संपत्ति लूटी, हमें हमारे घर से भगाया… सूखी रोटी और बासी चावल से कब तक गुजारा?

National Human Rights Commission
मुर्शिदाबाद/ए.। National Human Rights Commission: वक्फ कानून के खिलाफ मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा के कारण अपना घर-बार छोड़कर पलायन करने वाले पीडि़त किस हाल में अपना दिन काट रहे हैं? इसकी भयानक सच्चाई शुक्रवार को तब सामने आई जब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग के दलों ने मालदा पहुंचकर उन लोगों से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान मालदा के राहत शिविरों में रह रही महिलाओं ने रोते हुए कहा, हमारी संपत्ति लूट ली, जबरन हमें हमारे घर से भगा दिया। अब जब हम यहां आकर शरण लिए हुए हैं तो यहां भी लाख बंदिशें हैं। यह राहत शिविर जेल से भी बदतर हैं। सूखी रोटी, केला और बासी चावल से कैसे गुजारा होगा।
शिविर में मौजूद एक महिला ने संवाददाताओं से कहा, ”पुलिस हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है। हमें सूखी रोटियां, केले और बासी चावल दिए जा रहे हैं। यह बताना मुश्किल है कि हम शरणार्थी शिविर में हैं या हिरासत केंद्र में।
हाईस्कूल में रह रहे अस्थायी कैंप के लोगों से की बात
एनएचआरसी ने हाल में मुर्शिदाबाद में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में भड़की हिंसा का स्वत: संज्ञान लिया था। एनएचआरसी सदस्यों ने मालदा के परलालपुर हाई स्कूल के शिविर में रह रहे प्रभावित परिवारों के सदस्यों से बात की।
टीएमसी ने राजनीतिक लाभ के हालात को अस्थिर करने का आरोप लगाया: राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल ने राज्यपाल और दौरे पर आई केंद्रीय टीम की आलोचना की तथा उन पर राजनीतिक लाभ के लिए हालात को अस्थिर करने के प्रयास का आरोप लगाया।
तृणमूल सांसद सौगत रॉय ने कहा, ”जब मुख्यमंत्री ने उनसे (बोस) अनुरोध किया था तो उन्हें इसका सम्मान करना चाहिए था। लेकिन उनका इरादा क्षेत्र में तनाव पैदा करना और परेशानी बढ़ाना है। एनसीडब्ल्यू और एनएचआरसी की टीम भी और परेशानी बढ़ाने में भाजपा को मदद करने के लिए क्षेत्र का दौरा कर रही हैं और वे नहीं चाहते कि क्षेत्र में सामान्य स्थिति बहाल हो।
तीन लोगों की मौत, सैकड़ों लोग हुए बेघर
मालूम हो कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान 11 और 12 अप्रैल को मुर्शिदाबाद जिले के कुछ हिस्सों, मुख्य रूप से सुती, समसेरगंज, धुलियां और जंगीपुर में सांप्रदायिक हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग बेघर हो गए।