संपादकीय: दो दशक बाद दो भाइयों का मिलन

संपादकीय: दो दशक बाद दो भाइयों का मिलन

Two brothers reunite after two decades

Two brothers reunite after two decades

Editorial: महाराष्ट्र की राजनीति अब नई करवट लेने जा रही है। दो दशक बाद चचेरे भाईयों का मिलन हो गया है। शिवसेना यूबीटी के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने चचेरे भाई राज ठाकरे के साथ अपने आपसी मतभेद को भुलाकर हाथ मिला लिया है अब मुंबई महानगर पालिका सहित महाराष्ट्र के नगरीय निकायों के चुनाव में शिवसेना यूबीटी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना दोनों मिलकर चुनाव मैदान में ताल ठोंकेगी।

गौरतलब है कि मुंबई महानगरपालिका में पिछले दो दशकों से शिवसेना सत्ता पर काबिज है। अब चूंकि शिवसेना टूट चुकी है और इसके अधिकांश नेता और कार्यकर्ता उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर एकनाथ शिंदे के साथ जा चुके हैं। जिन्हें पार्टी नाम और चुनाव चिन्ह मिल गया है ऐसी स्थिति में शिवसेना यूबीटी के लिए बीएमसी में फिर से अपनी सत्ता बरकरार रखना बेहद चुनौतीपूर्ण है। बीएमसी में टिकटों के बंटवारे को लेकर शिवसेना यूबीटी और महाअघाड़ी में शामिल कांग्रेस तथा शरद पवार की पार्टी से बात नहीं बन पाई थी।

नतीजतन शिवसेना यूबीटी ने बीएमसी चुनाव अकेले अपने दम पर लडऩे की घोषणा कर दी थी। किन्तु जब उसे अकेले चुनाव लडऩे में जोखिम दिखाई दिया तो उद्धव ठाकरे ने अपने चचेरे भाई (Two brothers reunite after two decades) राज ठाकरे से हाथ मिला लिया। इन दो भाईयों के मिलन से महाराष्ट्र की राजनीति में क्या प्रभाव पड़ेगा यह तो आने वाला वक्त ही बेहतर बताएगा लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट हो गया है कि शिवसेना यूबीटी का कांग्रेस से नाता टूटना तय है क्योंकि कांग्रेस के नेता राज ठाकरे के साथ समझौता करने के लिए तैयार नहीं है।

इस स्थिति में अब महाराष्ट्र में महाअघाड़ी गठबंधन के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। पिछले विधानसभा चुनाव में महाअघाड़ी गठबंधन को करारा झटका लग चुका है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के पहले ही शिवसूना टूट गई थी और उसके बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भी टूट गई थी। नतीजतन महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाअघाड़ी गठबंधन का सूपड़ा ही साफ हो गया था।

अब शिवसेना यूबीटी बीएमसी चुनाव में अपने ताकत दिखाने की कवायद कर रही है और कांग्रेस से किनारा कर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के साथ जुगलबंदी कर रही है। इसका शिवसेना यूबीटी को कितना लाभ मिलेगा यह कह पाना मुहाल है क्योंकि राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का जनाधार बेहद कमजोर पड़ चुका है।

इस समय उसका न तो लोकसभा में न ही राज्यसभा में और न ही महाराष्ट्र विधानसभा में एक भी सदस्य है। पिछले विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को मात्र दो प्रतिशत वोट मिले थे। ऐसे में इन दो भाइयों के मिल जाने के बाद भी ये भाजपा को कितनी कड़ी चुनौती दे पाएंगे इस बारे में कुछ भी नहीं कहा सकता ।

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