फुल ड्रेस रिहर्सल में ‘गोधन न्याय योजना’ की झांकी को मिली सराहना
Jhanki Rehearsal : पारम्परिक वेशभूषा में दिखे छत्तीसगढ़ के कलाकार
नई दिल्ली/रायपुर/नवप्रदेश। Jhanki Rehearsal : गणतंत्र दिवस से पहले राजपथ पर आयोजित फुल ड्रेस रिहर्सल का आयोजन रविवार को किया गया। जिसमे छत्तीसगढ़ के ‘गोधन न्याय योजना’ पर आधारित झांकी का प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने हिस्सा लिया।
देशभर में इस साल 73वां गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा। गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी के राजपथ पर निकलने वाली राज्यों की झांकियों का रविवार को नई दिल्ली की राष्ट्रीय रंगशाला में प्रेस प्रीव्यू आयोजित किया गया। प्रेस प्रीव्यू के दौरान छत्तीसगढ़ की गांव और गौठान पर आधारित झांकी को राष्ट्रीय मीडिया की सराहना मिली।
इस दौरान झांकी के समक्ष छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों ने ककसाड़ नृत्य का प्रदर्शन (Jhanki Rehearsal) किया। राजपथ पर निकलने वाली छत्तीसगढ़ की झांकी गोधन योजना पर केंद्रित है। ग्रामीण संसाधनों के उपयोग के पारंपरिक ज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के समन्वय से एक साथ अनेक वैश्विक चिंताओं के समाधानों के लिए यह झांकी विकल्प प्रस्तुत करती है।
झांकी के अगले भाग में गाय के गोबर को इकट्ठा करके उन्हें विक्रय के लिए गौठानों के संग्रहण केंद्रों की ओर ले जाती ग्रामीण महिलाओं को दर्शाया गया है। ये महिलाएं पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा में हैं। उन्होंने हाथों से बने कपड़े और गहने पहन रखे हैं। इन्हीं में से एक महिला को गोबर से उत्पाद तैयार कर विक्रय के लिए बाजार ले जाते दिखाया गया है। उनके चारों ओर सजे फूलों के गमले गोठानों में साग-सब्जियों और फूलों की खेती के प्रतीक हैं। नीचे के ओर गोबर से बने दीयों की सजावट है। ये दीये ग्रामीण महिलाओं के जीवन में आए स्वावलंबन और आत्मविश्वास के प्रतीक हैं।
झांकी के पिछले भाग में गौठानों (Jhanki Rehearsal) को रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क के रूप में विकसित होते दिखाया गया है। नयी तकनीकों और मशीनों का उपयोग करके महिलाएं स्वयं की उद्यमिता का विकास कर रही हैं। वे गांवों में छोटे-छोटे उद्योग संचालित कर रही हैं। मध्य भाग में दिखाया गया है कि गाय को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के केंद्र में रखकर किस तरह पर्यावरण संरक्षण, जैविक खेती, पोषण, रोजगार और आय में बढ़ोतरी के लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है।
सबसे आखिर में चित्रकारी करती हुई ग्रामीण महिला पारंपरिक शिल्प और कलाओं के विकास की प्रतीक है। झांकी में भित्ती-चित्र शैली में विकसित हो रही जल प्रबंधन प्रणालियों, बढ़ती उत्पादकता और खुशहाल किसान को दिखाया गया है। इसी क्रम में गोबर से बनी वस्तुएं और गोबर से वर्मी कंपोस्ट तैयार करती स्व सहायता समूहों की महिलाओं को दिखाया गया है।