Tobacco Control : सिगरेट छोड़ने का विकल्प नहीं हो सकता है ई-सिगरेट…?
कम्युनिटी मेडिसिन विभाग में तम्बाकू नियंत्रण पर कार्यशाला का आयोजन
रायपुर/नवप्रदेश। Tobacco Control : आजतक अधिक से अधिक युवा ई-सिगरेट का उपयोग कर रहे हैं, जिन्हें पारंपरिक धूम्रपान की तुलना में सुरक्षित विकल्प के रूप में माना जाता है। हालांकि, यह पूरी तरह से भ्रामक है। ये खुलासा कम्युनिटी मेडिसिन विभाग में तंबाकू नियंत्रण पर आयोजित कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञ ने किया।
पीजीआई चंडीगढ़ के सामुदायिक चिकित्सा विभाग और स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर डॉ. सोनू गोयल ने कहा- इलेक्ट्रानिक निकोटिन वितरण प्रणाली बनाने वाली कम्पनी दावा तो करती है कि ई-सिगरेट, सिगरेट छोडऩे का अच्छा विकल्प है, परन्तु ई-सिगरेट उतना ही नुकसानदायक है, जितना कि सिगरेट।
डॉ. गोयल चंडीगढ़ द्वारा ‘डब्ल्यूएचओ की फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल’ (डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी) के रणनीति की जानकारी देते हुए आगे उन्होंने कहा कि ई-सिगरेट (Tobacco Control) के विनिर्माण, वितरण, आयात एवं विक्रय पर 1 साल की सजा एवं 1 लाख रूपये जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
भले ही ई-सिगरेट में सिगरेट के दूषित तत्व बहुत कम होते हैं और इसे सिगरेट के लिए एक सुरक्षित विकल्प के रूप में विपणन किया जाता है क्योंकि वे दहन के नीचे के तापमान पर काम करते हैं, यह सुझाव देने के लिए कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है कि वेपिंग सिगरेट पीना बेहतर है। यह रेखांकित करता है कि जो लोग वेपिंग करते हैं वे एक ऐसे उत्पाद का उपयोग कर रहे हैं जिसका जोखिम अभी पूरी तरह से निर्धारित नहीं किया गया है और वे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव वाले रसायनों के संपर्क में आ सकते हैं।
पं. जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग में द यूनियन ब्लूमबर्ग: एक पहल तथा राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण इकाई द्वारा ‘तंबाकू उद्योग का हस्तक्षेप और एफसीटीसी अनुच्छेद 5.3. के साथ राज्य की नीति विकसित करने की आवश्यकताÓ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला संचालक स्वास्थ्य सेवाएं नीरज बंसोड़ तथा विभागाध्यक्ष कम्युनिटी मेडिसिन डॉ. निर्मल वर्मा एवं डॉ. राणा के मार्गदर्शन में आयोजित की गई।
कार्यशाला में प्रमुख रूप से डॉ. सोनू गोयल, संचालक, आर. सी. टी. सी. पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ द्वारा ‘डब्ल्यूएचओ की फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल’ (डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी) के रणनीति की जानकारी दी गई। उन्होंने विशेष रूप से आर्टिकल 5.3 और तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। साथ ही तंबाकू उद्योग के उत्पाद एवं प्रवाह को रोकने के लिए शासन द्वारा जारी मार्गदर्शिका के बारे में जानकारी दी गई।
डॉ. निर्मल वर्मा ने कार्यशाला के प्रमुख उद्देश्य एवं तंबाकू नियंत्रण (Tobacco Control) के प्रयासों की जानकारी दी। डॉ. अमित यादव, सीनियर टेक्निकल एडवाइजर द यूनियन द्वारा तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप के लिए ‘कोड ऑफ कंडक्ट’ लागू किये जाने के विषय में विस्तार से जानकारी दी गई।
कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग के अलावा पुलिस विभाग, लोक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, यूनिसेफ और कम्युनिटी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. श्रीधर, सचिव आईएपीएसएम डॉ. धर्मेन्द्र गहवई एवं कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के चिकित्सक शामिल हुए।
इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के नोडल अधिकारियों ने भी कार्यशाला में ऑनलाइन शिरकत की। कार्यक्रम का संचालन राज्य नोडल अधिकारी (तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम) डॉ. कमलेश जैन द्वारा किया गया।
विदित हो कि तंबाकू नियंत्रण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन फ्रेमवर्क कन्वेंशन के अनुच्छेद 5.3 का उद्देश्य तंबाकू उद्योग के हानिकारक प्रभाव से मजबूत तंबाकू नियंत्रण नीतियों की रक्षा करना है।