाल – रायपुर में कुछ दिन पूर्व पहली बार अंतराष्ट्रीय मैच खेला गया। इसे आप किस तरह देखती हैं ?

जवाब –  रायपुर में मैच का जो आयोजन हुआ, उसका बहुत ही सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। व्यक्तिगत तौर पर मुझे बहुत सारे क्रिकेट से जुड़े लोगों के अनुभव मिले। मेहमान खिलाड़ियों ने छत्तीसगढ़ राज्य क्रिकेट संघ की तरफ से जो सुविधाएं प्रदान की गई, साथ ही स्टेडियम में जो सुविधाएं मिली, उसे उन्होंने सराहा है। उम्मीद है कि आगे भी इसी तरह के मैच छत्तीसगढ़ को मिलते रहेंगे।

सवाल – बीसीसीआई में आगे आप किस तरह की भूमिका में होंगी ?

जवाब – मैंने बहुत सा समय सीनियर महिला टीम को सर्व किया है और उसी अनुभव को देखते हुए मुझे अंडर 19 टीम के साथ जोड़ा गया था। इसके बाद मेरा कैरियर क्रिकेट में ही आगे बढ़ेगा। बीसीसीआई की तरफ से मुझे आगे जो भी भूमिका मिलेगी, मैं उसे तत्परता से निभाऊंगी ।

सवाल – आज के समय मे जब बहुत अधिक क्रिकेट खेला जा रहा है, टीम में फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका और अधिक बढ़ जाती है इसे किस तरह से पूरा करते है ?

जवाब – फिजियोथेरेपिस्ट बेसिक तौर पर तो क्रिकेट में (under-19-womens-team) अपना कार्य कर ही रहे है। आज के वक़्त मे इनका काम इंजरी मैनेजमेंट का भी  है। अगर फिजियोथेरेपिस्ट स्ट्रेंथ एवं कंडीशनिंग कोच के साथ मिलकर अच्छा कार्य करते हैं, तो बहुत सी चोटों से खिलाड़ियों का बचाव भी किया जा सकता है। वर्क लोड को मैनेज कर सकते हैं। खासकर गेंदबाज़ों का वर्कलोड कि कोई गेंदबाज एक हफ्ते में कितनी गेंदबाजी कर सकता है। इसके अलावा फिजियोथेरेपिस्ट के पास फील्ड में लगी सामान्य चोट से तेजी से निजात देने के लिए बहुत से टूल्स और तकनीक होती है, जिसका उपयोग वे मैदान में करते है ।

नितेश छाबड़ा

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