संपादकीय: दुनिया में महंगाई बम फूटने का खतरा

संपादकीय: दुनिया में महंगाई बम फूटने का खतरा

There is a danger of inflation bomb exploding in the world

There is a danger of inflation bomb exploding in the world

There is a danger of inflation bomb exploding in the world: इजराइल और ईरान के बीच पिछले आठ दिनों से चल रही जंग यदि और लंबी चली तो ये दोनों देश तो बर्बाद होंगे ही पूरी दुनिया पर भी इसका असर पड़ेगा और महंगाई बम फूटने से विश्व के अनेक देशों को तेल और गैस संकट का सामना करना पड़ेगा। नतीजतन आवश्यक वस्तुओं के दामों में बेतहाशा वृद्धि हो जाएगी। गौरतलब है कि इजराइल और ईरान के बीच चल रही जंग में इजराइल को प्रतिदिन 7 करोड़ रूपये का खर्च आ रहा है।

कमोवेश ईरान को भी हर रोज इतनी ही रकम खर्च करनी पड़ रही है। दोनों देश एक दूसरे पर जिस तरह बमों की बरसात कर रहे हैं उससे इजराइल और ईरान दोनों में ही अब तक अरबों डॉलर की क्षति पहुंच चुकी है। यदि यह युद्ध और लंबा चला तो दोनों ही देशों को इतना ज्यादा नुकसान होगा कि उसकी भरपाई कर पाना उनके बूते की बात नहीं रह जाएगी। किन्तु दोनों ही देश एक दूसरे को खत्म करने पर तुले बैठै हैं। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के खिलाफ सैन्य कार्यवाही से अपने कदम पीछे खींच लिये हैं। उन्होंने कहा है कि वे दो सप्ताह बाद इस बात का फैसला करेंगे कि अमेरिका को ईरान के खिलाफ सैन्य कार्यवाही करनी है या नहीं।

डोनाल्ड टं्रप के पीछे हटने पर प्रतिक्रिया देते हुए इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि वह अपनी जंग जारी रखेगा यदि कोई देश इजराइल की मदद करता है तो उसका स्वागत है। गौरतलब है कि इजराइल के पास हथियारों का जखीरा अब खत्म होंने लगा है। पिछले दो सालों से इजराइल गाजापट्टी में जंग लड़ता रहा है इसलिए अब उसके पास जंग लडऩे के लिए संसाधनों की कमी हो गई है। इजराइल ज्यादा से ज्यादा आठ दिनों तक ही पूरी ताकत से यह जंग लड़ पाएगा और यदि लड़ाई लंबी चली तो उसके पास हथियारों का टोटा हो जाएगा।

ऐसे में उसे अमेरिका और यूरोपीय देशों के हथियारों के भरोसे रहना पड़ेगा। दूसरी ओर ईरान के सुप्रीम लीडर खामनेई ने भी धमकी दी है कि वह इजराइल को खत्म करके ही दम लेंगे। जाहिर है दोनों ही आर पार की लड़ाई लडऩे का मन बना चुके हैं और इनमें से कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनालड ट्रंप की धमकियों का ईरान पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। यही वजह है कि डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के खिलाफ दो सप्ताह बाद कार्यवाही करने का फैसला लिया है। दरअसल ईरान के आक्रामक रवैया को देखकर डोनाल्ड टं्र्रप असमंजस में पड़ गये हैं।

डोनाल्ड ट्रंप को यह चिंता सताने लगी है कि यदि ईरान ने सउदी अरब सहित मीडिल इस्ट के आधा दर्जन मुस्लिम देशों में स्थापित किये गये अमेरिका के सैन्य अड्डों पर निशाना साधना शुरू कर दिया तो इससे अमेरिका को भारी नुकसान होगा और पूरी दुनिया में अमेरिका की किरकिरी हो जाएगी। इसी डर से डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के हितों को देखते हुए ईरान के खिलाफ सैन्य कार्यवाही को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया है।

ऐसे में यह जंग लंबी चलने की संभावना बढ़ गई है। इससे विश्व की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। पहले ही रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है और अब इजराइल और ईरान के बीच जंग लंबी चलती है तो इस युद्ध से वैश्विक संकट पैदा हो जाएगा। अभी से तेल की किमतों पर इसका असर पड़ेने लगा है। आगे चलकर कच्चे तेल की कीमतों में और ज्यादा उछाल आएगा। जिससे पूरी दुनिया में भीषण महंगाई बढ़ेगी नतीजतन खाद्यान और दैनिक उपयोग की अन्य आवश्यक वस्तुओं के दाम आसमान छूने लगेंगे। भारत भी इससे अछूता नहीं रहेगा।

भारत को 80 प्रतिशत तेल खाड़ी देशों से ही आता है और एलपीजी गैस का आयात भी वहीं से होता है। ऐसे में भारत में भी तेल और गैस की कीमतें बढऩे से रोजमर्रा के सामानों के दाम बेहताशा बढ़ जाएंगे। अन्य देशों को भी इस जंग के दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे। इसीलिए सारी दुनिया चाह रही है की ईरान और इजराइल के बीच जारी जंग जितनी जल्दी खत्म हो उतना ही अच्छा है। किन्तु ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। बल्कि इसके विपरीत इस जंग के विश्व युद्ध के रूप मेें तब्दील होने का भी खतरा मंडराने लगा है।

जहां अमेरिका और यूरोपीय देश इजराइल के समर्थन में हैं वहीं रूस और चीन ईरान के पक्ष में खड़े हो गये हैं। हालांकि अभी तक इजराइल और ईरान दोनों ही अपने बल बूते पर यह जंग लड़ रहे हैं। किन्तु उनके संसाधन खत्म होने पर उनके मित्र देश जंग में शामिल होंगे और विश्व युद्ध होने का खतरा बढ़ जाएगा।

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