स्कूल तो बंद हुआ, पर आदिवासी बच्चों की तालीम नहीं थमी, रसोईया बनी 'गुरु', ज्ञान के स्वर फिर गूंजे..

स्कूल तो बंद हुआ, पर आदिवासी बच्चों की तालीम नहीं थमी, रसोईया बनी ‘गुरु’, ज्ञान के स्वर फिर गूंजे..

The school closed, but the education of tribal children did not stop, the cook became the 'Guru', the voice of knowledge echoed again..

Bijapur Jangla village

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में जांगला में कहा था विकास का सूरज पूरब से नहीं, बल्कि दक्षिण (बस्तर) से निकलेगा


कमलेश्वर सिंह पैकरा

बीजापुर/नवप्रदेश। Bijapur Jangla village: शिक्षा विभाग का एक तुगलकी फैसला बीजापुर के जांगला गांव से लगभग 6 किमी दूर स्थित ककाड़ीपारा के 26 आदिवासी बच्चों के शिक्षा के अधिकार पर भारी पड़ गया है। 21वीं सदी के इस भारत में, जहां डिजिटल इंडिया, राइट टू एजुकेशन और सर्व शिक्षा अभियान जैसे नारे गूंजते हैं, वहीं ककाड़ीपारा के ये बच्चे अपने स्कूल भवन में शिक्षा की भीख मांगने को मजबूर हैं।

शिक्षा विभाग का चौंकाने वाला कदम

भैरमगढ़ ब्लॉक के जांगला संकुल के अंतर्गत आने वाले ककाड़ीपारा की यह स्थिति है जहाँ स्कूल का भवन मौजूद है, बच्चे भी हैं, लेकिन पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं हैं। दरअसल, 2006-07 में सलवा जुडूम के दौरान, पोटेनार पंचायत के प्राथमिक शाला ईचेवाड़ा स्कूल को अस्थायी रूप से ककाड़ीपारा जांगला (Bijapur Jangla village) में स्थानांतरित किया गया था। अब पोटेनार सरपंच की मांग पर शिक्षा विभाग ने 30 जून को स्कूल को दोबारा ईचेवाड़ा शिफ्ट कर दिया है।

शिक्षक नहीं तो रसोईया बनी शिक्षिका

3 जुलाई के बाद से ककाड़ीपारा स्कूल में कोई शिक्षक नहीं आया। शिक्षकों की कोई वैकल्पिक व्यवस्था न होने पर, ग्रामीणों और छात्रों की मांग पर मध्यान्ह भोजन की रसोईया पार्वती कोवासी ने बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया है। पार्वती कोवासी कक्षा 7वीं तक पढ़ी हैं और ग्रामीणों के अन्नदान से मध्यान्ह भोजन व्यवस्था भी सुचारू रूप से संचालित हो रही है। इस विषम परिस्थिति में पार्वती कोवासी ने एक “गुरु” की भूमिका निभाते हुए ज्ञान की लौ को बुझने नहीं दिया है।

विधायक ने उठाए सवाल

ककाड़ीपारा पहुंचे बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी ने इस निर्णय पर नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि 26 छात्रों के साथ संचालित स्कूल को बंद कर मुख्य मार्ग से 5 किमी दूर स्थानांतरित कर दिया गया है। स्थानीय ग्रामीणों ने विधायक से स्कूल बंद न करने और पूर्ववत संचालन की मांग की है। विधायक मंडावी ने सवाल उठाया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मन की बात’ में इन गरीब आदिवासी बच्चों के शिक्षा के अधिकारों की बात शामिल होगी।

ग्रामीणों का दृढ़ संकल्प

ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है कि जब तक सरकार स्कूल का पुन: संचालन नहीं करती, वे अपने खर्चे पर स्कूल का संचालन करेंगे। ग्रामीणों से मिलने पहुंचे विधायक विक्रम मंडावी ने एक महीने के मध्यान्ह भोजन की रसोई सामग्री के साथ-साथ बच्चों के लिए नोटबुक और पेन सहित पाठ्य सामग्री भी प्रदान की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2018 में जांगला से आयुष्मान भारत की शुरुआत करते हुए दिए गए उस बयान की याद दिलाती है, जिसमें उन्होंने कहा था कि आने वाले दिनों में विकास का सूरज पूरब से नहीं, बल्कि दक्षिण (बस्तर) से निकलेगा। यह घटना इस वादे पर एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा करती है और दर्शाती है कि जमीनी हकीकत अभी भी काफी अलग है।

अधिकारियों की प्रतिक्रिया
जिला शिक्षा अधिकारी राजकुमार कठौते ने बताया कि यह मामला कलेक्टर के संज्ञान में है और इसकी जांच की जा रही है।

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