गंभीर और आनुवंशिक रोगों की पहचान में जैव रसायन की भूमिका…
Governor Anusuiya Uikey ने AMBI के राष्ट्रीय सम्मेलन का किया उद्घाटन
रायपुर/नवप्रदेश। Governor Anusuiya Uikey : राज्यपाल अनुसुईया उइके ने शुक्रवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान रायपुर में एसोसिएशन ऑफ मेडिकल बायोकेमिस्ट्स ऑफ इंडिया (AMBI) के 28वें राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बायोकेमेस्ट्री रोगों की पहचान और निदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान बायोकेमिस्ट्स एवं एम्स रायपुर की भूमिका की अत्यंत सराहना की। इसका महत्व कोरोना काल में आम जनता को भी समझ में आया। बायोकेमेस्ट्री क्षेत्र में हुए शोधों के जरिए अनेक लाइलाज बीमारियों का उपचार भी संभव हो सका है। अभी कोरोना का नया वेरियंट ओमिक्रॉन की पहचान की गई है। उन्होंने विशेषज्ञों से आग्रह किया कि इसके पहचान और बचाव के उपाय ईजाद करें तथा इस महामारी से देश और प्रदेश को बचाने में मदद करें। इस अवसर पर एम्स रायपुर के निदेशक डॉ. नितिन एम. नागरकर सहित देश-विदेश से आए प्रतिभागी उपस्थित थे।
राज्यपाल सुश्री उइके ने इस सम्मेलन के प्रतिभागियों का स्वागत किया और आशा व्यक्त की कि सम्मेलन में आपसी संवाद से बीमारियों के इलाज की नवीनतम तकनीक के बारे में जानकारी मिलेगी और इसका लाभ छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश को मिलेगा। उन्होंने कहा कि बायोकेमेस्ट्री के विशेषज्ञों को छत्तीसगढ़ की आनुवांशिक बीमारियों के संबंध में भी शोध कर उसके निदान के उपाय ढूंढने चाहिए।
उन्होंने कहा कि बायोकेमेस्ट्री के महत्व (Governor Anusuiya Uikey) का अंदाजा आम जनता को भी हो रहा है। क्योंकि बायोकेमेस्ट्री के क्षेत्र में अनेक वैज्ञानिकों को नोबल पुरस्कार मिला है, जिसमें ऐरीह वार्शल जो बायोकेमेस्ट्री के पायोनीयर माने जाते हैं, प्रमुख हैं। उन्होंने कम्प्यूटर मॉडलिंग के जरिए अनेक शोध किए और उन्हें दो अन्य वैज्ञानिकों के साथ वर्ष 2013 में नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ। बायोकेमेस्ट्री का उपयोग आधुनिक चिकित्सा के क्षेत्र में अनेकों लाइलाज बीमारियों के इलाज में कारगर सिद्ध हुआ है।
बायोकेमेस्ट्री में शरीर की कोशिकाओं एवं खून और शरीर से निकलने वाले अन्य द्रव्यों का सूक्ष्म विश्लेषण किया जाता है, जिसका उपयोग चिकित्सकों द्वारा बीमारी की पहचान के लिए और इलाज की मानिटरिंग करने के लिए किया जाता है। इस क्षेत्र में नित नये शोध हो रहे हैं और इसका लाभ आम जनता को भी मिल रहा है।
एम्स रायपुर के निदेशक डॉ. नितिन एम. नागरकर ने राज्यपाल सुश्री उइके को धन्यवाद देते हुए कहा कि वे हमेशा एम्स के चिकित्सकों और कर्मचारियों को प्रोत्साहित करती हैं और सकारात्मक कार्यों में मदद करती है। एम्स के बायोकेमेस्ट्री विभाग सहित अन्य विभाग के चिकित्सकों और कर्मचारियों ने कोविड-19 के पहली एवं दूसरी लहर के दौरान समर्पित होकर अपने कत्र्तव्यों का निर्वहन किया।
आगे भी कोई महामारी या अन्य कोई समस्या आती है तो उस स्थिति में उसका सामने के लिए एम्स पूरी तरह से तैयार हैं। एम्स 2012 में स्थापना के बाद से उपचार, चिकित्सा शिक्षा और शोध के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने बायोकैमेस्ट्री के योगदान को महत्वपूर्ण बताते हुए आशा प्रकट की कि कांफ्रेंस के माध्यम से चिकित्सकों को नए विषयों को जानने का मौका मिलेगा। डीन प्रो. एस.पी. धनेरिया ने कांफ्रेंस के विषयों को सामयिक बताते हुए इसे चिकित्सकों के लिए ज्ञानवर्धक बताया।
इससे पूर्व एएमबीआई की सचिव प्रो. जसबिंदर कौर ने एसोसिएशन की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। वर्तमान अध्यक्ष प्रो. अंजू जैन ने निर्वाचित अध्यक्ष डॉ. नवजोत कौर को एसोसिएशन का (Governor Anusuiya Uikey) दायित्व सौंपा। इस अवसर पर राज्यपाल सुश्री उइके, प्रो. नागरकर और अन्य अतिथियों ने स्मारिका का विमोचन भी किया। सम्मेलन में प्रो. एली मोहापात्र, डॉ. रचिता नंदा, डॉ. बी. गोविंदराजू, डॉ. जैसी अब्राहम, डॉ. सुपर्वा पटेल, डॉ. सीमा शाह सहित चिकित्सकगण उपस्थित थे। सम्मेलन में देश-विदेश से प्रतिभागी ऑनलाईन माध्यम से भी जुड़े हुए थे।