Tribunal Reforms Act 2021 : सीजेआई गवई का सख्त रुख, केंद्र अगर चाहता है कि 24 नवंबर तक सुनवाई न की जाए, तो बता दे

Tribunal Reforms Act 2021

न्यायाधिकरण सुधार कानून (ट्रिब्युनल रिफार्म एक्ट) की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई टालने के केंद्र सरकार (Tribunal Reforms Act 2021) के अनुरोध पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई। प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई ने केंद्र की मांग को न्यायालय के प्रति अन्याय करार दिया। यहां तक कि प्रधान न्यायाधीश ने उनकी पीठ में इस मामले की सुनवाई को लेकर केंद्र की मंशा पर भी सवाल उठाया।

जस्टिस गवई ने कहा कि यदि आप चाहते हैं कि 24 नवंबर तक सुनवाई न की जाए तो बता दीजिए। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि अटॉर्नी जनरल अगर वह सोमवार को नहीं आए तो कोर्ट मामले पर सुनवाई पूरी करके बंद कर देगा। मालूम हो कि जस्टिस गवई 23 नवंबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं जिनमें न्यायाधिकरण सुधार कानून 2021 की वैधानिकता को चुनौती दी गई है। एक याचिका मद्रास बार एसोसिएशन की भी है। इस मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश गवई की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है।

तीन नवंबर को पिछली सुनवाई पर केंद्र सरकार ने अर्जी दाखिल कर मामले की सुनवाई पांच न्यायाधीशों की बड़ी पीठ को भेजे जाने की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि सुनवाई के अंत में वह केंद्र से इस तरह की उम्मीद नहीं करता। केंद्र की ओर से यह अर्जी अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने प्रस्तुत की थी और उस समय कोर्ट ने कहा था कि वह इस अर्जी को खारिज कर देगा।

परिणामस्वरूप मामले में अटॉर्नी जनरल को केंद्र की ओर से मेरिट पर बहस करनी थी। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए सोमवार का दिन तय किया था, जिसे बाद में शुक्रवार कर दिया था। यानी मामले में शुक्रवार को सुनवाई होनी है।

इस बीच, गुरुवार सुबह केंद्र की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी ने जस्टिस गवई की पीठ के समक्ष मामले का जिक्र करते हुए शुक्रवार की सुनवाई टालने का अनुरोध किया। भाटी ने कहा कि अटॉर्नी जनरल शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के एक मामले में व्यस्त हैं।

सुनवाई टालने की मांग पर प्रधान न्यायाधीश ने नाराजगी जताते हुए कहा हमने आपको पहले भी दो बार समायोजित किया है और कितनी बार किया जाए। यह न्यायालय के साथ अन्याय है।

जस्टिस गवई ने उनकी पीठ में सुनवाई को लेकर केंद्र की मंशा पर सवाल उठाते हुए नाराजगी के साथ कहा कि यदि आप इसे 24 नवंबर के बाद चाहते हैं तो हमें बताएं। लेकिन एएसजी ऐश्वर्य भाटी ने कहा कि ऐसा नहीं है, मामले पर केंद्र सरकार का पक्ष अटॉर्नी जनरल रख रहे हैं और वह शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के मामले में व्यस्त हैं।

कोर्ट इस पर सोमवार को सुनवाई कर ले। प्रधान न्यायाधीश ने नाराजगी जताते हुए कहा कि तो फिर वह फैसला कब लिखेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि आप आखिरी वक्त में अर्जी दाखिल करके कहते हैं कि सुनवाई संविधान पीठ को भेज दी जाए।

जस्टिस गवई ने कहा कि उन्होंने शुक्रवार को कोई और मामला सुनवाई के लिए नहीं रखा है। उन्होंने सोचा था कि शुक्रवार को सुनवाई करेंगे और सप्ताहांत में फैसला लिखेंगे। सीजेआइ ने अटॉर्नी जनरल को सोमवार को पक्ष रखने की इजाजत दे दी, लेकिन साथ ही कहा कि अगर वह सोमवार को नहीं आए तो कोर्ट मामले पर सुनवाई पूरी करके बंद कर देगा। इस मामले में न्यायाधिकरण सुधार अधिनियम के कई प्रविधानों को चुनौती देते हुए उन्हें रद्द करने की मांग की गई है।

कोर्ट की कड़ी टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार लगातार सुनवाई टालने की कोशिश कर रही है, जो न्यायिक प्रक्रिया के साथ अन्याय है। सीजेआइ गवई ने कहा, अगर केंद्र को सुनवाई 24 नवंबर के बाद चाहिए, तो साफ-साफ कह दे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि कोर्ट अब और विलंब बर्दाश्त नहीं करेगा।

क्या है मामला

न्यायाधिकरण सुधार अधिनियम 2021 (Tribunal Reforms Act 2021) में न्यायाधिकरणों की संरचना, सदस्यों की नियुक्ति और कार्यकाल से जुड़े प्रावधान हैं। कई वकीलों और संस्थाओं ने इस कानून को अदालत की स्वायत्तता और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर “अतिक्रमण” बताते हुए चुनौती दी है।

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